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बेटियों ने पहना जनेऊ तो जिंदा हो उठी सदियों पुरानी संस्कृति

-युग दधीचि देहदान संस्थान के यज्ञोपवीत संस्कार में पांच बेटियों ने जनेऊ धारण किया जागरण संवाददाता

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 11:20 PM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 11:20 PM (IST)
बेटियों ने पहना जनेऊ तो जिंदा हो उठी सदियों पुरानी संस्कृति
बेटियों ने पहना जनेऊ तो जिंदा हो उठी सदियों पुरानी संस्कृति

-युग दधीचि देहदान संस्थान के यज्ञोपवीत संस्कार में पांच बेटियों ने जनेऊ धारण किया

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जागरण संवाददाता, कानपुर: प्रचीन काल में महिलाएं भी जनेऊ पहनती थीं, लेकिन यह परंपरा धीरे-धीरे नष्ट हो गई। रविवार को इस प्रचीन परंपरा को फिर से शुरू करने का दावा किया गया। मौका था युग दधीचि देहदान संस्थान के यज्ञोपवीत संस्थान का, जिसमें पांच बेटियों ने विधि विधान से जनेऊ धारण किया।

टाटामिल स्थित मंदिर-मस्जिद परिसर में नवरात्र के पहले दिन नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजक मनोज सेंगर ने बताया कि गायत्री परिवार के प्रवर्तक आचार्य श्रीराम शर्मा ने महिलाओं के यज्ञोपवीत को यही बताया था। शांतिकुंज हरिद्वार से प्रकाशित पुस्तक कर्मकांड भास्कर में भी इसका उल्लेख है। रविवार को पांच आचार्यो ने कुमारी अंशिका, रिमझिम, मुस्कान, अंजली, सृष्टि को यज्ञोपवीत धारण कराया। इस बीच आधी आबादी की हुंकार, लेकर रहेंगे सब अधिकार का नारा गूंजता रहा। कर्नल प्रभा अवस्थी, डॉक्टर आरती लाल चंदानी, माधवी सेंगर, अंबिका श्रीवास्तव रहे।


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