यहा पूजे जाते लंकेश, होता महिमा मंडन
विजयदशमी (दशहरा) के दिन देश के कोने-कोने में लंकाधिपति रावण का पुतला दहन होगा। लोग असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाएंगे वहीं दूसरी ओर शहर के शिवाला में लंकेश का पूजन होगा।
दिग्विजय सिंह, कानपुर
विजयदशमी (दशहरा) के दिन देश के कोने-कोने में लंकाधिपति रावण का पुतला दहन होगा। लोग असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाएंगे वहीं दूसरी ओर शहर के शिवाला में लंकेश का पूजन होगा। लंकापति रावण का मंदिर शिवाला में स्थापित है। 130 साल पूर्व स्थापित इस मंदिर के कपाट सिर्फ विजयदशमी के दिन खुलते हैं और श्रद्धालु पूजन कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। इस बार भी 19 अक्टूबर शुक्त्रवार को विजय दशमी के दिन सुबह वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दशानन मंदिर के पट खुलेंगे और तेल से अभिषेक के बाद दशानन की महाआरती होगी।
शिव और शक्ति के बीच दशानन का मंदिर
शिवाला में अतिप्राचीन कैलाश मंदिर स्थापित है। दस महाविद्याओं में से एक भगवती छिन्नमस्ता का मंदिर भी इसी परिसर में है। मा छिन्नमस्ता के साथ ही मा बगलामुखी, कमला, तारा, षोडसी, भुवनेश्वरी , काली, धूमावती दर्शन देती हैं। हालाकि पिछले कई सालों से इस मंदिर के पट आम भक्तों के लिए नहीं खुले हैं। मा के मंदिर के दरवाजे पर ही दशानन का मंदिर स्थापित है। कहते हैं कि शिव और शक्ति का उपासक होने के नाते रावण की प्रतिमा यहा स्थापित की गई। 19 अक्टूबर को मंदिर का पट सुबह सात बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच खुलेगा और दशानन का अभिषेक किया जाएगा। श्रद्धालु पूरे दिन दशानन का पूजन करेंगे। आरती में जय रावण देवा गूंजेगा और रावण की वीरता और बल-बुद्धि का बखान किया जाएगा। मूर्ति में दस सिर और आठ भुजाएं हैं। बल और विद्या के लिए भक्त रावण के आगे कामना करेंगे। सरसों के तेल का दीपक जलाया जाएगा। संध्याकाल में महाआरती के बाद मंदिर के पट बंद होंगे। मंदिर के संयोजक केके तिवारी का कहना है कि ऐसा कहा जाता है कि रावण का पूजन करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होगी। चित्रकूट के रैपुरा में होती रावण की शक्ति पूजा
भगवान श्रीराम ने चित्रकूट की पावन धरती पर अपने वनवास काल के 11 साल छह माह 18 दिन गुजारे थे। यहा उनकी शक्ति व आदर्श के घर-घर चर्चे हैं। मानिकपुर तहसील के रैपुरा गाव में लोग रावण की प्रतिमा की भगवान की तरह पूजा करते हैं। यहा स्थाई रूप से रावण की पत्थर की मूर्ति दशकों से स्थापित है। विजयदशमी पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है। मूर्ति की स्थापना कब हुई थी, इसकी सही जानकारी ग्रामीणों को नहीं है। ग्रामीण इतना जरूर बताते हैं कि यह दशकों पुरानी है। इसके प्रताप से गाव में युवाओं को बुद्धिमत्ता मिलती है।
कानपुर देहात में रावण की निकलती है सवारी
कानपुर देहात के पुखराया कस्बे में दशहरा के दिन रावण की भव्य शोभायात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली जाती है। रात में मंडी परिसर में आबेडकर व रावण के चरित्र पर आधारित नाटक का मंचन भी किया जाएगा।