मां गंगा के किनारे बने मंदिरों में गंदगी और अव्यवस्थाओं से आहत आस्था
गंगा के घाटों पर गंदगी का ढेर जमा है। उसमें पूजन सामग्री से लेकर पॉलीथिन तक शामिल है।
By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 01:37 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 11:27 AM (IST)
कानपुर, जेएनएन। 'ये कानपुर शहर है, जिसकी अहमियत के न जाने कितने पैमाने हैं। बाशिंदों की उद्यमशीलता और काम के प्रति लगन ने इसे उद्योग नगरी बनाया। तेवरों ने क्रांतिभूमि बनाया तो बौद्धिक क्षमता ने साहित्य की दुनिया में नाम दिलाया। एक और अहम पक्ष आस्था का है। यह पतित पावनी गंगा के किनारे बसा शहर है। गंगा किनारे प्रमुख मंदिर भी हैं।
यूं कहें तो गंगा और मंदिरों के प्रति आस्था की लहरें समानांतर बह रही हैं। यही वजह है कि तमाम शहरवासियों की दिनचर्या मां गंगा और मंदिरों में दर्शन से ही शुरू होती है। मगर, अफसोस कि गंदगी और अव्यवस्थाओं से यह आस्था आहत हो रही है। सरकार जब गंगा, धार्मिक व जन भावनाओं के प्रति इतनी गंभीर है, तब भी घाटों पर गंदगी अटी पड़ी है।
वहीं आनंदेश्वर मंदिर, पनकी हनुमान मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, ब्रह्मावर्त घाट मंदिर, वनखंडेश्वर मंदिर, नागेश्वर मंदिर आदि आस्था के केंद्र गंदगी और बेसहारा जानवरों सहित तमाम अव्यवस्थाओं के शिकार हैं। अब 'आहत आस्था' नाम के इस अभियान में हम आप तक पहुंचाएंगे इन धर्म स्थलों के हाल। नालों पर नजर, घाट भूले अफसर गंगा की स्वच्छता को लेकर इन दिनों सरकारी मशीनरी की खूब कसरत नजर आ रही है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सरकार की सख्ती के बाद गंगा में वर्षो से गिर रहे नालों को बंद किया जा रहा है। अधिकांश नाले बंद किए जा चुके हैं। गंगा को सर्वाधिक प्रदूषित करने वाला सरसैया घाट नाला भी जल्द पूरी तरह से बंद होने जा रहा है। इसी तरह टेनरियों का डिस्चार्ज सीधे गंगा में जाने से रोकने को लेकर सख्ती है। मगर, इस बीच अधिकारी घाटों को भूल गए। पिछले दिनों वहां जागरूकता के कई कार्यक्रम तो हुए, लेकिन उसके बाद इंतजामों में निरंतरता नहीं रही। गंगा के घाटों पर गंदगी का ढेर जमा है। उसमें पूजन सामग्री से लेकर पॉलीथिन तक शामिल है। दुर्गध उठने से वहां श्रद्धालु ज्यादा देर तक खड़े भी नहीं हो पा रहे। शहर के इन घाटों जैसा ही हाल बिठूर के ब्रह्मावर्त घाट का है। वहां गंगा की धारा घाट से काफी दूर हो चुकी है और किनारों पर गंदगी पड़ी है।
इन घाटों पर गंदगी का अंबार : सरसैया घाट, मेस्कर घाट, सिद्धनाथ घाट, ब्रह्मावर्त घाट।
सरकार के आदेशों का भी उल्लंघन
सरकार चाहती है कि गंगा पूरी तरह स्वच्छ रहें, इसलिए गंगा किनारे के गांवों को सबसे पहले खुले में शौचमुक्त करने की मुहिम शुरू की गई। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घाटों की स्वच्छता के मद्देनजर ही सबसे पहले गंगा किनारे के गांवों में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध और सघन पौधरोपण के आदेश दिए थे। नमामि गंगे योजना के तहत घाटों का निर्माण केंद्र सरकार करा रही है। इस सबके बावजूद घाटों की स्वच्छता कायम रखने में जिम्मेदार अफसर नाकाम साबित हो रहे हैं।
यूं कहें तो गंगा और मंदिरों के प्रति आस्था की लहरें समानांतर बह रही हैं। यही वजह है कि तमाम शहरवासियों की दिनचर्या मां गंगा और मंदिरों में दर्शन से ही शुरू होती है। मगर, अफसोस कि गंदगी और अव्यवस्थाओं से यह आस्था आहत हो रही है। सरकार जब गंगा, धार्मिक व जन भावनाओं के प्रति इतनी गंभीर है, तब भी घाटों पर गंदगी अटी पड़ी है।
वहीं आनंदेश्वर मंदिर, पनकी हनुमान मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, ब्रह्मावर्त घाट मंदिर, वनखंडेश्वर मंदिर, नागेश्वर मंदिर आदि आस्था के केंद्र गंदगी और बेसहारा जानवरों सहित तमाम अव्यवस्थाओं के शिकार हैं। अब 'आहत आस्था' नाम के इस अभियान में हम आप तक पहुंचाएंगे इन धर्म स्थलों के हाल। नालों पर नजर, घाट भूले अफसर गंगा की स्वच्छता को लेकर इन दिनों सरकारी मशीनरी की खूब कसरत नजर आ रही है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सरकार की सख्ती के बाद गंगा में वर्षो से गिर रहे नालों को बंद किया जा रहा है। अधिकांश नाले बंद किए जा चुके हैं। गंगा को सर्वाधिक प्रदूषित करने वाला सरसैया घाट नाला भी जल्द पूरी तरह से बंद होने जा रहा है। इसी तरह टेनरियों का डिस्चार्ज सीधे गंगा में जाने से रोकने को लेकर सख्ती है। मगर, इस बीच अधिकारी घाटों को भूल गए। पिछले दिनों वहां जागरूकता के कई कार्यक्रम तो हुए, लेकिन उसके बाद इंतजामों में निरंतरता नहीं रही। गंगा के घाटों पर गंदगी का ढेर जमा है। उसमें पूजन सामग्री से लेकर पॉलीथिन तक शामिल है। दुर्गध उठने से वहां श्रद्धालु ज्यादा देर तक खड़े भी नहीं हो पा रहे। शहर के इन घाटों जैसा ही हाल बिठूर के ब्रह्मावर्त घाट का है। वहां गंगा की धारा घाट से काफी दूर हो चुकी है और किनारों पर गंदगी पड़ी है।
इन घाटों पर गंदगी का अंबार : सरसैया घाट, मेस्कर घाट, सिद्धनाथ घाट, ब्रह्मावर्त घाट।
सरकार के आदेशों का भी उल्लंघन
सरकार चाहती है कि गंगा पूरी तरह स्वच्छ रहें, इसलिए गंगा किनारे के गांवों को सबसे पहले खुले में शौचमुक्त करने की मुहिम शुरू की गई। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घाटों की स्वच्छता के मद्देनजर ही सबसे पहले गंगा किनारे के गांवों में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध और सघन पौधरोपण के आदेश दिए थे। नमामि गंगे योजना के तहत घाटों का निर्माण केंद्र सरकार करा रही है। इस सबके बावजूद घाटों की स्वच्छता कायम रखने में जिम्मेदार अफसर नाकाम साबित हो रहे हैं।
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