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साइबर अपराध बाहुबल से नहीं, दिमाग से होगा रोकना

अब अपराध की दुनिया बदल रही है वातानुकूलित कमरों से बड़े-बड़े अपराधों की साजिशें होती हैं। इससे पुलिस की चुनौतियां भी बदल रही हैं। अन्य अपराधों की भांति सूबे में साइबर अपराधों की संख्या भी बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 12:58 AM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 02:39 PM (IST)
साइबर अपराध बाहुबल से नहीं, दिमाग से होगा रोकना
साइबर अपराध बाहुबल से नहीं, दिमाग से होगा रोकना

जागरण संवाददाता, कानपुर : अब अपराध की दुनिया बदल रही है वातानुकूलित कमरों से बड़े-बड़े अपराधों की साजिशें होती हैं। इससे पुलिस की चुनौतियां भी बदल रही हैं। अन्य अपराधों की भांति सूबे में साइबर अपराधों की संख्या भी बढ़ रही है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार इसमें यूपी पहले पायदान पर है। साइबर ठग आम लोगों की अज्ञानता व लापरवाही का लाभ उठाकर लोगों को करोड़ों का चूना लगा रहे है। अब अपराध नियंत्रण सिर्फ बाहुबल से नहीं होगा बल्कि अपराधियों के विरुद्ध दिमाग से लड़ाई लड़नी होगी। इसके लिए लोगों को अलर्ट और यूपी पुलिस को तकनीकी तौर पर दक्ष होने की आवश्यकता है। यह बातें साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने दैनिक जागरण के अनुज शुक्ल से साक्षात्कार के दौरान कहीं। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश..

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प्रश्न : साइबर फ्राड की श्रेणी में कौन-कौन से अपराध आते है?

उत्तर : लालच देकर धन दोगुना करने वाले फ्राड, चेन बनाकर कमीशन और कार या गिफ्ट का लालच देने वाली कंपनियां, एटीएम क्लोनिंग, बैंक खाते की डिटेल लेकर पैसा निकालने, आरबीआइ समेत किसी बैंक की मिलती-जुलती ई-मेल से मैसेज भेजने वाले भी साइबर फ्राड की श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न : साइबर फ्राड करने वाले कैसे लोगों को फंसाते है और बचने के लिए किन बातों को ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर : साइबर ठग बैंक कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी, आधार कर्मी, बीमा कर्मी और लॉटरी वाला बनकर फोन करते हैं और बैंक खाता, ई-मेल आइडी, पासवर्ड, डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी, पासवर्ड और बातों-बातों में फोन पर आया वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) पूछते है। इनके झांसे में आकर कोई जानकारी नहीं देनी चाहिए क्योंकि इनकी जानकारी मिलते ही यह लोग खाते से ऑनलाइन शॉपिंग, फंड ट्रांसफर कर लेते हैं। वहीं इंटरनेट का प्रयोग करते वक्त आने वाले एड जैसे लॉटरी, आयकर, आरबीआइ, बड़ी कंपनियों, बिना ब्याज का ऋण देने और विदेश में अच्छी नौकरी वाले लिंक नहीं खोलना चाहिए। इनसे डेटा हैक होने की आशंका होती है।

प्रश्न : कैसे पता करें कि यह कॉल सही है या फेक। साइबर ठगी होने या अंदेशा होने पर क्या करें?

उत्तर : साइबर ठग लोगों को कॉल करने के दौरान कॉलर स्पूफिंग के जरिए अलग-अलग ऑनलाइन कंपनियों के टोल-फ्री नंबरों का प्रयोग करते हैं। ऐसे में आप किसी कंपनी का नाम व उसके जरिए की गई खरीदारी का ब्योरा सुनने के बाद पूरी तरह यकीन न करें। किसी इनाम अथवा आकर्षक स्कीम के बारे में पहले संबंधित कंपनी के नंबर पर कॉल कर पड़ताल जरूर करें। ठगी होने या अंदेशा होने पर बैंक व पुलिस से संपर्क करें।

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प्रश्न : यह लोग हमारा डेटा कैसे हैक कर लेते है, जबकि फोन पर किसी से बात तक नहीं होती?

उत्तर : इंटरनेट पर प्रोफाइल बनाने वाले प्रत्येक व्यक्ति का डेटा क्लाउड पर तैर रहा है जिसे हैक करके हैकर साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं। यही कारण है कि एटीएम क्लोनिंग व मोबाइल हैकिंग के मामले बढ़ रहे हैं वहीं ऑनलाइन बैंकिंग या खरीदारी के दौरान अगर बैंक से संबंधित कोई मैसेज आता है तो सावधान हो जाएं। मैसेज पर आपके क्लिक करते ही एकाउंट डिटेल हैकर के पास पहुंच जाएगी। ऐसे में स्मार्टफोन प्रयोग करने वालों को स्मार्ट यूजर बनने की जरूरत है। अपने मोबाइल को समय-समय पर री-सेट करते रहे और डबल सिक्योरिटी सिस्टम के साथ सोशल साइट को विधिवत लॉग आउट करें।

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प्रश्न : एटीएम क्लोनिंग से कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर : एटीएम मशीन में स्किमर डिवाइस लगाकर कार्ड की डिटेल हैकर कॉपी करते है। यह डिवाइस चिपकने वाले पदार्थ से हैकर उस जगह लगाते हैं जहां कार्ड डाला जाता है। कार्ड डालते ही डाटा डिवाइस में ट्रेस हो जाता है जबकि ठीक ऊपर लगाया गया छोटा कैमरा पिन नंबर को रिकार्ड कर लेता है। इसमें 60 एटीएम कार्ड का डाटा रिकार्ड किया जा सकता है। इससे बचने के लिए पिन नंबर डालने के दौरान ऊपर अपनी अंगुलियों को दूसरे हाथ से ढक लें। अगर स्किमर लगने की आशंका दिखाई दे तो पुलिस को सूचना दें।

प्रश्न : मोबाइल का डाटा चोरी से कैसे बचाया जा सकता है?

उत्तर : चोरी हुआ मोबाइल का डाटा 'फाइंड माय डिवाइस' से बचाया जा सकता है। इस एप को मोबाइल में डाउनलोड करके अपने फोन पर अपलोड डाटा को फोन चोरी होने की सूरत में खत्म किया जा सकेगा। जैसे ही चोर फोन ऑन करेगा पूरा डाटा उड़ जाएगा। इससे आपकी जरूरी चीजें उसके पास पहुंचने से बच जाएंगी।

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जीवन परिचय

नाम : रक्षित टंडन

जन्म स्थान : लंदन

पढ़ाई : आगरा

शिक्षा : यूएस से कंप्यूटर में मास्टर डिग्री

पद : साइबर सिक्योरिटी सलाहकार (साइबर एक्सपर्ट)

उपलब्धि : देश के 70 हजार स्कूलों में 26 लाख बच्चों और पांच लाख पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दे चुके। दो बार करमवीर चक्र, मुंबई पुलिस ने दी साइबर गुरु की उपाधि।


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