आइबी में नौकरी का झांसा देकर छह युवकों से 72 लाख रुपये ठगे
प्रधानमंत्री राहत कोष के नाम पर खाते में प्रति व्यक्ति जमा कराए 12 लाख रुपये।
By Edited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 01:04 AM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 11:24 AM (IST)
कानपुर,जेएनएन। जूही में शातिर टप्पेबाज ने आइबी में नौकरी लगवाने के नाम पर नौबस्ता आवास विकास हंसपुरम निवासी सभाजीत और उसके पांच साथियों से 72 लाख रुपये की धोखाधड़ी कर ली। आरोपित ने फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिए और जल्द ट्रे¨नग होने की बात कही। लेकिन बाद में पता लगा कि नियुक्ति पत्र फर्जी थे। पीड़ितों ने न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया है।
सभाजीत ने बताया कि उनके पुराने मित्र अनिल कुमार ने पिछले साल आकाश कुमार नामक व्यक्ति से मुलाकात कराई थी। आकाश ने खुद को आइबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) का अधिकारी बताया और आइबी में ही वैकेंसी निकलने की बात कहकर नौकरी लगवाने का झांसा दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष में प्रति व्यक्ति 12 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा। बोला कि रकम जमा करने के बाद ही नौकरी मिल सकेगी। भरोसा करके सभाजीत व उसके साथियों अमौली फतेहपुर निवासी वीरेंद्र कुमार, अमित कुमार व तीन अन्य ने आकाश के द्वारा दिए गए खाता नंबर में 12-12 लाख रुपये जमा कर दिए।
इसके बाद आरोपित ने चार लोगों को साक्षात्कार और ट्रे¨नग के लिए मुंबई बुलाया। वहां से नियुक्ति पत्र भी मिले। चारों लौटकर घर पहुंचे और जब कई दिन तक ज्वाइनिंग के लिए फोन नहीं आया तो आइबी में पूछताछ शुरू की। तब पता लगा कि सभी नियुक्ति पत्र फर्जी थे। इसके बाद पीड़ितों ने आकाश को फोन किया लेकिन उसके नंबर स्विच ऑफ थे। इंस्पेक्टर जूही कौशल किशोर दीक्षित ने बताया कि पीड़ितों से दस्तावेज मांगे गए हैं। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
सभाजीत ने बताया कि उनके पुराने मित्र अनिल कुमार ने पिछले साल आकाश कुमार नामक व्यक्ति से मुलाकात कराई थी। आकाश ने खुद को आइबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) का अधिकारी बताया और आइबी में ही वैकेंसी निकलने की बात कहकर नौकरी लगवाने का झांसा दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री राहत कोष में प्रति व्यक्ति 12 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा। बोला कि रकम जमा करने के बाद ही नौकरी मिल सकेगी। भरोसा करके सभाजीत व उसके साथियों अमौली फतेहपुर निवासी वीरेंद्र कुमार, अमित कुमार व तीन अन्य ने आकाश के द्वारा दिए गए खाता नंबर में 12-12 लाख रुपये जमा कर दिए।
इसके बाद आरोपित ने चार लोगों को साक्षात्कार और ट्रे¨नग के लिए मुंबई बुलाया। वहां से नियुक्ति पत्र भी मिले। चारों लौटकर घर पहुंचे और जब कई दिन तक ज्वाइनिंग के लिए फोन नहीं आया तो आइबी में पूछताछ शुरू की। तब पता लगा कि सभी नियुक्ति पत्र फर्जी थे। इसके बाद पीड़ितों ने आकाश को फोन किया लेकिन उसके नंबर स्विच ऑफ थे। इंस्पेक्टर जूही कौशल किशोर दीक्षित ने बताया कि पीड़ितों से दस्तावेज मांगे गए हैं। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
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