हैकरों के निशाने पर पॉवर सेक्टर भी, हमला कर उड़ा सकते किसी भी शहर की बिजली
आइआइटी में आयोजित कार्यशाला स्पेसÓ में विशेषज्ञों ने जानकारी दी, कहा-चंद सेकेंड में किसी भी देश के उपकरण किए जा सकते फेल।
By Edited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 01:46 AM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 01:58 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। साइबर एक्सपर्ट या हैकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स, गोपनीय दस्तावेज, बैंकिंग खातों पर सेंध लगाकर भयानक नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब उनका खतरा बड़े संस्थानों और विभिन्न सेक्टरों पर मंडरा रहा है, इनमें से एक पावर सेक्टर भी है। यह हैकर चंद सेकेंड में ही किसी भी शहर, राज्य या देश के कई हिस्सों में बिजली आपूर्ति बाधित कर सकते हैं।
ऐसे होता है हमला
पावर ट्रांसमिशन में उपकरण कई सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर से जुड़े होते हैं। अगर किसी एक सिस्टम से मालवेयर सॉफ्टवेयर में प्रवेश कर गया, तो यह पूरे कोर सिस्टम में पहुंच जाएगा।
मिसाइल सिस्टम तक हो सकता ध्वस्त
मोटवानी बिल्डिंग में एप्लाइड क्रिप्टोग्राफी और साइबर सिक्योरिटी पर आयोजित कार्यशाला 'स्पेस 2018Ó में आइआइटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. संदीप शुक्ला ने बताया कि साइबर अपराध से न सिर्फ बिजली चोरी हो सकती है, बल्कि सूचना तकनीक, वायरलेस से लेकर मिसाइल सिस्टम तक को ध्वस्त किया जा सकता है।
संस्थान में बन रहा थ्री सी आइ भवन
आइआइटी में साइबर सिक्योरिटी भवन बनाया जा रहा है। इसे 'थ्री सी आइÓ नाम दिया जाएगा। यह काफी भारी भरकम उपकरण होगा, जिसमें किसी भी सॉफ्टवेयर की पड़ताल की जा सकेगी। पावर सेक्टर के उपकरणों को चेक किया जाएगा।
कंपनियों को 80 फीसद नुकसान
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के प्रो. अभिक राय के मुताबिक सॉफ्टवेयर और प्रोग्रामिंग करने वाली कंपनियों को 'बग्स' दूर करने में 80 फीसद तक नुकसान होता है। कई नामी कंपनियां तो हर माह अलर्ट जारी कर सॉफ्टवेयर अपडेट करने का मैसेज जारी करती हैं। अब इसके लिए ऐसे टूल्स बनाए गए हैं, जिनकी सहायता से कंपनियों को साफ्टवेयर अपडेट करने में आसानी होगी। उसका लाभ उपभोक्ताओं को भी मिलेगा।
मालवेयर की हो सकेगी पहचान
डॉ. आशीष शर्मा ने नए तरह के टूल्स कर प्रदर्शन किया। इसमें उन्हें दिखाया कि कौन से मालवेयर सही हैं या गलत। इनमें सबसे खतरनाक रैंसम मालवेयर होता है। यह हार्ड डिस्क को खराब कर देता है।
ऐसे होता है हमला
पावर ट्रांसमिशन में उपकरण कई सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर से जुड़े होते हैं। अगर किसी एक सिस्टम से मालवेयर सॉफ्टवेयर में प्रवेश कर गया, तो यह पूरे कोर सिस्टम में पहुंच जाएगा।
मिसाइल सिस्टम तक हो सकता ध्वस्त
मोटवानी बिल्डिंग में एप्लाइड क्रिप्टोग्राफी और साइबर सिक्योरिटी पर आयोजित कार्यशाला 'स्पेस 2018Ó में आइआइटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. संदीप शुक्ला ने बताया कि साइबर अपराध से न सिर्फ बिजली चोरी हो सकती है, बल्कि सूचना तकनीक, वायरलेस से लेकर मिसाइल सिस्टम तक को ध्वस्त किया जा सकता है।
संस्थान में बन रहा थ्री सी आइ भवन
आइआइटी में साइबर सिक्योरिटी भवन बनाया जा रहा है। इसे 'थ्री सी आइÓ नाम दिया जाएगा। यह काफी भारी भरकम उपकरण होगा, जिसमें किसी भी सॉफ्टवेयर की पड़ताल की जा सकेगी। पावर सेक्टर के उपकरणों को चेक किया जाएगा।
कंपनियों को 80 फीसद नुकसान
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के प्रो. अभिक राय के मुताबिक सॉफ्टवेयर और प्रोग्रामिंग करने वाली कंपनियों को 'बग्स' दूर करने में 80 फीसद तक नुकसान होता है। कई नामी कंपनियां तो हर माह अलर्ट जारी कर सॉफ्टवेयर अपडेट करने का मैसेज जारी करती हैं। अब इसके लिए ऐसे टूल्स बनाए गए हैं, जिनकी सहायता से कंपनियों को साफ्टवेयर अपडेट करने में आसानी होगी। उसका लाभ उपभोक्ताओं को भी मिलेगा।
मालवेयर की हो सकेगी पहचान
डॉ. आशीष शर्मा ने नए तरह के टूल्स कर प्रदर्शन किया। इसमें उन्हें दिखाया कि कौन से मालवेयर सही हैं या गलत। इनमें सबसे खतरनाक रैंसम मालवेयर होता है। यह हार्ड डिस्क को खराब कर देता है।
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