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विश्वविद्यालय में अब रेडवर्म पर होगा दवाओं का परीक्षण, M.pharma के स्टूडेंट्स इस विषय पर करेंगे अध्ययन

अभी तक केचुओं का होता था इस्तेमाल घटती संख्या बनी कारण। विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. अजय गुप्ता बताते हैं कि रेडवर्म की खासियत यह है कि इनकी संख्या कृत्रिम रूप से बढ़ा सकते हैं जबकि देशी केचुए के मामले में ऐसा नहीं है।

By ShaswatgEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 09:11 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 09:11 AM (IST)
विश्वविद्यालय में अब रेडवर्म पर होगा दवाओं का परीक्षण, M.pharma के स्टूडेंट्स इस विषय पर करेंगे अध्ययन
रेडवर्म पर परीक्षण करने का फार्मूला छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय ने तलाश लिया है।

कानपुर, जेएनएन। किसानों के मित्र देशी केचुओं पर दवा का परीक्षण करने से उनकी तेजी से घटती संख्या को लेकर चिंतित सीएसजेएमयू अब रेडवर्म पर दवाओं का परीक्षण करेगा। रेडवर्म पर पेट के कीड़ों की दवा का परीक्षण करने का फार्मूला छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय ने तलाश लिया है। इस वर्ष एमफार्मा इन फार्माकोलॉजी के नए कोर्स में प्रवेश लेने वाले छात्र रेडवर्म के जरिए दवाओं के परीक्षण का अध्ययन करना सीखेंगे। विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग ने रेडवर्म पर कृमिरोधी दवाइयों की टेस्टिंग के बेहतर परिणाम पाए हैं। इसके बाद अब नई दवाओं पर इसका परीक्षण करने की योजना है। सत्र 2020-21 में एमफार्मा फार्माकोलॉजी के कोर्स में यह अध्ययन शामिल किया गया है। फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री व फार्मास्यूटिकल विषयों में भी इसका प्रयोग कराया जाएगा।

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केचुआ खाद के प्रयोग से उत्पादकता में होती वृद्धि 

मिट्टी को उपजाऊ बनाने में केचुओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। केचुआ खाद के प्रयोग से उत्पादकता में 50 से 60 फीसद तक फसलों में वृद्धि की जा सकती है। केचुआ खाद से भूमि भुरभुरी व उपजाऊ बनती है। इससे पौधों की जड़ों के लिए उचित वातावरण बनता है, जिससे उनका अच्छा विकास होता है। पेट के कीड़ों की दवा बनाने के दौरान केचुओं पर उसका परीक्षण करने से उनकी संख्या कम होती जा रही है जो कृषि के लिए ङ्क्षचता का कारण है। विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. अजय गुप्ता बताते हैं कि रेडवर्म की खासियत यह है कि इनकी संख्या कृत्रिम रूप से बढ़ा सकते हैं, जबकि देशी केचुए के मामले में ऐसा नहीं है। यही कारण है कि रेडवर्म पर दवा का परीक्षण करने से बिना देशी केचुए को नुकसान पहुंचाए लंबी रिसर्च की जा सकती है।

एक परीक्षण में 90 केचुए खत्म होते

डॉ. गुप्ता ने बताया कि पेट के कीड़ों की दवाओं पर रिसर्च करने के लिए केचुए के कई सेट लगाए जाते हैं। इससे उनकी जरूरत अधिक होती है। दवाओं का एक परीक्षण तीन सेट में पूरा होता है। प्रत्येक परीक्षण में 20 से 30 केचुओं की जरूरत हो सकती है। इस प्रकार 90 केचुओं की एक परीक्षण में जरूरत पड़ सकती है। रेडवर्म के जरिए किए गए परीक्षण के सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद अब दवाओं की जांच इन पर आसानी से की जा सकती है, जिससे देशी केचुओं के बचाया जा सकेगा।

क्या है रेडवर्म

रेडवर्म भी देशी केचुआ (अर्थवर्म)  की तरह ही केचुए की एक प्रजाति है। रेडवर्म की खासियत ये है कि इसकी प्रजनन दर देशी केचुए के मुकाबले अधिक होती है।  


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