गंगा में मछलियों के विलुप्त होने की वजह तलाशेंगे सीएसजेएमयू के प्रोफेसर
बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग में करेंगे शोध, गंगा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बरकरार रखने में मछलियां मददगार।
By Edited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 01:11 AM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 11:46 AM (IST)
समीर दीक्षित, कानपुर : पतित पावनी गंगा से रूठ कर विलुप्त हो रहीं मछलियां वाकई चिंता का विषय हैं। यह मछलियां गंगाजल को निर्मल और अविरल बनाने में सहायक होती हैं, तो उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बरकरार रखती हैं। ऐसे में उनका विलुप्त होना मां गंगा के लिए एक तरह से खतरे का संकेत है। सीएसजेएमयू के प्रोफेसर इसकी वजह का पता लगाने में जुट गए हैं ताकि समय रहते उसका समाधान कर लिया जाए।
गंगा में विभिन्न प्रजाति की मछलियों की संख्या कम होती जा रही है। इसकी वजह जानने के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विवि के बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर शोध करेंगे। फिलहाल जो जानकारी आई है, उसके मुताबिक 'रीटा-रीटा' प्रजाति की मछली तेजी से विलुप्त हो रही है। इस मछली का उपयोग खाने में अधिक किया जाता है।
वहीं रोहू प्रजाति की मछली गंगाजल में ऑक्सीजन की मात्रा बरकरार रखने में मददगार होती है। न जानें क्यों, यह भी गंगा से रूठने लगी है। इसके अलावा मछलियों की कई अन्य प्रजातियां हैं, जिन पर शोध किया जाएगा। इसकी शुरुआत जीन एक्सप्रेशन से होगी। इन मछलियों पर होगा शोध मिस्टस टेंगारा, मिस्टस विंट्टेटस, क्लैरियस बैट्राचस, हेट्रोपन्यूस्टिक फॉसिल्स, बेगेरियस आदि। सीएसजेएमयू बीएसबीटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वर्षा गुप्ता का कहना है कि स्वस्थ ईको सिस्टम के लिए गंगा में सभी जलीय जीवों की अहम भूमिका है। उसमें मछलियां भी शामिल हैं। यह पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को बरकरार रखने में मददगार होती हैं।
इन कारणों को लेकर होगी कवायद
- गंगा के पानी में भारी तत्वों का मौजूद होना
- मछलियों के अंडों का टूट जाना
- पानी में सीवेज या गंदगी की वजह से प्रदूषण
- पानी के रंग का बार-बार बदलना
गंगा में विभिन्न प्रजाति की मछलियों की संख्या कम होती जा रही है। इसकी वजह जानने के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विवि के बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर शोध करेंगे। फिलहाल जो जानकारी आई है, उसके मुताबिक 'रीटा-रीटा' प्रजाति की मछली तेजी से विलुप्त हो रही है। इस मछली का उपयोग खाने में अधिक किया जाता है।
वहीं रोहू प्रजाति की मछली गंगाजल में ऑक्सीजन की मात्रा बरकरार रखने में मददगार होती है। न जानें क्यों, यह भी गंगा से रूठने लगी है। इसके अलावा मछलियों की कई अन्य प्रजातियां हैं, जिन पर शोध किया जाएगा। इसकी शुरुआत जीन एक्सप्रेशन से होगी। इन मछलियों पर होगा शोध मिस्टस टेंगारा, मिस्टस विंट्टेटस, क्लैरियस बैट्राचस, हेट्रोपन्यूस्टिक फॉसिल्स, बेगेरियस आदि। सीएसजेएमयू बीएसबीटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वर्षा गुप्ता का कहना है कि स्वस्थ ईको सिस्टम के लिए गंगा में सभी जलीय जीवों की अहम भूमिका है। उसमें मछलियां भी शामिल हैं। यह पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को बरकरार रखने में मददगार होती हैं।
इन कारणों को लेकर होगी कवायद
- गंगा के पानी में भारी तत्वों का मौजूद होना
- मछलियों के अंडों का टूट जाना
- पानी में सीवेज या गंदगी की वजह से प्रदूषण
- पानी के रंग का बार-बार बदलना
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