कृषि विशेषज्ञ विकसित कर रहे तकनीक, नैनो पार्टिकल्स का होगा फसलों में इस्तेमाल
सीएसए कृषि विश्वविद्यालय की तकनीक से नई प्रजातियां विकसित होने से किसानों की आय दोगुनी करने मददगार होगा।
कानपुर, जेएनएन। अब कम लागत में ही फसलों का ज्यादा उत्पादन लिया जा सकेगा। यह कदम किसानों की आयु दोगुनी करने में भी मददगार होगा। इसके लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के विशेषज्ञ नई प्रजातियां विकसित करने में जुटे हैं, जिसके बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। यह खास तरह के नैनो पॉर्टिकल्स से संभव होगा, जो सोडियम, पोटेशियम समेत दूसरे पोषक तत्वों से भरपूर होंगे। इनके इस्तेमाल का असर मिट्टी में नहीं, बल्कि सीधे पौधों पर होगा।
इस तरह करेगा काम
अभी किसान फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक और रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। इनमें नाइट्रोजन, फॉसफोरस, पोटेशियम, जिंक, कॉपर आदि शामिल हैं। इनके अलग अलग और मिले हुए उर्वरक आते हैं, जिनसे कई बार मिट्टी को भी नुकसान पहुंचने से उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। इससे उबरने के लिए अब सीएसए के विशेषज्ञ कंपनी के सहयोग से नैनो पार्टिकल्स पर काम कर रहे हैं, जो तरल पदार्थ के रूप में हैं। इनको पानी के साथ मिलाकर फसलों की पत्तियों पर छिड़का जाएगा। 20 और 40 मिलीलीटर के तरल पदार्थ को एक लीटर पानी में मिलाना पड़ेगा।
धान और गेहूं में होगा इस्तेमाल
स्वायल साइंस के हेड डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय के उत्तरीपूरा बिल्हौर स्थित फार्म हाउस में धान और गेहूं पर खास तरह के नैनो पॉर्टिकल्स का इस्तेमाल किया जाएगा। यहां पर लिक्विड नैनो पार्टिकल्स से फसलों का उत्पादन देखा जाएगा। इसके बाद नई प्रजातियों पर काम होगा। इसमें दो से तीन साल का समय लगेगा।
एक हेक्टेयर क्षेत्र में 500 लीटर द्रव्य की जरूरत
निदेशक शोध डॉ. एचजी प्रकाश ने बताया कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 500 लीटर द्रव्य मिला पानी की जरूरत पड़ती है। इससे किसानों की लागत कम हो जाएगी। सीमित मात्रा में पोषक तत्वों के इस्तेमाल से नई प्रजातियों को विकसित किया जा सकेगा। सीएसए के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट संचालित किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ और कृषि विज्ञान केंद्रों के कृषि वैज्ञानिक किसानों की तकनीकी मदद भी कर रहे हैं। जल्द ही कई और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे। जल्द ही बेहतरी आएगी।