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Beware: गले और फेफड़ों के बाद अब Coronavirus कर रहा सीधे दिल पर अटैक, कम कर देता पल्स रेट

कोरोना संक्रमण शरीर के कई हिस्सों को निशाना बना रहा है। नाक गला और फेफड़ों के बाद संक्रमण सीधे हार्ट तक पहुंचने लगा है। कार्डियोलॉजी संस्थान और हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में कई मरीजों में समस्या सामने आई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 08:53 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 08:53 AM (IST)
Beware: गले और फेफड़ों के बाद अब Coronavirus कर रहा सीधे दिल पर अटैक, कम कर देता पल्स रेट
हार्ट को निशाना बना रहा कोरोना संक्रमण।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। कोरोना वायरस का संक्रमण नाक, गला, फेफड़े के साथ ही दिल पर भी हमला कर रहा है। संक्रमण की वजह से रोगियों की धड़कन अनियंत्रित हो रही हैै। इसके साथ ही उनके दिल में दर्द भी हो रहा है। कार्डियोलॉजी संस्थान और हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में इस तरह की समस्या लेकर कई रोगी आ रहे हैं। उनको हार्ट अटैक जैसा महसूस हो रहा है। ऐसी समस्या उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को होती थी। अब सामान्य संक्रमितों में भी यह समस्या होने लगी है। खून में थक्के जमने से उनके दिल के कार्य करने की प्रणाली में गड़बड़ी हो रही है।

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कार्डिक सर्जन डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि इमरजेंसी में कई मरीज हार्ट अटैक की समस्या लेकर आ रहे हैं। उन्हें मायोकार्डियल इनफ्रेक्शन की दिक्कत रहती है। कोविड संक्रमण होते ही खून की नलियों में थक्के जमने लगते हैं। इसकी वजह से खून का बहाव कम हो जाता है। इस स्थिति में दिल का दौरा पड़ता है। इसके अलावा कार्डिटिस के साथ कई रोगी आ रहे हैं। इसमें पल्स रेट गिरकर 30 तक पहुंच जाता है। इमरजेंसी में तुरंत पेस मेकर डालने की नौबत आती हैं। यह समस्या संक्रमण की वजह से आ रही है। सामान्य पल्स रेट 60 से 90 के बीच में रहता है।

बढ़ रहा दिल का आकार

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. एस के गौतम के मुताबिक कोरोना संक्रमण के चलते दिल का आकार बढऩे लगा है। इसे कार्डियोमायोपैथी कहते हैं। इसमें दिल के पंप करने की क्षमता 30 से 40 फीसद तक कम हो जाती है। मरीज की सांस फूलने लगती है। दिल में दर्द होता है। दिल की मासंपेशियों में भी सूजन आ जाती है।

धड़कन में हो रहा उतार चढ़ाव

कार्डियोलॉजी संस्थान के डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि पोस्ट कोविड मरीजों की धड़कन में काफी उतार चढ़ाव हो रहा है। किसी में पल्स रेट 110 से ऊपर पहुंच जा रही है। कुछ कुछ रोगियों में 130 से 140 के पास भी मिली है। इसे ट्राइकी कार्डिया कहते हैं। कुछ मरीजों की पल्स रेट 60 के नीचे मिल रही है। इसे ब्राडिकार्डिया कहते हैं। इसमें रोगी कमजोरी, घबराहट, तनाव, ब्लड प्रेशर कम होने की शिकायत कर रहे हैं।


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