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बेहमई सामूहिक नरसंहार : पत्रावली में नहीं मिली मूल केस डायरी, फैसला 24 जनवरी तक फिर टला

दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने 39 साल पहले बीस लोगों को एक साथ मौत के घाट उतार दिया था।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 04:42 PM (IST)
बेहमई सामूहिक नरसंहार : पत्रावली में नहीं मिली मूल केस डायरी, फैसला 24 जनवरी तक फिर टला
बेहमई सामूहिक नरसंहार : पत्रावली में नहीं मिली मूल केस डायरी, फैसला 24 जनवरी तक फिर टला

कानपुर देहात, जेएनएन। बेहमई गांव में 39 साल पूर्व हुए सामूहिक नरसंहार कांड का फैसला एक बार फिर टल गया है। बीती छह जनवरी को कानपुर देहात की कोर्ट में फैसला सुनाया जाना था लेकिन बचाव पक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट रूलिंग पेश करने के लिए समय मांगा गया था।

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इस पर कोर्ट ने फैसले के लिए 18 जनवरी की तिथि तय की थी। शुक्रवार को वकील द्वारा रूलिंग दाखिल किए जाने के बाद शनिवार को फैसला सुनने के लिए परिसर में बेहमई व क्षेत्र के लोग पहुंच गए थे। चारों आरोपितों को भी कोर्ट में पेश किया गया लेकिन प्रकरण की मूल केस डायरी पत्रावली पेश न होने से कोर्ट ने फैसला टाल दिया है। कोर्ट ने अब 24 जनवरी को फैसला सुनाने की तिथि नियत की है। 

14 फरवरी 1981 को सिकंदरा थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी, राम औतार, मुस्तकीम और लल्लू गैंग से जुड़े 35-36 लोगों ने धावा बोल दिया था। डकैतों ने लूटपाट के साथ ही 26 पुरुषों को गांव के बाहर कतारबद्ध खड़ा कर अधाधुंध फायरिंग की थी। जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि छह लोग गंभीर घायल हो गए थे। गांव के राजाराम सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने उक्त चारों सरगनाओं सहित 23 लोगों को आरोपित बनाया था, जिसमें 16 लोगों की मौत हो चुकी है।

प्रशासनिक कार्यप्रणाली व राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे कारणों के चलते घटने के 33 साल बाद 24 अगस्त 2012 को पांच आरोपितों भीखा, पोसे उर्फ पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी उर्फ कृष्ण स्वरूप, श्याम बाबू व राम सिंह के खिलाफ ट्रायल शुरू हो सका। 13 फरवरी 2019 को जिला जेल में निरुद्ध राम सिंह की मौत हो चुकी है। पोसे उर्फ पोसा जेल में है, जबकि तीन अन्य जमानत पर हैं। घटना के बाद से जालौन जिले के तीन आरोपित मान सिंह, रामकेश व विश्वनाथ उर्फ अशोक फरार चल रहे हैं।

मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय दस्यु प्रभावित कोर्ट में चल रही है। न्यायालय की ओर से छह जनवरी फैसले की तिथि घोषित की गई थी, लेकिन बचाव पक्ष के अधिवक्ता गिरीश नारायण द्विवेदी की ओर से केस से जुड़े प्रमुख बिंदुओं को लेकर नजीरें पेश करने के लिए समय मांगने पर फैसले की तिथि 18 जनवरी कर दी गई।

जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया की बचाव पक्ष को 16 जनवरी तक का समय दिया गया था। शनिवार को फैसला आ सकता है। फैसले की घड़ी नजदीक आने पर पीडि़तों के स्वजनों में एक बार फिर न्याय की आस जगी है।

कोर्ट परिसर में सुबह से हलचल, पेश किए गए चार आरोपित

बेहमई नरसंहार में चार आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में फैसला सुनाए जाने को लेकर सुबह परिसर में चहल पहल है। बेहमई समेत आसपास क्षेत्र से भी लोग फैसला सुनने के लिए पहुंचे हैं। कोर्ट के बाहर परिसर में लोगों की भीड़ मौजूद है। पहले फैसला छह जनवरी को आना था।

वकील ने उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय की नजीरे पेश करने के लिए समय मांगा था। प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने 16 जनवरी तक का समय दिया था और शनिवार को फैसला सुनाने की तारीख मुकर्रर की थी।

शनिवार को फैसले की तारीख के चलते कोर्ट परिसर में भीड़ लगी हुई है। मामले में जेल में निरुद्ध आरोपित जालौन चुरखी गांव पाता निवासी 75 वर्षीय पोसा, जमानत पर चल रहे आरोपित 65 वर्षीय भीखा, कानपुर देहात सिंकदरा महेशपुर निवासी 54 वर्षीय विश्वनाथ और औरैया गांव साडा पन्ना निवासी 70 वर्षीय श्यामबाबू कोर्ट में हाजिर हुए हैं। पांचवें आरोपित जालौन रामपुरा निवासी रामसिंह की फरवरी 2019 में जेल में मौत हो गई थी।  


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