तेरह साल पहले की गई खता की अब भुगतेंगे सजा
ककवन के मजदूर की फैक्ट्री मालिक ने की थी हत्या। पनकी में लूट के इरादे से भतीजे ने मौसा को मार डाला था। नाबालिग आरोपित का मुकदमा जुवनाइल कोर्ट में विचाराधीन है।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। कहते हैं कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, इंसान को उसकी खता की सजा जरूर भुगतनी पड़ती है। दो ऐसे ही मामले में हैं, जिनमें एक भतीजे और एक मालिक को आखिर सजा भुगतने का समय आ ही गया। अब तक उन दोनों पर कोर्ट में मामला विचाराधीन था, अब न्यायाधीश ने भी अपना फैसला सुना दिया है।
झूठी सूचना देकर किया था गुमराह
ककवन के नदीहाधाम निवासी विपिन कुमार दादानगर की एक फैक्ट्री में काम करता था। 6 जून 2005 को फैक्ट्री मालिक फूल कुमार ने परिजनों को सूचना दी कि करंट से विपिन की हालत गंभीर है उसे अस्पताल लेकर जा रहे हैं। पिता रामचंद्र तिवारी हैलट अस्पताल पहुंचे तो उसकी मौत हो चुकी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने से मौत की पुष्टि हुई।
मजदूर की हत्या में फैक्ट्री मालिक को सुनाई गई उम्रकैद
परिजनों ने आरोप लगाया कि विपिन के छह माह का वेतन बकाया था। उसकी शादी तय हो गई तो उसने फैक्ट्री मालिक से बकाया वेतन मांगा जिसके बाद घटना को अंजाम दिया। 29 अक्टूबर 2005 को दिए मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ। फैक्ट्री मालिक फूल कुमार वर्मा और उनके पार्टनर बृजेश कुमार, आदित्य कुमार और रमेश को आरोपित किया गया था।
विशेष अभियोजन अधिकारी केके शुक्ला ने बताया कि पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर ने कोर्ट में गला दबाकर मौत की बात कही। सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश रजत सिंह जैन ने फैक्ट्री मालिक फूल कुमार को उम्रकैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपित दो पार्टनरों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।
मौसा को मौत के घाट उतारने में आजीवन कारावास की सजा
पनकी के गंगागंज में राजकुमार वर्मा (52) पत्नी के साथ रहते थे। घटना से दो दिन पूर्व पत्नी लखनऊ में बेटे के पास गई थी। राजकुमार घर में अकेले थे। इसका फायदा उठाकर चंद्रनगर निवासी अमित कुमार अपने दोस्त के साथ 25 अप्रैल 2014 की रात घर पहुंचा और मौसा को फोन कर दरवाजा खुलवाया। राजकुमार ने दरवाजा खोला तो उसने कहा, काफी दूर से आ रहा हूं भूख लगी है। जिस पर वह किचन में खाना बनाने चले गए।
डीजीसी क्रिमिनल संतोष यादव और एडीजीसी आसिफ अली ने बताया कि इसका फायदा उठाकर अमित ने भारी वस्तु से उनके सिर पर प्रहार किया। वह बेहोश हो गए तो रस्सी से गला कसकर हत्या कर दी। घर में रखे सोने चांदी के आभूषण और रुपये लेकर फरार हो गया। दूसरे दिन उनके बेटे अनुराग ने फोन किया तो फोन बंद था। पड़ोसियों को फोन किया तो वह घर पहुंचे। वह कमरे में मृत मिले।
पुलिस ने अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज की थी। पुलिस ने कॉल डिटेल खंगाली तो अमित पर शक हुआ। 30 अप्रैल को उसे भौंती बाईपास से गिरफ्तार कर लूटा गया सामान बरामद किया गया। जनपद न्यायाधीश रामकृष्ण गौतम ने आरोपित भतीजे को उम्रकैद और 25 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया। जुर्माने की धनराशि से 20 हजार रुपये मृतक की पत्नी को दिए जाएंगे। नाबालिग होने के चलते दूसरे आरोपित का मुकदमा जुवनाइल कोर्ट में विचाराधीन है।