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कोरोना को हराने वालों पर वायरस छोड़ रहा प्रभाव, पैंक्रियाज की बीटा सेल क्षतिग्रस्त होने से पनप रही बीमारी

हैलट के कोविड हॉस्पिटल से स्वस्थ होकर घर जाने वाले 3.5 फीसद लोगों में मधुमेह की समस्या सामाने आ रही है कोरोना को हराने के बाद इंसुलिन बनने की क्षमता प्रभावित हो रही है। इस स्थिति पर अब शोध की तैयारी की जा रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 09:25 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 09:25 AM (IST)
कोरोना को हराने वालों पर वायरस छोड़ रहा प्रभाव, पैंक्रियाज की बीटा सेल क्षतिग्रस्त होने से पनप रही बीमारी
कारोना वायरस से ठीक हुए लोगों में मधुमेह की समस्या हो रही है।

कानपुर, ऋषि दीक्षित। कोरोना वायरस पैंक्रियाज को भी प्रभावित कर रहा है। संक्रमण से उबरने के बाद वजन कम होने और भूख घटने की समस्या लेकर एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) पहुंचे लोगों में ब्लड शुगर अनियंत्रित मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस पैंक्रियाज की बीटा सेल क्षतिग्रस्त कर रहा है, जिसका दुष्प्रभाव मधुमेह (डायबिटीज) के रूप में सामने आ रहा है। विदेश में अध्ययन में पुष्टि होने के बाद अब यहां भी शोध की तैयारी है।

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हैलट के कोविड हॉस्पिटल में बीते छह माह में 2542 कोरोना संक्रमित भर्ती हुए। 2163 लोग स्वस्थ होकर जा चुके हैं। कुछ ऐसे मरीज सामने आए, जिनमें संक्रमण से उबरने के 20-25 दिन बाद से मधुमेह के लक्षण उभरने लगे। उनका वजन गिरने के साथ ही भूख घटने और गला सूखने की दिक्कत थी। कमजोरी महसूस होने पर उन्होंने हैलट के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.एसके गौतम को दिखाया। मधुमेह की जांच में मरीजों के ब्लड में शुगर लेवल 500-600 तक मिला। इस पर मधुमेह नियंत्रित करने की दवाएं शुरू की गईं।

अब तक 76 मरीजों में समस्या

कोरोना से उबरने वाले 76 मरीजों में मधुमेह की समस्या मिली। यह आंकड़ा कुल स्वस्थ मरीजों का करीब 3.5 फीसद है। इनमें से किसी को मधुमेह नहीं थी, न ही इनके परिवार में कभी किसी को समस्या थी।

लंग्स से पेट के रास्ते पैंक्रियाज तक पहुंच रहा वायरस

डॉ. गौतम ने बताया कि एंजियोटेनसिन कनवर्टर एंजाइम (एसीई) जिसे एसटू रिसेप्टर भी कहते हैं, यह फेफड़े (लंग्स) में पाए जाते हैं। ठीक ऐसे ही एसटू रिसेप्टर पैंक्रियाज में भी होते हैं। कोरोना वायरस लंग्स से होकर पेट के रास्ते एसटू रिसेप्टर के जरिए पैंक्रियाज की बीटा सेल में चिपक कर उसे क्षतिग्रस्त करने लगते हैं, जिससे इंसुलिन बनने की क्षमता प्रभावित होती है। इसीलिए कोरोना से ठीक होने के बाद मधुमेह की समस्या हो रही है। उन्होंने बताया कि कोरोना और मधुमेह को लेकर चीन में दो शोध हो चुके हैं। पहले 56 मरीजों पर अध्ययन किया गया, जिसमें से 11 लोगों में पैंक्रियाज में दिक्कत से डायबिटीज हुई। दूसरी बार 281 मरीजों पर अध्ययन किया गया, जिसमें से 40 की मधुमेह अनियंत्रित थी।

  • लेवल-थ्री कोविड हॉस्पिटल में गंभीर मरीज ही भर्ती होते हैं। कुछ की भर्ती होने के समय मधुमेह अनियंत्रित थी। अन्य संक्रमितों के स्वस्थ होने के बाद मधुमेह हुई, जिससे स्पष्ट है कि कोरोना पैंक्रियाज की बीटा सेल को प्रभावित कर रहा है। डाटा एकत्र कर एथिकल कमेटी की अनुमति से जल्द शोध शुरू करेंगे।- डॉ. एसके गौतम, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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