Move to Jagran APP

कानपुर के इस गांव में सजगता की डोज से हारा कोरोना, श्मशान घाट जाने वालों की यहां पर नो एंट्री

मौतों के आंकड़े बेचैन करने वाले हैं। इन सबके बीच कानपुर के सरसौल ब्लाक में गंगा तट पर बसे गांव नागापुर के ग्रामीणों ने सजगता की डोज से कोरोना को हराने में कामयाबी पाई है। बाहरी लोगों का प्रवेश रोकने को अलग-अलग समय ड्यूटी तय है।

By Akash DwivediEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:10 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:10 AM (IST)
कानपुर के इस गांव में सजगता की डोज से हारा कोरोना, श्मशान घाट जाने वालों की यहां पर नो एंट्री
खांसी, बुखार, जुकाम व सांस लेने में दिक्कत की भी शिकायत किसी को नहीं

कानपुर (शैलेंद्र त्रिपाठी)। भले कोरोना संक्रमण से देश-दुनिया बेहाल है। गांव से लेकर शहरों तक हर कोई सहमा है। काल की क्रूर लीला का खौफ तारी है। मौतों के आंकड़े बेचैन करने वाले हैं। इन सबके बीच कानपुर के सरसौल ब्लाक में गंगा तट पर बसे गांव नागापुर के ग्रामीणों ने सजगता की डोज से कोरोना को हराने में कामयाबी पाई है। बाहरी लोगों का प्रवेश रोकने को अलग-अलग समय ड्यूटी तय है। इसी वजह से अब तक गांव कोरोना संक्रमण से मुक्त है। खांसी, बुखार, जुकाम व सांस लेने में दिक्कत की भी शिकायत किसी को नहीं हुई।

loksabha election banner

ड्योढ़ी पर सतर्क रहती महिलाएं : नागापुर से होकर गंगा तट स्थित श्मशान घाट तक आम दिनों में प्रतिदिन तमाम लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने जाते हैं। पिछले साल से गांव में उन सबका प्रवेश पूरी तरह से वॢजत है। सड़क वाले मकानों की महिलाएं अपनी-अपनी ड्योढ़ी से बाहरी लोगों की निगरानी करती हैं। अंतिम संस्कार कराने वाले पंडों को भी सख्त हिदायत है।

पंचायत भवन क्वारंटाइन सेंटर, फिर घर में प्रवेश : दूसरे प्रांतों से लौटने वाले नौकरीपेशा लोगों को पहले पंचायत भवन में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाता है। अवधि पूरी होने के बाद ही उन्हेंं घर पर रहने की अनुमति मिलती है। गांव की आशा संगिनी संगीता त्रिपाठी और आशा बहू नीतू निगरानी की जिम्मेदारी निभाती हैं।

शहर से मुफीद गांव : नागापुर निवासी अनुरंजन व अनुपम त्रिपाठी नौबस्ता के बसंत विहार में रहते हैं। कोरोना संक्रमण फैलने पर गांव में ट्यूबवेल पर बनी कोठरी में परिवार समेत रहने आ गए। ऐसे ही कई लोग यहां सुरक्षित हैं।

इनको बनाया हथियार

  • शारीरिक दूरी और मास्क के नियम का पालन।
  •  इम्युनिटी बढ़ाने को गिलोय, हल्दी मिला दूध व प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल।
  •  बाहरी लोगों, रिश्तेदारों का गांव में पूरी तरह प्रवेश प्रतिबंधित।
  • दिव्यांग कल्लू भी लाठी लिए मुख्य मार्ग पर डटे दिखते हैं।
  •  अनजान के मिलने पर पूरी जानकारी लेकर गांव में घुसने नहीं देते।

इनका ये है कहना

  • नीम चढ़ी गिलोय और काढ़ा नियमित सेवन करते हैं। दूसरों को भी सीख देते हैं। हरेंद्र त्रिपाठी, श्रीकृष्ण निषाद, रामऔतार, दयाशंकर तिवारी समेत ज्यादातर के परिवार भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

                                                                                        रामप्रकाश त्रिपाठी, ग्रामीण

  • सजगता व समझदारी से गांव पूरी तरह संक्रमण मुक्त है। मॉस्क व शारीरिक दूरी के लिए सभी एक-दूसरे को प्रेरित और उत्साहित करते हैं।

                                                                                          राधिका सिंह, ग्राम प्रधान।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.