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अपनी ही 'राजसभा' में कांग्रेस का 'चीरहरण'

पहली बार जमीनी कार्यकर्ताओं की आवाज सुनने को कांग्रेस झुकी तो बुरी तरह खुरदुरी हो चुकी सियासी जमीन नजर आ गई। खुद की ही सजाई 'राजसभा' में कांग्रेस का 'चीरहरण' हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 May 2018 01:58 AM (IST)Updated: Sun, 13 May 2018 01:58 AM (IST)
अपनी ही 'राजसभा' में कांग्रेस का 'चीरहरण'
अपनी ही 'राजसभा' में कांग्रेस का 'चीरहरण'

जागरण संवाददाता, कानपुर : पहली बार जमीनी कार्यकर्ताओं की आवाज सुनने को कांग्रेस झुकी तो बुरी तरह खुरदुरी हो चुकी सियासी जमीन नजर आ गई। खुद की ही सजाई 'राजसभा' में कांग्रेस का 'चीरहरण' हो गया। प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेशाध्यक्ष राज बब्बर के सामने कार्यकर्ताओं ने वरिष्ठ नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों की कलई खोलकर रख दी। पार्टी को डुबोने, नगर निगम चुनाव में प्रत्याशियों को हराने का पूरा ठीकरा नेताओं पर यूं फोड़ा कि वह बगले झांकते रहे या फिर उठकर चले गए।

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लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस संगठन की हकीकत से वाकिफ होना चाहती है। कार्यकर्ता सम्मेलन के रूप में शनिवार को कानपुर से इसकी शुरुआत हुई। सिविल लाइन्स स्थित रागेंद्र स्वरूप सभागार में हुए सम्मेलन में कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेशाध्यक्ष राज बब्बर आए। कार्यकर्ताओं को मौका मिला तो उन्होंने बेहिचक अपने दिल का गुबार निकाला। केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व के सामने दो टूक लहजे में बताया कि कैसे दो दिग्गज नेताओं के गुट में पार्टी बंटकर रह गई है। जीते हुए कांग्रेस पार्षद तो अपने अनुभव किसी लिहाज से दबा-छिपा गए, लेकिन हारे हुए प्रत्याशियों ने तो जैसे बखिया ही उधेड़ दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल हों, पूर्व विधायक अजय कपूर या छावनी विधायक सोहेल अंसारी, कार्यकर्ताओं ने किसी को नहीं छोड़ा। साफ कहा कि ये बड़े नेता तो चाहते हैं कि हम इन्हें चुनाव लड़ाएं लेकिन, हमारे चुनाव में आए तक नहीं। हारे प्रत्याशियों ने आरोप लगाए कि पार्टी के बड़े नेताओं ने निर्दलीय प्रत्याशियों का समर्थन कर पार्टी प्रत्याशियों को ही हराया।

सभी बातों को प्रदेश प्रभारी और प्रदेशाध्यक्ष डायरी में नोट करते रहे। बातों से सहमत होते, तो हां में सिर हिलाते। यदि कोई कार्यकर्ता खुलकर किसी नेता का नाम न लेता तो स्थानीय पदाधिकारियों से पूछ लेते। फिर उस वक्ता को पास बुलाकर गुलाम नबी पूरा माजरा समझते और आश्वस्त करते कि इन गलतियों को सुधारा जाएगा। इस माहौल में पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल आधे कार्यक्रम से तो अजय कपूर लंच टाइम के बाद वहां से चले गए।

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नेताओं की जय-जयकार पर बिगड़े आजाद

कुछ नेताओं ने इस कार्यकर्ता सम्मेलन में अपना चेहरा चमकाने का भी प्रयास किया। अपने साथ कार्यकर्ताओं की भीड़ ले जाकर शक्ति प्रदर्शन का प्रयास किया। प्रदेश प्रभारी और प्रदेशाध्यक्ष कार्यक्रम स्थल पहुंचे तो एक पूर्व विधायक और एक पूर्व सांसद के नाम के नारे लगने लगे। पहले गुलाम नबी आजाद ने खुद के नारों के लिए रोका। फिर स्थानीय नेताओं को स्पष्ट हिदायत दी कि अब जिस नेता के नारे लगेंगे, उसके नंबर कट जाएंगे।

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अजय कपूर की कांग्रेस या श्रीप्रकाश की

हरवंश मोहाल से चुनाव हारने वाले सबसे कम उम्र के पार्षद प्रत्याशी कौशिक रजत बाजपेयी ने सभी नेताओं पर चुनाव में सहयोग न करने के खुले आरोप लगाए। बोलते-बोलते भावुक होकर रोने लगे तो कार्यकर्ता उनके समर्थन में खड़े हो गए। जब गुलाम नबी ने बुलाकर उनसे पूछा तो रजत ने साफ कह दिया कि मैं कांग्रेस में आया तो सबसे पहले यही पूछा गया कि अजय कपूर गुट से हो या श्रीप्रकाश गुट से। यहां कांग्रेस की बात कोई नहीं करता।

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मंच पर यह रहे मौजूद

कार्यक्रम की अध्यक्षता महानगर अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री और संचालन एआइसीसी सचिव नसीब सिंह ने किया। मंडल प्रभारी विनोद चतुर्वेदी, कानपुर प्रभारी ओपी श्रीवास्तव, शंकरदत्त मिश्र, भूधर नारायण मिश्र, हाफिज मोहम्मद उमर, संजीव दरियावादी, आलोक मिश्र, बंदना मिश्रा, श्रोत गुप्ता, कृपेश त्रिपाठी, संदीप शुक्ला, रिजवान हामिद, नरेश त्रिपाठी, ग्रीनबाबू सोनकर, उपेंद्र अवस्थी व विमल गुप्ता आदि रहे।


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