# Mee Too : एक सामाजिक समस्या, किसी प्रोफेशन व संस्थान विशेष से जोड़कर नहीं देखा जा सकता
दैनिक जागरण के विमर्श कार्यक्रम के दौरान डीएवी डिग्री कालेज के समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो.जयशंकर पांडेय ने विचार व्यक्त किए।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। फ्रांस से उठी मी टू की गूंज अब हमारे देश में सुनाई देने लगी है। किसी एक प्रोफेशन व संस्थान विशेष को इससे जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। ऐसे मामले सभी संस्थानों में होते हैं। हां यह बात अलग है कि कुछ दब जाते हैं और कुछ सामने आ पाते हैं। हमारी संस्कृति किसी भी गलत रिश्ते को अनुकूल नहीं मानती है लेकिन फिर भी ऐसा हो रहा है इसका कारण यह है कि इसे सामाजिक समस्या के रूप में नहीं लिया गया है। यह विचार 'जागरण विमर्शÓ के दौरान डीएवी डिग्री कालेज के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.जयशंकर पांडेय ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड व मीडिया हाउस में मी टू के मामले सामने आना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे संबंध छिप छिपाकर परिवार से शुरू होते हैं लेकिन विरोध व शिकायत करने का साहस कम लोग ही कर पाते हैं। जिनके साथ यह घटनाएं होती हैं वही इसे बता सकते हैं। ऐसे व्यक्ति भी हैं जो मूल्यों को दबाकर अपने हित साधने में लगे रहते हैं। ऐसे में ही मी टू की परिस्थितियां बनने लगती हैं। मी टू के मामलों पर रोक लगाने के लिए हमें अपने घर में चर्चा करने व समझाने की पहल करनी होगी।
अपने बच्चों को बताएं सही रास्ता
प्रो. पांडेय ने कहा कि बच्चों को यह बताना होगा कि सही रास्ते पर चलकर अपने लक्ष्य की प्राप्त करें न कि अपने हित के लिए कोई गलत कदम उठाएं। घर हो या दफ्तर बौद्धिक स्तर पर हम सहयोग दे सकते हैं। इस पर चर्चा करने व समझने के लिए राजनैतिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक इन सभी आयामों को जानने की जरूरत है। हम परिवार में यह बताएं कि नैतिकता व सामाजिक मूल्यों को अपने व्यवहार में लाना चाहिए। मी टू के लगातार मामले सामने आने के बाद भारतीय संस्कृति पर अध्यादेश लाने की जरूरत है। बड़े पैमाने पर कोशिश की जाए जिससे प्रत्येक नागरिक अपनी संस्कृति को न केवल समझे बल्कि उसका सम्मान भी करे।
विमर्श में निकलीं खास बातें
-सोशल मीडिया को हथियार बनाकर कहें मन की बात।
-मामला उठाए जाने पर सस्ती लोकप्रियता नहीं कह सकते क्योंकि आग लगने पर ही धुआं उठता हैं।
-मी टू यूं ही नहीं सामने आता, लुभावने वादों से फंसाया जाता है।
-परिवार के हर व्यक्ति के रिश्ते का सम्मान करें।
-राष्ट्र को स्थान न देकर व्यक्तिगत लाभ को प्राथमिकता दी जा रही है जिससे बढ़ रहे हैं मामले।