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जमानत खारिज कराने को हाईकोर्ट में लगा दी केस डायरी, कोर्ट ने पुलिस से पूछा आखिर वादी के पास कैसे पहुंच गए दस्तावेज, जांच शुरू

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अजय भनोत ने आरोपित मो. मुस्तफा को जमानत देते हुए इस मामले को गंभीरता से लिया। एसपी को जांच के आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने पूछा है कि आखिर केस डायरी वादी के पास कैसे पहुंच गई।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 10:22 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 10:22 AM (IST)
जमानत खारिज कराने को हाईकोर्ट में लगा दी केस डायरी, कोर्ट ने पुलिस से पूछा आखिर वादी के पास कैसे पहुंच गए दस्तावेज, जांच शुरू
हाईकोर्ट ने पुलिस को दिए जांच के आदेश।

कानपुर, जागरण संवाददाता। पुलिस वादी गठजोड़ का एक मामला सामने आया है। आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कराने के लिए वादी केस डायरी लेकर हाईकोर्ट पहुंच गया। आरोपित की जमानत पत्र के विरोध में शपथ पत्र देते हुए केस डायरी के कई पन्ने लगाए जबकि तब तक निचली कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं हुई थी।

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हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अजय भनोत ने आरोपित मो. मुस्तफा को जमानत देते हुए इस मामले को गंभीरता से लिया। एसपी को जांच के आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने पूछा है कि आखिर केस डायरी वादी के पास कैसे पहुंच गई। मामले की जांच कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को देने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं। बता दें वादी के पास चार्जशीट का पहुंचना साफ तौर पर वादी पुलिस गठजोड़ की ओर इशारा करता है हालांकि सच क्या है, यह जांच के बाद ही साफ होगा। मामला चमनगंज थाने से जुड़ा है। आरोप शहरकाजी के लेटर पैड का दुरुपयोग करने का है।

होटल संचालक ने दर्ज कराया था मुकदमा

चमनगंज के वारसी होटल संचालक मोहम्मद रियाज की तहरीर पर नौ मार्च 2021 को चमनगंज पुलिस ने फहीमाबाद निवासी मोहम्मद मुस्तफा उर्फ दुलारे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। आरोप था कि मो. मुस्तफा खुद को तत्कालीन शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती का पीआरओ बताकर फ्री में खाना खाता था। पैसे मांगने पर होटल सीज कराने की धमकी देता था। शहरकाजी से तस्दीक करने पर उन्होंने मो. मुस्तफा नाम का कोई पीआरओ होने से मना कर दिया। मुस्तफा ने शहरकाजी के लेटर पैड पर कई शिकायतें उच्चाधिकारियों को की थी। इस मामले में 11 सितंबर को उसे जेल भेजा गया। पांच अक्टूबर को जिला न्यायालय से उसकी जमानत अर्जी खारिज हो गई थी।

जमानत अर्जी की यह है प्रक्रिया

मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष शुक्ला बताते हैं कि हाईकोर्ट में जमानत अर्जी आने के बाद विवेचना संबंधी सभी दस्तावेज लगाने की जिम्मेदारी वहां उपस्थित सरकारी वकील की होती है। सरकारी वकील को चार्जशीट, केस डायरी समेत अन्य दस्तावेज संबंधित थाने की पुलिस उपलब्ध कराती है। इस मामले में वादी ने सीधे शपथपत्र के साथ केस डायरी के कई महत्वपूर्ण पन्ने दाखिल कर दिए जबकि तब तक निचली कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं हुई थी। ऐसे में यह केस डायरी उनके पास कैसे पहुंच गई इसी की जांच के आदेश हाईकोर्ट ने पुलिस को दिए हैं।

केस डायरी आरोपित के पास पहुंचने की जांच शुरू

चार्जशीट लगने से पहले ही केस डायरी आरोपित के पास पहुंचने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर कमिश्नरेट पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। डीसीपी ने थाना प्रभारी से पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट देने को कहा है, जबकि थाना प्रभारी इस प्रकरण में लीपापोती करते नजर आए।

थाना प्रभारी चमनगंज बलराम मिश्रा ने बताया कि इस प्रकरण में चार्जशीट कई महीनों पहले अदालत में दाखिल की जा चुकी है। केस डायरी आरोपित तक कैसे पहुंची, उन्हें नहीं पता। हालांकि सच्चाई यह है कि इस मामले में चार्जशीट तीन नवंबर को अदालत में दाखिल की गई है, जबकि जमानत अर्जी इससे पहले दाखिल की जा चुकी है। वहीं डीसीपी पश्चिम बीबीजीटीएस ने इस प्रकरण में जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने तथ्यों के साथ पूरी रिपोर्ट थाना प्रभारी से तीन दिनों में मांगी है।


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