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Clinical Establishment Act: कानपुर में बंद होंगे बिना मानक के चल रहे अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर

शहर में बिना मानक और पंजीकरण के चल रहे अस्पतालों और डायग्नोस्टिक सेंटरों पर जल्द ताला लग सकता है। उसकी वजह है क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट लागू होना। डीएम की अध्यक्षता में जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण बनेगा जिसके बाद कार्रवाई शुरू की जाएगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 09:21 AM (IST)
Clinical Establishment Act: कानपुर में बंद होंगे बिना मानक के चल रहे अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर
मानके विपरीत संचालित हो रहे अस्पताल होंगे बंद। प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जागरण संवाददाता। राज्य सरकार ने क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एवं रेग्यूलेशन) एक्ट लागू करने का फरमान जारी कर दिया है। जिले के कल्याणपुर, नौबस्ता, बर्रा एवं चकेरी क्षेत्र में बिना मानक और पंजीकरण के चल रहे 80 फीसद नर्सिंग होम, निजी अस्पताल एवं डायग्नोस्टिक सेंटरों पर ताला लगना तय है। इन संस्थानों को स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का संरक्षण है। अभी तक इनके रजिस्ट्रेशन का अधिकार सीएमओ के पास था। अब जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकरण बनेगा, जिसे 31 दिसंबर तक पूरा करना है। उसके बाद 30 बेड या उससे ऊपर से नर्सिंग होम या निजी अस्पतालों का पंजीकरण मानक के आधार पर ही होगा।

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मानक पूरे, फिर भी होते परेशान

क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एवं रेग्यूलेशन) एक्ट के दायरे में 30 या उससे अधिक बेड के नर्सिंग होम और निजी अस्पताल आएंगे। शहर के बाहरी क्षेत्र चकेरी, जाजमऊ, नौबस्ता, जरौली, बर्रा, पनकी और कल्याणपुर क्षेत्र में बिना मानक व पंजीकरण के 80 फीसद निजी अस्पताल, नर्सिंग होम और ट्रामा सेंटर चल रहे हैं। यहां मरीजों की मौत होने पर स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी जांच के नाम पर नोटिस देकर उगाही करते हैं। आज तक किसी भी संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। यही वजह है कि इनका मनोबल बढ़ता जा रहा है। वहीं, वैध संचालक मानक पूरे करते हैं फिर भी परेशान होते हैं।

- अगर एक्ट के मौजूदा मसौदे में संशोधन नहीं हुआ तो इलाज अमेरिका की तरह महंगा होगा। 30 बेड के नीचे के अस्पताल दायरे में नहीं आएंगे, जबकि 30 से ऊपर और 100 बेड तक के अस्पताल पैरामीटर पूरा करने में बेहाल हो जाएंगे। ऐसे में कारपोरेट अस्पताल हावी हो जाएंगे। आम आदमी के लिए इलाज महंगा हो जाएगा। - डा. महेंद्र सरावगी, अध्यक्ष, नर्सिंग होम एसोसिएशन।

- जो अस्पताल नियम-कानून के दायरे में चल रहे हैं, वही इस एक्ट के दायरे में आएंगे। 10 से 29 बेड के अस्पताल का संचालन झोलाछाप कर रहे हैं, जो मानक पूरे नहीं करते हैं। ऐसे में इस एक्ट का दुरुपयोग होगा। जिला प्रशासन को झोलाछाप पर रोक लगानी चाहिए। यह समस्या पूरे प्रदेश की है। स्टेट आइएमए के संपर्क में हैं, जैसा निर्देशन मिलेगा वैसी रणनीति बनाई जाएगी।- डा. बृजेंद्र शुक्ला, अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन।

- इस एक्ट को लागू करने की तैयारी 31 दिसंबर तक पूरी करनी है। जनवरी से इस एक्ट के तहत प्राधिकरण बनाकर पंजीकरण किया जाएगा। पहले चरण में 30 बेड या उससे ऊपर के अस्पताल आएंगे। साथ ही 30 से नीचे बेड के अस्पतालों को भी सभी मानक पूरे करने होंगे। - डा. जीके मिश्रा, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य।


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