कल्याणपुर में जितेंद्र की मौत के मामले में रिटायर्ड इंजीनियर को क्लीनचिट, हटी हत्या की धारा
जितेंद्र की मृत्यु के बाद 16 नवंबर को कल्लू के स्वजन ने पहले पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया और बाद में चोरी का आरोप लगाने वाले वाईएस दीक्षित पर ही हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया था।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कल्याणपुर पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए अपराधी जितेंद्र उर्फ कल्लू की संदिग्ध हालातों में मौत के मामले में हत्या के आरोपित रिटायर्ड इंजीनियर को पुलिस ने जांच के बाद क्लीन चिट दे दी। इसके बाद आरोपित के खिलाफ पुलिस ने हत्या की धारा हटा ली है, अन्य धाराओं में अभी जांच चलती रहेगी।
कल्याणपुर के माधवपुरम स्थित 40 मड़ैया बस्ती निवासी तेज नारायण के पड़ोसी जलनिगम से सेवानिवृत्त अभियंता वाईएस दीक्षित ने दीपावली के बाद अपने घर से बीस लाख रुपये के गहने चोरी करने का आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दी थी। तहरीर में तेज नारायण के बेटे जितेंद्र उर्फ कल्लू व किन्ना पर चोरी की आशंका व्यक्त की गई थी। जितेंद्र मुम्बई में रहकर मजदूरी करता था और दीपावली को घर आया था।
चोरी के आरोप में जितेंद्र को पुलिस ने 14 नवंबर को हिरासत में ले लिया था, मगर पेट दर्द के बाद उसे रात में ही रिहा कर दिया था। 15 नवंबर की रात कल्लू की तबियत बिगड़ने पर स्वजन उसे अस्पताल ले गए, जहां उसकी मृत्यु हो गई। 16 नवंबर को कल्लू के स्वजन ने पहले पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाया और बाद में चोरी का आरोप लगाने वाले वाईएस दीक्षित पर ही हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कल्लू की मृत्यु बीमारी के चलते होना सामने आया। थाना प्रभारी कल्याणपुर अशोक कुमार दुबे ने बताया कि पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य जांच के बाद वाईएस दीक्षित के खिलाफ हत्या का कोई सबूत नहीं मिला है। उनके खिलाफ लगी इस धारा को हटा दिया गया है। हालांकि कल्लू के स्वजनों की ओर से आइपीसी की धारा 504 यानी गलौज का आरोप भी लगाया गया था, जिसकी जांच अभी चल रही है।
इसलिए मिली क्लीन चिट
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं था, जिसकी वजह से बिसरा सुरक्षित किया गया। हालांकि डाक्टरों की राय है कि अधिक शराब पीने से आतों में हुए छेद और उससे हुआ संक्रमण मौत का कारण बना।
- तहरीर के मुताबिक रिटायर्ड अभियंता बहू बेटियों को परेशान करता था। इसी वजह से 20 लाख रुपये चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे की जांच के लिए पुलिस जितेंद्र को थाने ले गई थी। तहरीर में लिखा है कि वाईएस दीक्षित द्वारा गलत मुकदमा लिखाने की वजह से उसके बेटे की मौत हो गई। गलत मुकदमा लिखने से हत्या के आरोप सिद्ध नहीं होते।