कागज पर होते रहे काम, हकीकत में शहर दिख रहा बदहाल
महापौर का एक साल पूरा होने के बाद भी अनियोजित विकास और अफसरों की उदासीनता का दंश झेल रही जनता।
By Edited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 11:26 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 04:00 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। नगर निगम सदन का एक साल पूरा हो चुका है लेकिन अनियोजित विकास और अफसरों की उदासीनता के चलते समस्याएं हल होने के बजाए लगातार बढ़ती जा रही हैं। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सालभर जनता सफाई, पेयजल और टूटी सड़कों से जूझती रही। यातायात व्यवस्थित करने के लिए केवल कागजी कार्रवाई कर नगर निगम वाहवाही लूटता रहा। न तो पार्किंग की व्यवस्था दुरुस्त की गई और न ही हैंडपंप सही किए गए।
नहीं हट पाई साकेत नगर की सब्जी मंडी
महापौर प्रमिला पांडेय और नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा ने खुद निरीक्षण करके साकेत नगर सब्जी व फल मंडी हटाने के आदेश दिए थे। निराला नगर में बने चबूतरों को व्यवस्थित करने को कहा था, लेकिन एक भी ठेला व्यवस्थित नहीं हो सका। उल्टे चबूतरे टूट गए हैं या लोगों ने कब्जा कर लिया है। यही हाल श्यामनगर में पीएसी पुल के नीचे बने चबूतरों का है। बिना सुविधा के बना दीं बरातशाला बिना सुविधा के नगर निगम बरातशाला बना रहा है। श्यामनगर में बने बरातशाला में शौचालय तक नहीं है। गांधीनगर में बिना पार्किग के बरातशाला बनाई जा रही है। हैंडपंप बने शोपीस नगर निगम कार्यकारिणी के आदेश के बाद भी जलकल विभाग ने कई जगह घटिया हैंडपंप लगा दिए है। महापौर की रोक के बाद भी पहले से खराब पड़े हैंडपंप के बगल में नए लग गए। जवाहर नगर व रामबाग में लगे हैंडपंप पकड़े भी गए लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अन्य जगह भी हैंडपंप शोपीस बने हुए है।
इन आदेशों का पालन नहीं
- 28 दिसंबर को नगर विकास मंत्री ने आवारा जानवर हटाने के लिए दो माह का समय नगर निगम को दिया था। - चार माह पहले अभियान चलाकर कुछ चंट्टे बिनगवां कैटल कालोनी भेजे गए लेकिन बाद में वह फिर पुराने स्थान पर पहुंच गए। - चंट्टों से गोबर उठाने के लिए महापौर ने योजना बनायी थी जो कागजों में रह गई। - बेसहारा जानवरों को शिफ्ट करने के लिए गौशाला सोसाइटी से कागजी बातचीत हुई। - कान्हा उपवन का निर्माण करने का आदेश चार माह पहले हुए, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। - कुत्तों को पकड़ने के लिए एक साल से कंपनी नहीं फाइनल हो पायी और न ही अस्पताल बन सका। - सूअरों को पकड़ने का अभियान भी ठप पड़ा है। निधि से नहीं हुए काम - नगर निगम निधि से एक साल से कोई काम नहीं हुआ है। - 48 करोड़ रुपये के 14 वें वित्त आयोग के धन से अभी तक काम शुरू नहंी हो सके।
अफसर रहे उदासीन
महापौर ने सर्वोदय नगर और घंटाघर में खड़े होकर कब्जे हटाए थे, लेकिन अफसरों की उदासीनता का लाभ उठाकर फिर लोगों ने कब्जा कर लिया। पार्किग के नाम पर नोटिस देकर नगर निगम चुप गेस्ट हाउस, स्कूल और नर्सिग होम में पार्किग के लिए नगर निगम ने अभियान चलाया था। एक स्कूल को सड़क पर वाहन खड़ा करने पर नोटिस दी थी। इसके बाद फाइल बंद हो गयी।
नहीं हट पाई साकेत नगर की सब्जी मंडी
महापौर प्रमिला पांडेय और नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा ने खुद निरीक्षण करके साकेत नगर सब्जी व फल मंडी हटाने के आदेश दिए थे। निराला नगर में बने चबूतरों को व्यवस्थित करने को कहा था, लेकिन एक भी ठेला व्यवस्थित नहीं हो सका। उल्टे चबूतरे टूट गए हैं या लोगों ने कब्जा कर लिया है। यही हाल श्यामनगर में पीएसी पुल के नीचे बने चबूतरों का है। बिना सुविधा के बना दीं बरातशाला बिना सुविधा के नगर निगम बरातशाला बना रहा है। श्यामनगर में बने बरातशाला में शौचालय तक नहीं है। गांधीनगर में बिना पार्किग के बरातशाला बनाई जा रही है। हैंडपंप बने शोपीस नगर निगम कार्यकारिणी के आदेश के बाद भी जलकल विभाग ने कई जगह घटिया हैंडपंप लगा दिए है। महापौर की रोक के बाद भी पहले से खराब पड़े हैंडपंप के बगल में नए लग गए। जवाहर नगर व रामबाग में लगे हैंडपंप पकड़े भी गए लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अन्य जगह भी हैंडपंप शोपीस बने हुए है।
इन आदेशों का पालन नहीं
- 28 दिसंबर को नगर विकास मंत्री ने आवारा जानवर हटाने के लिए दो माह का समय नगर निगम को दिया था। - चार माह पहले अभियान चलाकर कुछ चंट्टे बिनगवां कैटल कालोनी भेजे गए लेकिन बाद में वह फिर पुराने स्थान पर पहुंच गए। - चंट्टों से गोबर उठाने के लिए महापौर ने योजना बनायी थी जो कागजों में रह गई। - बेसहारा जानवरों को शिफ्ट करने के लिए गौशाला सोसाइटी से कागजी बातचीत हुई। - कान्हा उपवन का निर्माण करने का आदेश चार माह पहले हुए, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। - कुत्तों को पकड़ने के लिए एक साल से कंपनी नहीं फाइनल हो पायी और न ही अस्पताल बन सका। - सूअरों को पकड़ने का अभियान भी ठप पड़ा है। निधि से नहीं हुए काम - नगर निगम निधि से एक साल से कोई काम नहीं हुआ है। - 48 करोड़ रुपये के 14 वें वित्त आयोग के धन से अभी तक काम शुरू नहंी हो सके।
अफसर रहे उदासीन
महापौर ने सर्वोदय नगर और घंटाघर में खड़े होकर कब्जे हटाए थे, लेकिन अफसरों की उदासीनता का लाभ उठाकर फिर लोगों ने कब्जा कर लिया। पार्किग के नाम पर नोटिस देकर नगर निगम चुप गेस्ट हाउस, स्कूल और नर्सिग होम में पार्किग के लिए नगर निगम ने अभियान चलाया था। एक स्कूल को सड़क पर वाहन खड़ा करने पर नोटिस दी थी। इसके बाद फाइल बंद हो गयी।
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