Move to Jagran APP

'मन करता है, खुद मर जाऊं या सामने वाले को मार दूं..'

शहर में भी पुलिसकर्मियों के जेहन में आ रहे घातक विचार, अफसर कर रहे मंथन, पुलिस लाइन में लगे काउंसिलिंग शिविर में सामने आई हकीकत, तीन सिपाहियों ने मन में जान देने का ख्याल आने की बात कही

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 02:05 AM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 10:46 AM (IST)
'मन करता है, खुद मर जाऊं या सामने वाले को मार दूं..'
'मन करता है, खुद मर जाऊं या सामने वाले को मार दूं..'

जागरण संवाददाता, कानपुर : मैं कुछ नहीं कर पा रहा, महकमे से सपोर्ट नहीं मिलता और परिवार पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा हूं। ऐसा लगता है कि मैं अपनी जिंदगी में फेल हो गया हूं। लगातार ड्यूटी के बाद छुंट्टी मांगने पर वीआइपी ड्यूटी, त्योहार या स्टाफ की कमी बता दी जाती है। छुंट्टी न मिलने पर गुस्सा इस कदर आता है कि मन करता है, खुद मर जाऊं या सामने वाले को मार दूं..। ये बातें गुरुवार को पुलिस लाइन में आयोजित मानसिक स्वास्थ्य शिविर और काउंसिलिंग के दौरान कुछ सिपाहियों ने मनोरोग चिकित्सक से कहीं। तीन सिपाही ऐसे भी सामने आए जिनके जेहन में कई रोज से घातक विचार आ रहे हैं। लिहाजा उनकी नियमित काउंसिलिंग की तैयारी हो रही है। काउंसिलिंग की रिपोर्ट आने के बाद अफसर भी हैरान हैं। इस समस्या को शासन स्तर पर उठाने के साथ ही इसके समाधान के लिए स्थानीय स्तर पर मंथन शुरू कर दिया गया है।

loksabha election banner

------------------------

मनोबल बढ़ाने को कवायद शुरू

पिछले दिनों प्रदेश में दारोगा और सिपाही ही नहीं, राजपत्रित अधिकारियों के भी आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। पिछले पांच साल में कानपुर रेंज में ही नौ पुलिस कर्मियों ने अपनी जान दे दी। हाल ही में सबसे बड़ी घटना आइपीएस सुरेंद्र दास के जहर खाने की सामने आई। लगातार घटनाओं को देखते हुए डीजीपी के आदेश पर गुरुवार को पुलिस लाइन में मानसिक स्वास्थ्य व काउंसिलिंग शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 25 से 35 साल के 35 जवानों और इससे ज्यादा उम्र के चार पुलिसकर्मियों ने अपनी परेशानी बयां की। काउंसलर व उर्सला अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डा. चिरंजीव प्रसाद और साइकोलॉजिस्ट सुधांशु मिश्रा ने उन्हें अपनी परेशानी अफसरों के सामने रखने और लगातार अपनों से शेयर करते रहने को कहा। साथ ही भरपूर नींद लेने व नियमित योग की सलाह दी।

--------

नियमित काउंसलर की तैनाती जरूरी

डा. चिरंजीव ने बताया कि विभाग में अब नियमित काउंसलर को तैनात करने जरूरत है। ताकि जवान अपनी समस्याएं उन्हें बता सकें और उन्हें अपनेपन का अहसास मिल सके। जवानों के वेलफेयर के लिए एक सेल या कमेटी भी बननी चाहिए, जो उनकी जरूरतों को ध्यान में रखे और समस्याएं हल कराए।

---------

धैर्य खो रहे जवान, गुस्सा हो रहा हावी

साइकोलाजिस्ट सुधांशु मिश्र ने बताया, काउंसिलिंग में वर्ष 2011 से लेकर अब तक भर्ती हुए जवानों को बुलाया गया था। सामने आया कि 80 फीसद जवान किसी न किसी वजह से तनाव में रहते हैं और जल्दी आपा खो देते हैं। उनके अंदर धैर्य की कमी है। अधिकांश को सिरदर्द, बदन दर्द, थकावट की भी समस्या है। कई सिपाहियों की हाल में ही शादी हुई, वह जिम्मेदारियां न निभा पाने से दुखी हैं।

------

ये समस्याएं आईं सामने

-सरकारी आवास न मिलना

-किराये पर कमरा लेने में परेशानी

-परिवार को साथ न रख पाने की मजबूरी

-समय और जरूरत पर छुंट्टी न मिलना

-परिवार से काफी दूर जिले में पोस्टिंग

-ड्यूटी ऑवर्स की अधिकता

-मनोरंजन की व्यवस्था न होना

-ट्रांसफर मांगने पर भी न मिलना

-साप्ताहिक अवकाश न मिलना

-नींद पूरी न होना

--------------

जवानों की काउंसिलिंग से जो बातें सामने आई हैं, उनके निराकरण के लिए मंथन किया जा रहा है। काउंसिलिंग, मेडिटेशन, ट्रीटमेंट की व्यवस्था की जाएगी। ट्रीटमेंट की श्रेणी में आने वाले जवानों के लिए मेडिकल लीव की व्यवस्था कर आगरा, लखनऊ या बरेली में इलाज कराया जाएगा। जिन जवानों के मन में घातक विचार आते हैं, उनकी ड्यूटी लगाने में सावधानी बरती जाएगी। जिला स्तर पर कमेटी बनाकर पुलिसकर्मियों को अवसाद की तरफ जाने से रोका जाएगा।

-आलोक सिंह, आइजी रेंज

-----

थानेदारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्टाफ के सभी सदस्यों से नियमित रूप से बात कर उनकी समस्याओं को जानें। किसी के मन में कोई नकारात्मक विचार आए तो उच्च अधिकारियों को बताने के साथ ही उनकी काउंसिलिंग कराएं। घरेलू समस्या होने पर उनके परिवार से भी बात की जाए। इसकी रिपोर्ट हर माह भेजें।

-अनंत देव तिवारी, एसएसपी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.