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चीन नहीं दिल्ली और जयपुर की जगमग, दीपावली बाजार पर अब स्वदेशी झालरों का कब्जा

भारत में दो वर्ष पहले 90 फीसद बाजार पर चीन से आने वाली इलेक्ट्रिक झालरों का कब्जा था लेकिन अब 10 फीसद पुराना माल रह गया है। बिजली बाजार में अब दिल्ली और जयपुर की स्वदेशी झालरों की बाहर है और कानपुर से कई जिलों में आपूर्ति हो रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 09:59 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 09:59 AM (IST)
चीन नहीं दिल्ली और जयपुर की जगमग, दीपावली बाजार पर अब स्वदेशी झालरों का कब्जा
स्वदेशी झालरों की मांग में इजाफा आया है।

कानपुर, [राजीव सक्सेना]। दीपावली पर बिजली बाजार चीन नहीं दिल्ली और जयपुर की झालरों से जगमगा रहे हैं। दो वर्ष पहले इस बाजार के फीसद हिस्से पर चीन का कब्जा था लेकिन, अब यह 10 फीसद रह गया है और वह भी पुराना माल है। लगातार दूसरे वर्ष चीन से बिजली की झालरें नहीं आई हैं। स्वदेशी झालर चीन की झालर से 15 फीसद महंगी जरूर हैं लेकिन ये टिकाऊ भी हैं।

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मात्र दो वर्ष पहले यानी 2019 तक चीन का दीपावली के बिजली बाजार पर पूरी तरह कब्जा था। कानपुर में दीपावली का बाजार 100 करोड़ रुपये का है लेकिन, इसमें 90 करोड़ रुपये का माल चीन का बिकता था। पिछले वर्ष भी चीन से माल नहीं आया और इस वर्ष फिर वही स्थिति है। दो वर्ष में ही स्थितियां पलट गई हैं। कभी दीपावली के बिजली बाजार में चीन का 90 फीसद कब्जा था और 10 फीसद माल भारत का था। आज दो वर्ष पुराना जो चीन का माल बचा हुआ है, वह कारोबारी किसी तरह बेचने में लगे हैं। बाकी 90 फीसद बाजार भारतीय झालरों से जगमग है। हालांकि फुटकर दुकानदार जो यहां खरीदारी करने आ रहे हैं, वे भी चीन की झालरें पसंद नहीं कर रहे हैं।

मनीराम बगिया से कानपुर के अलावा कानपुर देहात, औरैया, इटावा, महोबा, हमीरपुर, फतेहपुर समेत एक दर्जन जिलों को सामान जाता है। पिछले वर्ष शहर में ही कुछ कारोबारियों ने स्थानीय स्तर पर ही झालरों को बनवाना शुरू किया था लेकिन इस वर्ष शहर में झालरें बनवाने की जगह दिल्ली और जयपुर से माल मंगवाया जा रहा है क्योंकि वहां झालर बनाने की मशीनें कारोबारियों ने लगवा ली हैं। ये झालर 50-60 रुपये के करीब हैं।

पांच दर्जन से ज्यादा तरीके की आती थीं झालरें : चीन से पांच दर्जन से ज्यादा अलग-अलग तरीके की झालरें आती थीं। स्वदेशी झालरों में वैराइटी अभी कम है लेकिन कारोबारियों का मानना है कि समय के साथ साथ यह बढ़ती चली जाएंगी।

-अब चीन का माल बाजार में नहीं आ रहा, जिनके पास कुछ पड़ा होगा, वही बेच रहे होंगे। दिल्ली व जयपुर से झालरें आ रही हैं। उनकी मांग भी खूब है। -राजीव मेहरोत्रा, अध्यक्ष, कानपुर इलेक्ट्रिक कांट्रेक्टर्स एंड मर्चेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन।


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