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अव्यवस्थाओं की 'पाठशाला' में बच्चों की 'परीक्षा'

प्रदेश सरकार परिषदीय विद्यालयों की सूरत बदलने के लिए तरह-तरह के प्रयोग कर रही है, लेकिन अधिकारी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 01:39 AM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 01:45 PM (IST)
अव्यवस्थाओं की 'पाठशाला' में बच्चों की 'परीक्षा'
अव्यवस्थाओं की 'पाठशाला' में बच्चों की 'परीक्षा'

जागरण संवाददाता, कानपुर : प्रदेश सरकार परिषदीय विद्यालयों की सूरत बदलने के लिए तरह-तरह के प्रयोग कर रही है, लेकिन अधिकारी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सीलन और अंधेरे कमरे में बच्चों का भविष्य उज्ज्वल कैसे होगा, सवाल गंभीर है। समस्याएं यहीं तक सीमित नहीं बल्कि चुनौतियों का पूरा पहाड़ है। बारिश में ज्यादातर स्कूलों की छतों से पानी टपकता या कक्षाओं में भर जाता है। कई विद्यालयों में अभी भी किताबों का वितरण नहीं किया गया तो आज तक जूते मोजों की कमी के कारण बच्चे चप्पल में आते हैं जबकि ये सुविधाएं सत्र की शुरुआत में ही देने का प्रावधान है।

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सरकार के तमाम वादों और घोषणाओं के बाद भी ये हालात क्यों हैं, यह प्राथमिक विद्यालय जूही खुर्द बी की प्रधानाचार्य मधु सक्सेना की बातों से समझना आसान है। प्रधानाचार्य बताती हैं, अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जर्जर स्कूल की दीवारें से प्लास्टर गायब हैं। कई स्कूलों में बीएड की ट्रेनिंग पर आए ट्रेनी ही पढ़ाते हैं। अधिकारी बस अव्यवस्था देख कर चले जाते हैं, समस्याएं जहां की तहां रहती हैं। खुद खंड शिक्षा अधिकारी मिथिलेश यादव भी विद्यालयों की बदहाली की अनदेखी की तस्दीक करते हैं। उनका कहना है कि बीएसए को इस बारे में कई बार लिखित तौर पर शिकायत की गई थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। नए बीएसए को फिर इस बारे में लिखित शिकायत दी जाएगी।

अभी बजट नहीं है। ऐसे में बीएसए क्या करे। कोई बड़ा बजट तो आता नहीं है। बजट आने पर निर्माण का कार्य करा दिया जाएगा।

-प्रवीण मणि त्रिपाठी

बेसिक शिक्षा अधिकारी

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कैसे पहुंचेंगे शिखर पर, यहां चुनौतियों के पहाड़ पर बच्चे

केस 1: प्राथमिक विद्यालय जूही खुर्द बी में एक ही कमरे में कक्षा एक से पांच तक कक्षाएं चलती हैं, जिसमें 103 बच्चे पढ़ते हैं। एक साथ पांच शिक्षिकाएं पांच बोर्ड पर अपने-अपने विषयों को पढ़ाती हैं। कहीं ¨हदी पढ़ाई जाती तो कहीं गणित या अंग्रेजी। इस स्थिति में बच्चों का पढ़ना असंभव है। विद्यालय में किताबों का वितरण भी पूर्ण रूप से नहीं किया गया।

केस 2: पूर्व माध्यमिक बालिका स्कूल जूही में कक्षा छह से लेकर आठ तक के 45 बच्चों को एक ही कमरे में अलग अलग टीचर विभिन्न विषयों की पढ़ाई कराती हैं। बारिश के दौरान कमरे में पानी भर जाने से पढ़ाना कठिन होता है। एक ही शिक्षक बच्चों को कई विषयों की शिक्षा देते हैं। बीएड ट्रेनिंग पर आई छात्राएं ही बच्चों को नियमित तौर पर पढ़ा पाती हैं।

केस 3: प्राथमिक विद्यालय नवीन नगर गीता नगर में भी एक ही कमरे में कई कक्षाएं संचालित होती हैं। अलग-अलग विषयों की पढ़ाई के दौरान कक्षा बस मजाक बनकर रह जाती है। विद्यालय में रोशनी के पर्याप्त उपाय न होने के कारण बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता हैं।

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