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दो हजार करोड़ की ठगी के गुनहगारों की पुलिस ने मांगी रिमांड, मुस्लिमों को ऐसे शिकार बनाता था गिरोह

इंटरनेट मीडिया पर कर्नाटक के एंबिडेंट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के बारे में जो सामग्री मौजूद है उसके मुताबिक यह एक तरह का बैंक था जो कि मुसलमानों को ज्यादा ब्याज देने का झांसा देकर फंसाता था। बाद में लोगों की रकम लौटाने से मना कर दिया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 07:48 AM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 07:48 AM (IST)
दो हजार करोड़ की ठगी के गुनहगारों की पुलिस ने मांगी रिमांड, मुस्लिमों को ऐसे शिकार बनाता था गिरोह
पुलिस ने गिरोह के बारे में अन्य जानकारियों और पूछताछ को लेकर रिमांड मांगी है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। कुछ ही महीनों में रुपये दोगुने करने का झांसा देकर गाढ़ी कमाई डकारने वाले गिरोह के चार सदस्यों से और पूछताछ के लिए पुलिस ने अदालत में रिमांड अर्जी दी है। पुलिस ने तर्क दिया है कि आरोपितों ने देश भर में तीन हजार से ज्यादा लोगों से दो हजार करोड़ रुपये की रकम ठग ली है। ऐसे में इनसे पूछताछ के लिए कम से कम सात दिनों का रिमांड दिया जाए।

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डीसीपी पश्चिम और बजरिया पुलिस ने बेंगलुरु की कंपनी एंबिडेंट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के चार सदस्यों सैय्यद फरीद अहमद, सैय्यद आफाक, सैय्यद अम्मार और नबीला मिर्जा को गिरफ्तार किया था। यह सभी बेंगलुरु के हैन्नूर थानाक्षेत्र स्थित 5ए टीएनटी प्लेटिनम अपार्टमेंट, शक्तिनगर के रहने वाले हैं। आरोप है कि इन्होंने कानपुर के जूता कारोबारी लकी सिंह को भी ठगा था। लकी ने पहले इस कंपनी में 10 लाख रुपये लगाए और जब 20 लाख रुपये वापस मिले तो उसने अपना घर गिरवी रखकर तीन करोड़ रुपये ठगों को थमा दिए। लकी द्वारा दिए गए मोबाइल नंबरों के आधार पर ही पुलिस बेंगलुरु तक पहुंची। डीसीपी पश्चिम बीबीजीटीएस मूर्ति ने बताया कि कर्नाटक के एक पूर्व मंत्री को 20 करोड़ रुपये की रकम सोने के रूप में रिश्वत देने का मामला मीडिया में चल रहा है, लेकिन अभी अभियुक्तों से पूछताछ में ऐसा कुछ भी पता नहीं चला है। हालांकि इंटरनेट मीडिया पर कई पुराने पोस्ट इस मामले में पड़े हैं। सच्चाई क्या है, इसे जानने के लिए पुलिस ने चारों अभियुक्तों को रिमांड पर लेने के लिए अदालत से अनुरोध किया है।

कंपनी नहीं बैंक जैसी थी, ठगी का शिकार अधिकतर मुस्लिम

इंटरनेट मीडिया पर कर्नाटक के एंबिडेंट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के बारे में जो सामग्री मौजूद है, उसके मुताबिक यह एक तरह का बैंक था, जो कि मुसलमानों को ज्यादा ब्याज देने का झांसा देकर फंसाता था। बाद में रियल स्टेट और बिटक्वाइन में पैसा फंसा होने का बहाना बनाकर कंपनी ने लोगों की रकम लौटाने से मना कर दिया। इसके चलते ही कर्नाटक में वर्ष 2017 में इस कंपनी के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज हुआ और इसके बाद तो झड़ी लग गई। दावा किया जा रहा है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए इन्होंने कर्नाटक के एक पूर्व मंत्री को 20 करोड़ रुपये की रिश्वत के एवज में 57 किलो सोना दिया था।


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