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फर्जी प्रवेश व नामांकन रोकने की चुनौती

जागरण संवाददाता, कानपुर : अलग से सख्त कानून लाए बिना नकल विहीन परीक्षा करा सरकार और माध्यमिक श्ि

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 01:32 AM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 01:32 AM (IST)
फर्जी प्रवेश व नामांकन रोकने की चुनौती
फर्जी प्रवेश व नामांकन रोकने की चुनौती

जागरण संवाददाता, कानपुर : अलग से सख्त कानून लाए बिना नकल विहीन परीक्षा करा सरकार और माध्यमिक शिक्षा परिषद भले ही अपनी पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन अब असली परीक्षा फर्जी प्रवेश व नामांकन रोकने की होगी। सवा ग्यारह लाख से अधिक परीक्षार्थियों का परीक्षा छोड़ना बोर्ड की नजर में नकल सुविधा न मिलना हो सकता है, परंतु बोर्ड को इस सवाल का जवाब खोजना होगा कि क्या परीक्षा छोड़ने वाले सभी विद्यार्थी मुख्य धारा के थे? शायद इसीलिए उपमुख्यमंत्री ने अधिक संख्या में परीक्षा छोड़ने वाले कालेजों की जांच कराने को कहा है। जांच में जिले के एक दर्जन सहित प्रदेश के लगभग एक हजार कालेज फंस सकते हैं।

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हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी हो परंतु बोर्ड के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या कभी नहीं रही, जितनी इस बार रही। सवाल है कि यदि किसी सत्र में नकल में ढील होने के बावजूद पांच या पांच लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी तो तब बोर्ड ने कारणों की पड़ताल क्यों नहीं की? बोर्ड की अनदेखी के चलते ही कई जिलों में प्रदेश के बाहर के छात्र छात्राओं के जाली प्रमाणपत्र बना कर प्रवेश लेने और परीक्षा में शामिल कराने का धंधा फलता फूलता रहा। पहला मौका है परीक्षा में निरीक्षण के दौरान तमाम केंद्रों पर 35 से 40 साल आयु के परीक्षार्थी हाईस्कूल की संस्थागत परीक्षा देते मिले जबकि अभिलेखों में उनकी आयु 15 से 16 साल ही की मिली।

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क्या होता है खेल

बोर्ड की ओर से नौवीं व 11 वीं में पूर्व पंजीकरण व्यवस्था करने, 10 से अधिक बाहरी जिलों के प्रवेश लेने तथा पंजीकरण व परीक्षा आवेदनपत्र ऑनलाइन भराने के बावजूद कई कालेज सुनियोजित तरीके से व्यवस्था में छेद करके फर्जी प्रवेश व नामांकन करा रहे थे। चूंकि परीक्षार्थी का विवरण कालेज को ही भरना पड़ता है, इसलिए वहां से फर्जी आयु, पता और धुंधली फोटो के साथ बड़ी आयु के प्रदेश के बाहर व दूसरे जिलों के छात्रों को परीक्षा में बैठाने का धंधा तेजी से चल रहा था। ऐसे प्रवेश मोटी रकम के साथ पास कराने की गारंटी के साथ लिए जाते हैं। कुछ कालेज तो इतने शातिर हैं कि नकल की व्यवस्था न होने पर बाहर से कापियां लिखवाने का भी खेल करते हैं।

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जिले के कई कालेज निशाने पर

बताया गया कि जिले के एक कालेज में हाईस्कूल के 290 में से 161 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी। यही औसत बालिकाओं के परीक्षा छोड़ने का रहा। कई केंद्रों पर अधिक आयु के परीक्षार्थी मिले तो संबंधित कालेजों को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ, परंतु अभी तक किसी ने जवाब नहीं दिया है। ईश्वरानंद शिक्षा निकेतन, मालती देवी हायर सेकेंडरी स्कूल, पीआरडी कालेज, अमृताश्रम इंटर कालेज, जेएनजीएस इंटर कालेज, आजाद मेमोरियल कालेज सहित एक दर्जन जांच के निशाने पर हैं।

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परीक्षा छोड़ने वाले परीक्षार्थी

कुल परीक्षार्थी थे : 66 लाख

परीक्षा केंद्र बने थे : 8559

प्रदेश की संख्या : 11.25 लाख

जिले की संख्या : 15,000

2017 की संख्या : 5.02 लाख

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'' पिछले कुछ वर्षो से परीक्षा छोड़ने वाले परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि सभी परीक्षार्थी नकल न मिलने पर ही परीक्षा छोड़ गए हैं। इनमें उन छात्रों की भी बड़ संख्या होती है जो किसी तरह नामांकन तो करा देते हैं परंतु बाद में परीक्षा देने का साहस नहीं कर पाते। परीक्षा छोड़ने वाले छात्रों की गहन जांच हो तो कालेजों का खेल उजागर होगा।''

- कृष्णमोहन त्रिपाठी, पूर्व निदेशक माध्यमिक शिक्षा परिषद

'' धारण क्षमता से अधिक संख्या में परीक्षार्थियों का नामांकन करने, परीक्षा के दौरान निरीक्षण में अधिक आयु छात्रों के मिलने वाले तकरीबन एक दर्जन कालेजों से जवाब मांगा गया है। ये सभी कालेज फर्जी प्रवेश को लेकर जांच के घेरे में हैं। '' - सतीश तिवारी, जिला विद्यालय निरीक्षक


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