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सीबीआइ के हाथ आया वर्ष 2013 का पत्र, तत्कालीन प्रमुख सचिव और डीएम से हो सकती पूछताछ

खनन का खेल हमीरपुर में सीबीआइ टीम जांच के बाद 63 पट्टों से संबंधित प्रमाणित प्रतिलिपि साथ ले गई है।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 03:28 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 03:28 PM (IST)
सीबीआइ के हाथ आया वर्ष 2013 का पत्र, तत्कालीन प्रमुख सचिव और डीएम से हो सकती पूछताछ
सीबीआइ के हाथ आया वर्ष 2013 का पत्र, तत्कालीन प्रमुख सचिव और डीएम से हो सकती पूछताछ

हमीरपुर, जेएनएन। पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में मौरंग खनन के मामले में सीबीआइ की जांच तेजी पकड़ रही है, वहीं नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) द्वारा भी वर्ष 2016-17 के दौरान भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में 226 करोड़ रुपये की अनियमितता पकड़ी जा चुकी है। पांच दिन की जांच में सीबीआइ के हाथ शासन का एक पत्र लगा है, जिससे माना जा रहा है कि तत्कालीन प्रमुख सचिव जीवेश नंदन और डीएम बी. चंद्रकला से भी पूछताछ कर सकती है। सीबीआइ की टीम मुख्यालय में जांच के बाद 63 पट्टों से संबंधित प्रमाणित प्रतिलिपि साथ ले गई है।

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अवैध खनन मामले की जांच के लिए 24 फरवरी को सीबीआइ टीम आठवीं बार हमीरपुर मुख्यालय आई थी और साक्ष्य जुटाने के बाद शुक्रवार को वापस लौट गई थी। टीम ने अवैध खनन में आरोपित सपा एमएलसी रमेश मिश्रा के भाइयों दिनेश मिश्रा व सुरेश मिश्रा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित के पिता सत्यदेव दीक्षित, खनिज विभाग के पूर्व विधि सलाहकार मनोज त्रिवेदी सहित कई लोगों से पूछताछ की। याची विजय द्विवेदी से भी अवैध खनन के बारे में विस्तार से जानकारी ली। सीबीआइ की टीम डीएम कार्यालय से वर्ष 2010 से 2016 तक तैनात रहे एडीएम की सूची समेत खनन जुड़े कई दस्तावेज साथ ले गई।

हाथ लगा प्रमुख सचिव का पत्र

अवैध खनन के खिलाफ याचिका डालने वाले मुख्यालय निवासी अधिवक्ता विजय द्विवेदी के मुताबिक तत्कालीन डीएम बी चंद्रकला और शासन के बीच कई बार पत्राचार हुआ था। खनिज निदेशालय से डीएम हमीरपुर एवं खनिज अधिकारी को जारी पत्रों के आधार पर 63 खनन पट्टों की रजिस्ट्रियां कराकर संचालित किया गया। सीबीआइ टीम इन पत्रों की प्रमाणित प्रतिलिपि खनिज अधिकारी एवं संबंधित अधिकारी से ले गई है। संभव है अब तत्कालीन प्रमुख सचिव व डीएम बी. चंद्रकला के बीच हुए पत्राचार के दस्तावेजों के बारे में पूछताछ की जा सकती है।

14 पट्टों को दी गई थी स्वीकृति

उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास खनिज विभाग था और सबसे पहले आवंटित 14 पट्टों में चंदवारी धुरौली में तीन, इछौरा जिटकरी में चार, भुलसी में एक, इस्लामपुर में एक, बिरहट में एक, बंधौली में एक, चिकासी में दो व इछौरा में एक पïट्टा शामिल है। इनमें सबसे ज्यादा पट्टा आवंटन एक ही परिवार के सदस्यों को हुए थे। हाईकोर्ट के रोक लगाने के बावजूद 14 मौरंग पट्टों को स्वीकृति दी गई थी। सीबीआइ स्वीकृति जारी किए जाने के पहलुओं की जानकारी जुटाने में लगी है। सूत्रों के मुताबिक खनिज विभाग के पूर्व विधि सलाहकार से इसी संबंध में पूछताछ की गई है।

सीएजी ने भी पकड़ी है अनियमितता

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने भी अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में 226 करोड़ रुपये की अनियमितता पकड़ी है। वर्ष 2016-17 के समय में 336 खनन पट्टों की नमूना जांच की, जिसमें 148 पट्टों में कुल 175 अनियमितताएं सामने आईं हैं। रायल्टी कम या न वसूल किया जाना, ब्याज या अर्थदंड न लगाया जाना, खनिज मूल्य की वसूली न करने समेत कई अनियमितताएं शामिल हैं।


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