एक और बड़े बैंकिंग घोटाले का पर्दाफाश, कानपुर के हीरा कारोबारी पर सीबीआइ का छापा
14 बैंकों के कंसोर्टियम के 3592 करोड़ रुपये का कर्ज डूबने का मामला 15 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है।
कानपुर, जेएनएन। 14 बैंकों के कंसोर्टियम से 3592.48 करोड़ रुपये का कर्ज न लौटाने पर फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के मौजूदा और पूर्व निदेशकों समेत चार निजी कंपनियों और बैंक अधिकारियों पर सीबीआइ ने शिकंजा कस दिया है। मंगलवार को सीबीआइ ने कंपनी, उदय जे. देसाई व सुजय देसाई समेत पांच निदेशकों, आठ गारंटर समेत 15 लोगों पर बैंक से धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही बैंक अधिकारियों और अज्ञात को भी आरोपित बनाया गया है। सीबीआइ ने मंगलवार को कंपनियों के कानपुर स्थित छह, मुंबई के तीन और दिल्ली के चार (कुल 13) ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की।
पांच महीने पहले हुआ सीबीआइ को मामला रेफर
कर्ज देने वाले बैंकों के कंसोर्टियम (बैंक ऑफ इंडिया) ने पांच महीने पहले सीबीआइ को मामला रेफर किया था। मंगलवार को सीबीआइ की तीन सदस्यीय टीम बैंक ऑफ इंडिया की बिरहाना रोड स्थित मुख्य शाखा पर पहुंची। कार्रवाई इतनी गोपनीय थी कि कुछ देर तक बैंककर्मी भी सीबीआइ छापे का अनुमान नहीं लगा सके। टीम ने शाखा प्रबंधक से हीरा कारोबारी उदय देसाई की कंपनी फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के लोन संबंधी दस्तावेज मांगे।
उदय देसाई ने इस बैंक से 68 करोड़ रुपये कर्ज ले रखा है। किस्त जमा न होने पर ढाई साल पहले यह खाता एनपीए घोषित कर दिया गया। बैंक के बाद सीबीआइ देसाई के बिरहाना रोड के कल्पना प्लाजा स्थित प्रतिष्ठान पहुंची। यहां कार्यालय में लगे लैपटॉप, कम्प्यूटर और कर्मचारियों के निजी लैपटॉप व कम्प्यूटरों को अपने कब्जे में लेकर जांच की। कुछ दस्तावेज भी जब्त किए हैं। फिर टीम देसाई के आजाद नगर स्थित आवास पहुंची और दस्तावेज खंगाले।
नवंबर में भी आई थी सीबीआइ
सीबीआइ टीम पांच नवंबर 2019 को भी कानपुर आई थी। तब टीम ने इसी बैंक शाखा से दस्तावेज खंगाले थे। सीबीआइ में दर्ज मुकदमे के अनुसार कंपनी ने बैंकों से लिया लोन ऐसे लोगों को दिया जो कारोबार से संबंधित नहीं थे। इनमें से कई का अस्तित्व ही नहीं मिला। अपने कारोबार से इतर क्षेत्र में किए गए व्यापार की बहियों में खरीद और बिक्री में दर्ज दरों में काफी अंतर मिला।
विदेश से किए गए कारोबार में सामान के बंदरगाह पर पहुंचने, लोडिंग-अनलोडिंग होने, सामान की निकासी और उसके शिपमेंट की तारीखों में अंतर पाया गया। कई बिलों में दर्ज लोडिंग और जहाज के पोर्ट छोडऩे की तारीख भी गलत मिली। इसी आधार पर सीबीआइ ने माना कि असल में वस्तुओं का निर्यात ही नहीं किया गया। सीबीआइ के मुताबिक कंपनी बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, कंबोडिया, चीन, अमेरिका, सऊदी अरब, स्विट्जरलैंड, ताईवान आदि देशों से वस्तुओं का आयात-निर्यात करती थी।
उधार वसूलने के लिए नहीं की कार्रवाई
कंपनी ने जिन्हें उधार दिया है, सीबीआइ के पास उसकी भी सूची है। सीबीआइ ने पाया कि कंपनी ने अपने कर्जदारों से पैसा वसूलने के लिए कोई कार्रïवाई नहीं की। यह उधार एक साल पुराना हो गया था। इसके बाद बैंक ऑफ इंडिया समेत अन्य बैंकों ने कंपनी के पक्ष में लेटर ऑफ क्रेडिट जारी करना शुरू किया। सीबीआइ के अनुसार फंड को डायवर्ट करने के चलते कंपनी कंसोर्टियम और अन्य सदस्य बैंकों से लिए गए कर्ज उतारने में नाकाम रही।
हीरे के अलावा भी हैं कई कारोबार
1995 में शुरू हुई फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड कंपनी का हीरे के अलावा मिनरल्स, प्लास्टिक, केमिकल और रीयल एस्टेट क्षेत्र में निवेश है। कानपुर मुख्यालय वाली इस कंपनी मुंबई के बांद्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स स्थित कार्यालय से विदेशी कारोबार डील करती थी।
इन पर हुआ मुकदमा
1-बांद्रा कुर्ला मुंबई स्थित फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड
2-आजाद नगर निवासी कंपनी के निदेशक उदय जयंत देसाई
3-आजाद नगर निवासी कंपनी के निदेशक सुजय देसाई
4-आजाद नगर निवासी कंपनी के निदेशक सुनील लालचंद वर्मा
5-दिल्ली के सर्वप्रिय विहार निवासी निदेशक अनूप कुमार बलदेवराज बढेरा।
6-खार मुंबई निवासी गारंटर निपुन सुनील वर्मा।
7-आजाद नगर निवासी कंपनी के निदेशक नीलिमा उदय देसाई
8-आजाद नगर निवासी कंपनी गारंटर रीता सुनील वर्मा
9-दिल्ली के सर्वप्रिय विहार निवासी गारंटर पूनम अनूप कुमार बढेरा।
10-कला नगर बांद्रा ईस्ट मुंबई निवासी गारंटर संजना उदय देसाई।
11-न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी नई दिल्ली निवासी गारंटर सरला सुनील वर्मा।
12-बिरहाना रोड स्थित कॉरपोरेट गारंटर ग्लोबिज एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड।
13-बिरहाना रोड स्थित कॉरपोरेट गारंटर मेसर्स आरएस बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड।
14-बिरहाना रोड स्थित कॉरपोरेट गारंटर एनएसडी निर्माण प्राइवेट लिमिटेड।
15-यूनियन बैंक ऑफिसियल्स और अदर्स।