दूसरे दिन भी जारी रहा सीबीआइ का छापा
जागरण संवाददाता कानपुर 3592 करोड़ रुपये के घोटाले में फ्रास्ट इंटरनेशनल के निदेशक प
जागरण संवाददाता, कानपुर : 3,592 करोड़ रुपये के घोटाले में फ्रास्ट इंटरनेशनल के निदेशक, पूर्व निदेशक व गारंटरों के खिलाफ सीबीआइ की जांच दूसरे दिन भी जारी रही। सीबीआइ की बैंक सिक्योरिटी एंड फ्रॉड शाखा के अधिकारियो ने बैंक से तमाम जानकारियां जुटाईं। हालांकि बैंक ऑफ इंडिया के जोनल मैनेजर प्रशांत सिंह कर्ज से संबंधित सभी दस्तावेज दे चुके हैं लेकिन सीबीआइ ने मुकदमे में दर्शाए गए हेराफेरी के समयकाल में ऋण पास करने वाले बैंक अधिकारियों के बारे में भी जानकारी जुटाई।
इसके पहले मंगलवार को सीबीआइ ने कानपुर, मुंबई और दिल्ली में कुल 13 स्थानों पर फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड के निदेशक उदय देसाई समेत पूर्व निदेशक व गारंटरों के आवास और प्रतिष्ठान पर छापे मारे थे। इस मामले में कंपनी, पांच निदेशक, आठ गारंटर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। 15वें आरोपित के रूप में बैंक और अन्य संस्थाओं के अज्ञात अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। बुधवार को भी सीबीआइ टीम दिन भर जांच में लगी रही। बिरहाना रोड शाखा में करीब पांच घंटे रहने के दौरान टीम ने बैंक अधिकारियों के बयान दर्ज किए। ऋण स्वीकृति के समय के दस्तावेज जुटाए। उनकी हार्ड और सॉफ्ट कॉपी भी लिए जाने की चर्चा रही। सूत्रों के अनुसार टीम लोन जारी करते समय तैनात अधिकारियों के बारे में बड़ी गंभीरता से जानकारी ले रही थी। इस दौरान कागजात और प्रक्रिया की बारीकी से जांच की।
बैंक के बाद टीम फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के कल्पना प्लाजा स्थित ऑफिस भी पहुंची। वहीं भी घंटों रही। सूत्रों के अनुसार टीम ने अहम सबूतों के तौर पर कुछ फाइलें, कंप्यूटर की हार्ड डिस्क, लैपटॉप और कुछ ई-डाक्यूमेंट जब्त किए हैं। यह है मामला
17 मई 1995 में बनी कंपनी ने बैंक ऑफ इंडिया को कंसोर्टियम बनाकर 14 बैंकों से 4,061.95 करोड़ रुपये का लोन लिया था। किस्तें का भुगतान न होने पर बैंक ने ध्यान दिया तब पता चला कि उन्हें 3,592.48 करोड़ रुपये की चोट लग चुकी है। कंसोर्टियम लीडर बैंक ऑफ इंडिया के जोनल मैनेजर प्रशांत सिंह ने 18 जनवरी 2020 को सीबीआइ में शिकायत की थी। 19 जनवरी को मुकदमा दर्ज कर सीबीआइ की बैंक सिक्योरिटी एंड फ्राड शाखा ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी। इसके पहले बैंक की शिकायत पर ही 18 जनवरी 2019 को चार निदेशक और छह गारंटर के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया जा चुका है। कंसोर्टियम के अन्य सदस्य इंडियन ओवरसीज बैंक के आग्रह पर 27 दिसंबर 2018 को भी तीन लोगों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी हुआ है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी दर्ज करा रखा है मुकदमा
फ्रास्ट इंटरनेशनल लिमिटेड के निदेशक उदय जे देसाई समेत सात पर सीबीआइ पहले भी धोखाधड़ी संबंधी एक मुकदमा दर्ज कर चुकी है। यह मुकदमा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक सत्येंद्र कुमार सिंह की शिकायत पर चार नवंबर 2019 को सीबीआइ की लखनऊ स्थित एंटी करप्शन ब्रांच ने दर्ज किया था। इसमें फ्रास्ट इंटरनेशनल, निदेशक उदय जे देसाई, सुनील वर्मा, अनूप कुमार वढेरा, रीता पटेल, शिवानी वर्मा को आरोपित बनाया गया है। साथ ही अज्ञात सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों को भी आरोपित रखा गया है।