विक्रम कोठारी की अर्जी पर सीबीआइ कोर्ट का आदेश सुरक्षित,सात जून को सुनवाई
कोठारी की ओर से आपत्ति दाखिल कर कहा गया कि क्षेत्राधिकार के अभाव और अभियोजन स्वीकृति न होने के आधार पर आरोप पत्र का संज्ञान न लिया जाए व आरोपितों को मुक्त किया जाए।
लखनऊ (जेएनएन)। बैंक से करोड़ों रुपये की ठगी के मामले में आरोपित रोटोमैक प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन विक्रम कोठारी सहित छह लोगों के विरुद्ध सीबीआइ की ओर से दाखिल आरोप पत्र का बचाव पक्ष ने संज्ञान न लिये जाने की अपील की है। इस अपील पर सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एमपी चौधरी ने सात जून तक के लिए अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है।
इस प्रकरण में सीबीआइ ने विक्रम कोठारी, उनके पुत्र राहुल कोठारी व तीन बैंक अधिकारियों के विरुद्ध अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। इस पर अदालत ने प्रकीर्ण वाद दर्ज करते हुए संज्ञान के बिंदु पर सुने जाने का आदेश दिया था। इस पर विक्रम कोठारी व राहुल कोठारी की ओर से आपत्ति दाखिल कर कहा गया कि क्षेत्राधिकार के अभाव और अभियोजन स्वीकृति न होने के आधार पर आरोप पत्र का संज्ञान न लिया जाए व आरोपितों को मुक्त किया जाए।
अर्जी के विरोध में सीबीआइ की ओर से कहा गया कि आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें न्यायालय के समक्ष जब पेश किया गया था, तब भी न्यायिक रिमांड लिए जाने का बचाव पक्ष ने विरोध किया। विरोध में कहा गया था कि क्षेत्राधिकार के अभाव में अदालत को सुनवाई का अधिकार नहीं। तब अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों को अस्वीकार कर दोनों आरोपितों की न्यायिक एवं पुलिस रिमांड को स्वीकार किया था।
अभियोजन स्वीकृति के बिंदु पर सीबीआइ का तर्क था कि दो बैंककर्मी सेवानिवृत हो चुके हैं तथा एक कार्यरत है। इसके विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर पूरक पर्चे के साथ अदालत में दाखिल की जाएगी। अदालत के समक्ष केवल राहुल कोठारी को जेल से पेश किया गया। वहीं विक्रम कोठारी को बीमार होने के कारण नहीं लाया गया।