CBCID की जांच में सामने आया ट्रोनिका सिटी के जमीन घोटाले का सच, शासन को भेजी गई फाइल
हाईकोर्ट के आदेश पर कल्याणपुर में यूपीसीडा के तत्कालीन महाप्रबंधक समेत नौ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। सीबीसीआइडी ने जांच पूरी होने के बाद अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल शासन को भेजी है हरी झंडी मिलते चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। गाजियाबाद की ट्रोनिका सिटी में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के तत्कालीन अधिकारियों और अंसल हाउसिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड की मिलीभगत से जमीन घोटाले व स्टांप चोरी के मामले में सीबीसीआइडी ने जांच पूरी कर ली है। जांच में एफआइआर के सभी तथ्यों को सही पाया गया है। अब न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया जाएगा। आरोपितों में निगम के तत्कालीन महाप्रबंधक समेत तीन अधिकारी भी घोटाले में शामिल थे, इसलिए चार्जशीट फाइल करने से पहले सीबीसीआइडी ने शासन से अभियोजन स्वीकृति की अनुमति मांगी है। हालांकि, इनमें से एक आरोपित अधिकारी की मृत्यु हो चुकी है और दो सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
वर्ष 1997 में अंसल ग्रुप ने यूपीसीडा से बल्क सेल के जरिए गाजियाबाद व दिल्ली के बीच 87.10 एकड़ अविकसित जमीन का आवंटन कराया था। प्राधिकरण ने 1100 रुपये प्रतिवर्ग मीटर दर के स्थान पर 50 रुपये के समझौता पत्र पर महज 397 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से जमीन बेच दी थी। अंसल ने इसकी रजिस्ट्री नहीं कराई। बाद में इस जमीन को 2200 रुपये प्रति वर्ग गज के दर से विकसित करके बेचा। इसे ट्रोनिका सिटी (अब ट्रांस सिग्नेचर सिटी) नाम दिया गया। इसके बाद प्लाट खरीदने वालों को प्रथम आवंटी बताते हुए यूपीसीडा की दरों पर ही रजिस्ट्री कराई गई, जबकि तत्कालीन सर्किल रेट (11000 रुपये वर्ग मीटर) पर होनी चाहिए थी। इस तरह से अंसल ग्रुप ने निबंधन विभाग को दोहरी चोट पहुंचाई।
जांच में सामने आया था कि प्राधिकरण ने 13.96 एकड़ ग्राम समाज की जमीन बिना मिले ही उसका अनुबंध कर दिया था। जब घोटाला हुआ था, उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम था, जो बाद में प्राधिकरण बना। घोटाले की जानकारी सामने आने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीसीआइडी ने जांच कर दो जनवरी 2019 को कल्याणपुर थाने में प्राधिकरण के तत्कालीन महाप्रबंधक यशपाल सिंह (सेवानिवृत्त), तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक प्रदीप कुमार (सेवानिवृत्त), तत्कालीन सहायक मैनेजर अनूप कुमार श्रीवास्तव (मृत्यु हो चुकी है) के अतिरिक्त अंसल ग्रुप के मालिक दीपक अंसल, रामबोध मौर्या, सुभाषचंद्र बाधवा, संतोष कुमार, राजेश कुमार चौहान, आसैर शब्बीर अहमद के खिलाफ धोखाधड़ी, सरकारी कर्मचारी द्वारा गबन सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
साढ़े चार करोड़ रुपये की स्टांप चोरी : इस प्रकरण में सहायक आयुक्त स्टांप ने जांच की तो पहली बार 1.5 करोड़ और दूसरी बार तीन करोड़ रुपये की स्टांप चोरी पकड़ी थी। इस तरह से यह राशि साढ़े चार करोड़ है। हालांकि, इससे पूर्व सितंबर 2004 को तत्कालीन एडीएम एवं वित्त ने 2.82 करोड़ रुपये की स्टांप चोरी का नोटिस जारी किया था।