गंभीर अपराध में किशोरों पर बड़ों की तरह मुकदमा
जागरण संवाददाता, कानपुर : अपराध गंभीर है तो किशोरों पर भी बड़ों की तरह मुकदमा चलेगा
जागरण संवाददाता, कानपुर : अपराध गंभीर है तो किशोरों पर भी बड़ों की तरह मुकदमा चलेगा फिर भले ही वह 18 वर्ष से कम के क्यों न हों। हां, यह उम्र 16 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। सोमवार को केडीए सभागार में किशोर न्याय अधिनियम पर आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम में यह जानकारी दी गयी।
आइसीपीएस (इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम) के तहत मंडलायुक्त सुभाष चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में अधिकारियों ने किशोर न्याय अधिनियम में हुए संशोधन के बारे में जाना। उन्हें बताया गया कि बच्चों की पढ़ाई लिखाई, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का निदान कैसे करना है।इस अवसर पर फर्रुखाबाद की डीएम मोनिका रानी, एडीएम सिटी सतीश पाल, सीडीओ अभिषेक आनंद, जिला प्रोबेशन अधिकारी अभिषेक पांडेय उपस्थित रहे।
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सीडब्ल्यूसी की समीक्षा होगी
प्रदेश सरकार ने सीडब्ल्यूसी की समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है। अभी तक इनके काम की समीक्षा नहीं होती थी। अब डीएम त्रैमासिक रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजेंगे।
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प्रति बच्चा मिलेंगे दो हजार
बालश्रम से बचाए गए बच्चों के लिए प्रति बच्चा दो हजार रुपये देने का प्रावधान किया गया है। इसमे ग्राम स्तर, ब्लाक स्तर और जिला स्तर पर कमेटियां बनेंगी। सौ बच्चों की जरूरत के सापेक्ष बीस बच्चों के लिए बजट आता है तो उस स्थिति में जिला कमेटी सबसे अधिक जरुरतमंद बच्चों का चयन करेगी और उन्हे सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता दी जाएगी। बच्चों की होगी काउंसिलिंग
राजकीय बालगृह बालिका, बालक और संवासिनी गृह में रह रहीं संवासिनियों की काउंसिलिंग की जाएंगी ताकि उन्हे परिजनों तक पहुंचाया जा सके। जरूरत पड़ी तो परिजनों की भी काउंसिलिंग होगी।
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उम्र से जुड़े प्रमाणपत्रों का होगा परीक्षण
निर्देश दिया गया कि अपराध में संलिप्त किशोर की उम्र और उससे जुड़े दस्तावेजों का पहले पुलिस अधिकारी अपने स्तर पर परीक्षण करेंगे। जरूरत पड़ने पर ही सीएमओ से मेडिकल कराया जाएगा।