सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव पर देशद्रोह के मुकदमे की अर्जी
पुलवामा हमले को लेकर दिये बयान को आधार बनाकर प्रकीर्ण वाद दर्ज हुआ है 10 अप्रैल को कोर्ट सुनवाई करेगा।
By AbhishekEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 03:28 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 03:28 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। पुलवामा हमले पर बयान सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव के लिए मुसीबत बन सकता हैै। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में इस बयान को आधार बनाकर मुकदमे की अर्जी दी गई है। सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत प्रार्थना पत्र देकर देशद्रोह में मुकदमा चलाए जाने की अपील न्यायालय से की गई है। प्रकीर्ण वाद दर्ज करते हुए न्यायालय ने मामले की पोषणीयता (वैधानिकता) पर सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की है।
बर्रा-7 के न्यू एलआइजी निवासी अधिवक्ता रविकांत ने स्पेशल सीजेएम कोर्ट में सोमवार को प्रार्थना पत्र दिया। बतौर प्रार्थना पत्र पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमला करवाया था। वायुसेना ने इसका जवाब दिया और पाक के भीतर घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को नष्ट किया। 23 मार्च 2019 को सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि पुलवामा में वोट के लिए जवान मार दिए गए। जब केंद्र में सरकार बदलेगी तो इस मामले की जांच करायी जाएगी, जिसमे बड़े-बड़े लोग फंसेंगे।
मामले में अधिवक्ता आनंद शंकर जायसवाल ने न्यायालय में दलील दी कि सपा राष्ट्रीय महासचिव ने जवानों की हत्या के लिए भारत सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने मामले की जांच की थी और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को हमले का जिम्मेदार ठहराया था। ऐसे में उक्त बयान आइपीसी की धारा 124 (देशद्रोह) की श्रेणी में आता है। चूंकि इस संबंध में वह बर्रा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गए लेकिन पुलिस ने उन्हे राजनीतिक मामला बताकर वापस कर दिया। जिसके बाद उन्होंने एसएसपी को रजिस्टर्ड डाक से सूचना दी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। अधिवक्ता ने न्यायालय ने मुकदमा दर्ज कराए जाने की अपील की है।
बर्रा-7 के न्यू एलआइजी निवासी अधिवक्ता रविकांत ने स्पेशल सीजेएम कोर्ट में सोमवार को प्रार्थना पत्र दिया। बतौर प्रार्थना पत्र पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमला करवाया था। वायुसेना ने इसका जवाब दिया और पाक के भीतर घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को नष्ट किया। 23 मार्च 2019 को सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि पुलवामा में वोट के लिए जवान मार दिए गए। जब केंद्र में सरकार बदलेगी तो इस मामले की जांच करायी जाएगी, जिसमे बड़े-बड़े लोग फंसेंगे।
मामले में अधिवक्ता आनंद शंकर जायसवाल ने न्यायालय में दलील दी कि सपा राष्ट्रीय महासचिव ने जवानों की हत्या के लिए भारत सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने मामले की जांच की थी और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को हमले का जिम्मेदार ठहराया था। ऐसे में उक्त बयान आइपीसी की धारा 124 (देशद्रोह) की श्रेणी में आता है। चूंकि इस संबंध में वह बर्रा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गए लेकिन पुलिस ने उन्हे राजनीतिक मामला बताकर वापस कर दिया। जिसके बाद उन्होंने एसएसपी को रजिस्टर्ड डाक से सूचना दी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। अधिवक्ता ने न्यायालय ने मुकदमा दर्ज कराए जाने की अपील की है।
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