छावनी परिषद कानपुर जनहित याचिका और अवमानना में फंसा
छावनी परिषद के लिए अप्रैल का महीना बेहद महत्वूपर्ण हो गया है। दो मामलों में परिषद पर अवमानना का वाद दायर हुआ है।
जागरण संवाददाता, कानपुर: छावनी परिषद के लिए अप्रैल का महीना बेहद महत्वूपर्ण हो गया है। एक ओर जहां सभासद चोखेलाल का निर्वाचन निरस्त करने के मामले में दूसरे पक्ष ने अदालत की अवमानना का केस दायर कर दिया है, वहीं छावनी की जमीन पर निर्मित एक रेस्टोरेंट के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका स्वीकार हो गई है। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई शुरू करते हुए सीईओ को तलब किया है।
प्रकरण नंबर 1
मई 2015 में हुए छावनी परिषद के चुनाव में वार्ड नंबर 2 से चोखेलाल सभासद निर्वाचित हुए थे। नामांकन के समय उन्होंने अपनी जाति मझवार घोषित की थी। दूसरे नंबर के उम्मीदवार राजेंद्र सोनकर ने आरोप लगाया था कि चोखेलाल जाति से निषाद हैं और उन्होंने असत्य जानकारी दी है, इसलिए उनका निर्वाचन निरस्त किया जाए। डीएम द्वारा की गई जांच में चोखेलाल का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया था। बाद में राजेंद्र निर्वाचन निरस्त करने को हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने भी मामला सही पाया और उनका निर्वाचन निरस्त करने का आदेश दिया था। लेकिन काफी समय गुजरने के बाद भी छावनी परिषद ने इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की है। इस पर राजेंद्र ने अदालत की अवमानना का केस दायर कर दिया है। हाईकोर्ट ने छावनी परिषद से पूरे प्रकरण में छह हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। अधिकारी का बयान
सभासद चोखेलाल के निर्वाचन को निरस्त करने का अधिकार भारत सरकार को है। हाईकोर्ट के आदेश से सरकार को तत्काल अवगत करा दिया गया था। वहां से निर्देश अभी तक नहीं मिला है।
हरेंद्र सिंह, सीईओ छावनी परिषद
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प्रकरण नंबर 2
यह मामला छावनी में स्थित एक रेस्टोरेंट को लेकर है। सड़क किनारे स्थित इस रेस्टोरेंट के खिलाफ छावनी निवासी पीके डे ने एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। आरोप है कि रेस्टोरेंट का बड़ा हिस्सा छावनी की जमीन पर बना है और मिलीभगत के चलते सरकरी जमीन कब्जा ली गई है। साथ ही रेस्टोरेंट के चलते आवागमन बुरी तरह से प्रभावित होता है। सूत्रों के मुताबिक रेस्टोरेंट की पार्किंग और जनरेटर रूम छावनी परिषद की जमीन पर बना है। होईकोर्ट ने जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए सीईओ छावनी परिषद को 10 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर इस प्रकरण में जांच रिपोर्ट दायर कराने को कहा है।
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एक रेस्टोरेंट को लेकर की गई जनहित याचिका में याचिकाकर्ता के आरोपों पर जांच शुरू की गई है। रेस्टोरेंट का कुछ हिस्सा अतिक्रमण में है, जिसके खिलाफ पीपी एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
हरेंद्र सिंह, सीईओ छावनी परिषद