आखिरी स्टेज में कैंसर संस्थान
जागरण संवाददाता, कानपुर : कैंसर के मरीजों का इलाज करते-करते सूबे का एकमात्र राजकीय जेके
जागरण संवाददाता, कानपुर : कैंसर के मरीजों का इलाज करते-करते सूबे का एकमात्र राजकीय जेके कैंसर संस्थान भी बीमार हो गया है। इसके इलाज का बंदोबस्त शासन नहीं कर पा रहा है। आखिरी स्टेज में पहुंचे अंतिम सांसें गिन रहे संस्थान को आइसीयू एवं वेंटीलेटर की दरकार है। भवन पूरी तरह जर्जर होने से अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे का दावा इसकी नब्ज टटोल कर हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी(एचबीटीयू) एवं लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के विशेषज्ञ कर गए हैं।
जेके कैंसर संस्थान की स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी। यहां सूबे ही नहीं, पड़ोसी राज्य नेपाल तक के मरीज इलाज के लिए आते हैं। संस्थान में रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी एवं सर्जरी की सुविधा है। हद यह है कि कैंसर संस्थान में न आंकोलाजिस्ट और न आंको सर्जन हैं। ऐसे में बच्चों के कैंसर के इलाज की बात करना बेमानी होगी। यहां हर साल 12 हजार से अधिक कैंसर के नए मरीज इलाज के लिए आते हैं। 25 हजार से अधिक पुराने मरीज फालोअप के लिए आते हैं। सात हजार से अधिक मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है।
देखभाल के अभाव में बिल्डिंग जर्जर
कैंसर संस्थान की बिल्डिंग की देखभाल एवं मरम्मत वर्षो से नहीं हुई है। इस वजह से बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गई है। भवन में कई जगह दरारें पड़ गई हैं।
भूकंप के झटके से गिर सकती बिल्डिंग
जेके कैंसर संस्थान के बिल्डिंग का निरीक्षण एचबीटीयू के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग के विभागाध्यक्ष ने किया था। उन्होंने भवन की मरम्मत के बाद महज पांच साल तक उम्र बढ़ने की रिपोर्ट दी है जबकि पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन की अगुवाई में आई टीम ने भवन की उम्र पूरी होने की रिपोर्ट दी है। उनका कहना है कि ध्वस्तीकरण कराकर नई बिल्डिंग बनाई जाए वरना अगर भूकंप आया तो झटके से बिल्डिंग गिर सकती है।
बंद पड़ा है एक ओटी
संस्थान में दो आपरेशन थियेटर (ओटी) हैं। एक पहली मंजिल तथा दूसरा भूतल पर है। पहली मंजिल स्थित ओटी में जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। इससे ओटी का स्ट्रेलाइजेशन ठीक से नहीं होता है। कैंसर के मरीजों की सर्जरी बहुत संवेदनशील होती है। मरीजों को होने वाले खतरे को देखते हुए ओटी को बंद करने का निर्णय लिया गया है।
बंद पड़ा है आइसीयू
संस्थान में छह बेड का आइसीयू है। गंभीर मरीजों के लिए इसकी व्यवस्था की गई है। आइसीयू के संचालन के लिए छह टेक्नीशियन मांगे गए हैं, लेनिक तैनाती न होने से इसे चलाया नहीं जा सका।
नर्सिग स्टाफ की कमी
संस्थान में कुल 118 बेड एवं दो ओटी हैं जबकि नर्सिग स्टॉफ महज 20। मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं एवं आइसीयू के संचालन के लिए 54 नर्सिग स्टाफ मांगा गया है, लेकिन अभी तक मुहैया नहीं कराया जा सका है।
कैंसर विशेषज्ञ नहीं
संस्थान में पीडियाट्रिक आंकोलॉजिस्ट, आंको सर्जन एवं हेमेटोलाजिस्ट नहीं हैं। ऐसे में कई बार गंभीर मरीजों को दिल्ली एवं मुंबई रेफर करना पड़ता है।
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पेट स्कैन की सुविधा नहीं
कैंसर का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक पेट स्कैन मशीन आती है। इसकी सुविधा संस्थान में नहीं है। रोजाना 2-3 मरीजों की जांच कराने की जरूरत होती है। मजबूरी में उन्हें बाहर जांच कराने के लिए भेजा जाता है। बाहर यह जांच 22 हजार रुपये में होती है।
हाईकोर्ट की फटकार पर सुनवाई
कैंसर संस्थान में अव्यवस्था को लेकर जन उत्थान विधिक सेवा समिति की सचिव सारिका द्विवेदी और अध्यक्ष आशुतोष द्विवेदी ने 28 अक्टूबर 14 को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए तात्कालीन चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और प्रदीप कुमार सिंह बघेल ने शासन को फटकार लगाई थी। इसके बाद मशीनें दुरुस्त कराई गई।
एक नजर में कैंसर संस्थान
100 बेड
06 बेड का प्राइवेट रूम
06 बेड डे केयर
06 बेड आइसीयू
02 आपरेशन थियेटर (एक ओटी खराब)
01 करोड़ रुपये औषधि एवं रसायन
50 लाख रुपये असाध्य रोग निधि
12000 ओपीडी में साल भर में आए नये मरीज
25000 ओपीडी में साल भर में आए पुराने मरीज
7000 इनडोर में साल भर में आए मरीज
500-600 बड़ी व छोटी कैंसर सर्जरी साल भर में होती
फैकल्टी
01 पैथालाजिस्ट
01 रेडियोलाजिस्ट
06 रेडियोथेरपी विभाग
02 मेडिकल फिजिक्स
02 एनस्थेटिक
01 जनरल सर्जन
01 दंत रोग विशेषज्ञ
नर्सिग स्टॉफ
01 मेट्रन
07 सिस्टर
12 स्टाफ नर्स
इन जांच की सुविधा
डिजिटल एक्सरे, ओपीजी जांच, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआइ, पैथालाजी में सेमी आटो एनालाइजर, हेमेटोलाजी काउंटर।
रेडियोथेरेपी की सुविधा
लिनियर एक्सीलरेटर, कोबाल्ड मशीन, हाई डोज रेडियोथेरपी मशीन, ट्रीटमेंट प्लानिंग सिस्टम (टीपीएस), सीटी सिमुलेटर।
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इंजीनियरों की टीम कैंसर संस्थान की बिल्डिंग की उम्र पूरी होने की रिपोर्ट दे चुकी है। अत्याधुनिक भवन निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा है। मरीज हित में अन्य सुविधाएं बढ़ाने को लगातार डिमांड की जा रही है। आइसीयू के संचालन के लिए ओटी टेक्नीशियन एवं नर्सिग स्टॉफ की जरूरत है।
- डॉ. एमपी मिश्र, निदेशक, जेके कैंसर संस्थान।