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CAA : IIT कानपुर के छात्रों को शांति मार्च में पांच प्रोफेसरों ने भड़काया था, जांच में सामने आया सच

CAA protest in UP आईआईटी कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए प्रदर्शन और शांति मार्च में कई प्रोफेसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 10:10 PM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 08:42 AM (IST)
CAA : IIT कानपुर के छात्रों को शांति मार्च में पांच प्रोफेसरों ने भड़काया था, जांच में सामने आया सच
CAA : IIT कानपुर के छात्रों को शांति मार्च में पांच प्रोफेसरों ने भड़काया था, जांच में सामने आया सच

कानपुर, जेएनएन। CAA protest in UP : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर हुए प्रदर्शन और शांति मार्च में कई प्रोफेसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इनमें पांच प्रोफेसर ऐसे थे, जिन्होंने शांति मार्च के दौरान छात्रों को उकसाने वाले इशारे किए थे। इस मामले में बनाई गई छह सदस्यीय कमेटी के सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट आईआईटी प्रशासन को सौंप दी है। जल्द ही इस संबंध में बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।

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जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए का विरोध कर रहे छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में आईआईटी कानपुर में छात्रों ने 17 दिसंबर, 2019 को शांति मार्च निकाला था। इस प्रदर्शन में बीटेक, एमटेक और पीएचडी के करीब तीन सौ छात्र शामिल हुए थे। इसकी प्रदर्शन की इजाजत प्रबंधन से नहीं ली गई थी, जबकि आईआईटी प्रशासन ने परिसर में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगा रखी थी। छात्रों ने पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज्म भी पढ़ी थी। इस मामले की जांच के लिए संस्थान में लगे सीसीटीवी और मोबाइल कैमरों की रिकार्डिंग का इस्तेमाल किया गया।

आइआइटी सूत्रों का कहना है कि इसी वीडियो की जांच में ऐसे दृश्य भी हैं, जिनमें आईआईटी के पांच प्रोफेसर छात्रों को उकसाने वाले इशारे करते दिख रहे हैं। इनसे छात्र उग्र हो रहे थे। आईआईटी के सुरक्षा कर्मियों ने छात्रों को समझा-बुझाकर उन्हें शांत किया था। प्रारंभिक जांच में 11 प्रोफेसर शक के दायरे में थे, जिनमें से सात के स्थायी या अस्थायी तौर पर प्रदर्शन में शामिल होने की पुष्टि हुई है। इस संबंध में आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नहीं उठा। डिप्टी डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल से पूछा गया तो उन्होंने इस विषय को गोपनीय बताते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया।

वीडियो वायरल होते ही सनसनी

आईआईटी के प्रो. वाशी शर्मा ने शांति मार्च की वायरल वीडियो आईआईटी प्रशासन को भेज कर प्रदर्शन और फैज की नज्म गाए जाने की जांच की मांग की थी। आईआईटी प्रशासन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताकर नज्म की जांच कराने से मना कर दिया था।

शहर में लागू थी धारा-144

संस्थान प्रशासन के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि इस प्रकरण में कार्रवाई हो सकती है। प्रदर्शन के दौरान शहर में धारा 144 लागू थी। ऐसे में प्रशासन की इजाजत के बिना किसी भी तरह का प्रदर्शन करना अपराध है।


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