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chhath-Puja 2019 : एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर महिलाओं ने अस्त होते सूर्य को दिया अघ्र्य Kanpur News

घाटों पर बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु सुख समृद्धि दीर्घायु के साथ ही की संतान प्राप्ति की कामना।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 11:12 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 11:12 AM (IST)
chhath-Puja 2019 : एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर महिलाओं ने अस्त होते सूर्य को दिया अघ्र्य Kanpur News
chhath-Puja 2019 : एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर महिलाओं ने अस्त होते सूर्य को दिया अघ्र्य Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। अस्त होते भगवान सूर्य को अघ्र्य देतीं और एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरतीं सुहागिनें, वातावरण में गूंजते छठ मइया के गीत। जल में टिमटिमाते लाखों दीप। यह मनोहारी दृश्य था छठ पूजन के लिए बनाए गए घाटों का। यहां लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर और छठ मइया का पूजन किया। छठ मइया की महिमा की कथा सुनकर उनसे सुख समृद्धि, दीर्घायु और संतान प्राप्ति की कामना की। इस दौरान 'कौन दिन ऊगी छई हे दीनानाथ...' व 'हे छठी मइया तोहार महिमा अपार ...' आदि लोकगीत पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया।

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर भगवान आदित्य को अघ्र्य देने के लिए व्रती महिलाएं परिवार के सदस्यों के साथ घाटों की ओर चल पड़ीं।

नंगे पांव, सिर पर फूल व फल से भरी डलिया लेकर जब लोग घाटों पर पहुंचे तो वहां मां के जयकारों से वातावरण गंूज उठा। भगवान सूर्य के अस्त होने का समय जैसे-जैसे नजदीक पहुंचा, घाट पर आने वालों की संख्या बढऩे लगी। घाटों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिन महिलाओं की कामना पूरी हो गई थी वे नई बहुओं को सुहाग के सामान भी बांट रही थीं। गीतों के माध्यम से मां की स्तुति का दौर पूरी रात तक चलता रहा। पूजन के बाद महिलाएं घर पहुंची और गन्ने का मंडप बनाकर दीप प्रज्वलित किया और कोसी भरी। उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद रात तीन बजे से घाटों की ओर परिवार के साथ महिलाओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था।

इन घाटों पर सुहागिनों ने दिया अघ्र्य

सीटीआई नहर, गोलाघाट, मेस्कर घाट, मैग्जीन घाट, सत्ती चौरा, कोयला घाट, अर्मापुर नहर, पनकी नहर, शास्त्री नगर, विजय नगर, देवकी, कल्याणपुर, रावतपुर, गंगा बैराज घाट के साथ ही छोटा सेंट्रल पार्क, बड़ा सेंट्रल पार्क में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही। यहां सुहागिनों ने सूर्य भगवान को अघ्र्य दिया।

किया आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ

भगवान भास्कर को प्रसन्न करने के लिए तमाम श्रद्धालुओं ने घाटों पर आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ किया। भगवान सूर्य के अस्त होने तक श्रद्धालु सूर्य गायत्री, सूर्य बीज मंत्र और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ भी करते रहे। महिलाओं ने छठी मैया के व्रत से जुड़ी कथा भी सुनायी।

घाट पर गूंजते रहे गीत

-छठ मइया के आके सजा देबू का हो...

- छठ मइया कै करै पुजनवां चला हो सखि चलि भिनसार ...

-कहवां भइल एतनी देर हो माई ...

-केलवा जो फरेला गवध से ऊपर सुगा मंडराय...

-दरसन दीन्ही अपार है छठी मइया दरसन दीन्ही अपार

रोशनी से जगमगा उठे घाट

छठ पर्व पर घाटों को रंग बिरंगी झालरों से सजाया गया था। अर्मापुर, पनकी, सीटीआई नहर और अन्य घाट झालरों की रोशनी से जगमगा उठे। ऐसा लगा मानों करोड़ों तारे आसमान से टूटकर पानी में उतर आए हों। छठ मैया और भगवान भास्कर के स्वागत को जल में दीप प्रवाहित किए गए तो लगा मानों नहर और मां गंगा ने दीपों की झिलमिल चूनर ओढ़ ली हो।

गीतों के जरिए उपासना

श्रद्धालुओं ने गीत गाकर छठ मैया की उपासना की। घाटों पर पर्व से जुड़े लोकगीत तो बज ही रहे थे महिलाएं भी गीत गुनगुना रहीं थीं।

दंडवत करते हुए पहुंचे घाट

जिनकी मन्नत पूरी हुई वह श्रद्धालु घाट पर दंडवत करते हुए पहुंचे। छठ मैया और भगवान सूर्य के प्रति अटूट आस्था के सहारे वे बिना रूके घाट की ओर बढ़ रहे थे। विजय नगर निवासी ऋषि पांडेय और उनके भाई समर्थ दंडवत करते हुए अर्मापुर घाट पर पहुंचे। घाट पहुंचे ऋषि ने बताया कि उनके कोई संतान नहीं थी। मां ने उनकी कामना पूरी की इसलिए वे लेटकर आए हैं।  


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