जीएसटी और आयकर विभाग अब मिलकर करेंगे काम, रिटर्न में हेराफेरी करने वालों पर रहेगी नजर
कर अपवंचना के लिए कई कारोबारी दोनों विभागों के रिटर्न में आंकड़ों का अंतर दिखाकर हेराफेरी करते हैं इसे रोकने के लिए जीएसटी और आयकर विभाग ने एमओयू साइन किया है।
कानपुर, जेएनएन। जीएसटी और आयकर विभाग में फाइल किए जाने वाले रिटर्न में अब कर अपवंचना के लिए खेल करना आसान नहीं होगा। मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन होने के बाद अब दोनों विभागों में एक-दूसरे से आंकड़ों का आदान-प्रदान होगा और आसानी से पता चल जाएगा कि कारोबारी ने किस विभाग को क्या आंकड़े दिए।
बैंक से लोन लेने के लिए कई बार कारोबारी आयकर रिटर्न में अपना स्टॉक बढ़ाकर दिखा देते हैं, जबकि जीएसटी के रिटर्न में स्टॉक कुछ और होता है। इसी तरह दोनों ही विभागों को दिए जाने वाले बिक्री के आंकड़ों में भी खेल हो जाता है। आयकर विभाग व जीएसटी के अधिकारी किसी मामले में फंसने पर एक-दूसरे से आंकड़े तो मांगते हैं लेकिन यह बहुत आसान नहीं होता।
इसकी वजह से कई बार प्रक्रिया बहुत लंबी हो जाती है। कारोबारी तो यहां तक खेल कर देते हैं कि दो बैलेंसशीट बनवा लेते हैं। इन्हें अपने हिसाब से आयकर और जीएसटी में दे देते हैं। कोई आपसी समन्वय न होने से इन्हें पकड़ा नहीं जा पाता है। टैक्स सलाहकार संतोष कुमार गुप्ता के मुताबिक इससे दोनों विभागों को सूचनाएं आदान-प्रदान करने में आसानी होगी।
-दोनों विभागों में सूचनाओं की शेयरिंग होने से कर अपवंचना करने वाले अब बच नहीं सकेंगे। अगर वे दो-दो बैलेंसशीट बनाकर उसे देंगे तो भी दोनों विभाग की शेयरिंग शुरू होने से इसे पकड़ लिया जाएगा। इसके बाद दोनों ही विभाग उन पर कार्रवाई कर सकेंगे। -सुशील कुमार सिंह, संयुक्त आयुक्त, वाणिज्य कर विभाग, कानपुर।