शहर में बसों का बेड़ा गर्क, दम तोड़ गई सेवाएं
एक दशक में परिवहन की एक भी सेवा सफल नहीं, भ्रष्टाचार, निरंकुशता के गठजोड़ से हालात हुए बदतर
जमीर सिद्दीकी, कानपुर : भ्रष्टाचार, निरंकुशता और निजी बस मालिकों से गठजोड़ ने परिवहन निगम के कानपुर परिक्षेत्र में बसों का बेड़ा गर्क कर दिया है। एक-एक कर तमाम बस सेवाएं दम तोड़ती गई। बेड़े में बसों की संख्या सिमटती चली गई। यह हाल ऐसे ही नहीं हुआ। खोखली होती परिवहन निगम की सेवाओं को दुरुस्त करने के बजाय हर सरकार में पार्टी का रंग बसों पर चढ़ता रहा व सेवाओं का नाम बदलता रहा। बेहतर सुविधाओं की दरकार बनी ही रही। 11 वर्षो में एक भी बस सेवा सुचारू न चल सकी
विशेष बस सेवाओं की बात करें तो पिछले 11 वर्षो में एक भी ऐसी सेवा नहीं है, जो सुचारु रूप से चली हो। पहले सर्वजन सुखाय और सर्वजन हिताय सेवा के नाम से बसपा शासन में बस चली और फेल हो गई। सपा की सरकार बनी तो लोहिया बस सेवा समेत कई नामों से बसें सड़क पर आई, लेकिन नतीजा ढांक के तीन पात रहा। अब बीजेपी सरकार में भी नई बस सेवाएं हैं, अधिकारियों के पुराने ढर्रे को देख कहना मुश्किल है कि ये कितने दिन चलेंगी। 120 बसों का बेड़ा 47 पर सिमटा
अफसर बसों के समय से संचालन पर न ध्यान देते हैं, न मरम्मत पर। कागजों पर मरम्मत कर धन की-लूट खसोट के खेल से निगम बदहाल हो गया है और बसें कार्यशालाओं में खड़ी हो हैं। बेहतर सुविधाओं के नाम शुरू की गई एसी बसों की बात करें तो 120 बसों का बेड़ा आज सिमट कर 47 हो गया है। इनमें जनरथ 35, मिलेनियम दो और दस मिनी एसी बस रह गई हैं। बस सेवाओं का हश्र
बस सेवा परिणाम
ø शीतल बस सेवा बंद
ø शताब्दी सेवा इक्का-दुक्का
ø पवन सेवा बंद
ø पवन गोल्ड सेवा बंद
ø सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाए बंद
ø ग्रामीण बस सेवा नाममात्र की
ø रैपिड एक्शन सेवा नाममात्र की
ø लोहिया ग्रामीण बस सेवा सीमित संख्या अव्यवस्था का आलम
ø डिपो में बस निकलने के समय पर कोई ध्यान नहीं
ø बस अड्डे पर बसों की कोई समयसारिणी नहीं है
ø किसी बस का रूट निर्धारित नहीं
ø किसी बस का किराया फिक्स नहीं
ø बसों का रखरखाव खराब
ø यात्री सुविधा शून्य।
ø बसों में सीटें टूटी, सुरक्षा मानक नहीं, फर्स्ट एड बाक्स नहीं। वीआइपी बसें भी बंद
लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, इलाहाबाद से झकरकटी बस अड्डा से होते हुए दिल्ली, आगरा, वृंदावन, जयपुर तक चलने वाली वाल्वो बसें, मिलेनियम सेवा, स्कैनिया सेवा लगभग बंद हो चुकी है। अब ले-देकर जनरथ एसी बस सेवा है, जिनका समय पर संचालन नहीं होता। परिवहन निगम में घोटाले
ø ऑनलाइन एमएसटी बनाने में घोटाला।
ø फतेहपुर समेत कई डिपो में मैनुअल टिकट में हेराफेरी।
ø एक ही टिकट को कई कई बार कंडक्टरों ने प्रयोग किया।
ø बिना बुकिंग के माल ले जाकर राजस्व को चपत
ø सिटी बसों की एमएसटी में घोटाला।
ø बसों में डीजल और सीएनजी भराने में खेल।
ø कार्यशाला में बसों के निर्माण में हेराफेरी।
ø प्राइवेट कंपनियों से बसों का निर्माण कराकर लाखों की चपत।
कुछ सेवाएं ही हो पाती सफल
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक, कानपुर परिक्षेत्र अतुल जैन का कहना है कि जितनी भी सेवाएं शुरू होती हैं, उनमें कुछ सेवाएं सफल हो जाती हैं तो कुछ नहीं चल पाती हैं। अप्रैल 2018 से अगस्त तक दो करोड़ रुपये का मुनाफा कानपुर रीजन में कमाया है।