बीफार्मा की पढ़ाई में भवन का जीर्णोद्धार बना रोड़ा, पीसीआइ में आज तक नहीं हो सका आवेदन
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बैचलर इन फार्मेसी (बीफार्मा) की पढ़ाई में भवन का जीर्णोद्धार रोड़ा बना हुआ है।
कानपुर,जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बैचलर इन फार्मेसी (बीफार्मा) की पढ़ाई में भवन का जीर्णोद्धार रोड़ा बना हुआ है। चार वर्षो में कार्य पूरा न होने से मान्यता के लिए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआइ) में आज तक आवेदन भी नहीं हो सका है।
मेडिकल कॉलेज के फार्मेसी विभाग में डीफार्मा की पढ़ाई वर्ष 1962 में हो रही है। शासन ने इसे अपग्रेड करने के लिए बैचलर इन फार्मेसी (बीफार्मा) की पढ़ाई कराने का निर्णय वर्ष 2016 में लिया था। इसलिए नर्सिग कॉलेज परिसर स्थित फार्मेसी के जर्जर भवन और हॉस्टल के जीर्णोद्धार को 2.17 करोड़ रुपये जारी करते हुए उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम (यूपी सिडको) को जिम्मा सौंपा। उसके ठीकेदार ने वर्ष 2018 में कार्य पूरा कर भवन हस्तगत करने के लिए तात्कालीन प्राचार्य प्रो. नवनीत कुमार को सूचित किया। फार्मेसी के तात्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो. आरएन ठाकुर ने कार्य की गुणवत्ता पर आपत्ति जताते हुए हस्तगत करने से इन्कार कर दिया। थर्ड पार्टी ऑडिट के लिए प्राचार्य को पत्र लिख दिया। इस पर प्राचार्य ने हटकोर्ट बटलर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एचबीटीआइ) के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग से कराने का निर्णय लिया तो विभागाध्यक्ष ने फिर आपत्ति जताई।
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से जांच कराने का आग्रह किया। हालांकि एचबीटीयू से ही ऑडिट कराया, जिसमें क्लीनिक चिट मिल गई। फिर भी तात्कालीन विभागाध्यक्ष भवन हस्तगत करने को तैयार नहीं हुए। पूरे मामले से शासन को अवगत करा दिया। वर्ष 2018 में प्रो. आरती लालचंदानी ने प्राचार्य की कुर्सी संभालने के बाद बीफार्मा के लिए कवायद शुरू की, लेकिन भवन का मसला नहीं सुलझा सकीं। उन्होंने पूरे प्रकरण से शासन को अवगत करा दिया।
15 दिन पहले आए थे अधिकारी
शासन से सख्ती होने पर यूपी सिडको के अफसर 15 दिन पहले कॉलेज आए थे। फिर से भवन हस्तगत करने का आग्रह किया। इस पर प्राचार्य ने कॉलेज के जेई से रिपोर्ट मांग ली। भवन में कई कमियां हैं, लेकिन उन गड़बड़ियों को आज तक दूर नहीं किया जा सका है।
-चार कमरों तथा हॉस्टल के जीर्णोद्धार में 2.17 करोड़ खर्च होना समझ से परे है। दो दिन पहले भवन देखने गए थे। इसमें गड़बड़ी हुई है। इसकी जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। - प्रो. आरती लालचंदानी, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।