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'रानी लक्ष्मीबाई' की राह में रोड़ा बना बजट, महिलाओं को तुरंत सहायता नहीं दे पा रही रेस्क्यू टीम Kanpur News

कानपुर में महिला अपराध मामलों में पीडि़ता को संरक्षण देने के लिए रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र खोला गया था।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 04:37 PM (IST)
'रानी लक्ष्मीबाई' की राह में रोड़ा बना बजट, महिलाओं को तुरंत सहायता नहीं दे पा रही रेस्क्यू टीम Kanpur News
'रानी लक्ष्मीबाई' की राह में रोड़ा बना बजट, महिलाओं को तुरंत सहायता नहीं दे पा रही रेस्क्यू टीम Kanpur News

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। दिल्ली, कठुआ और अब हैदराबाद में हुई हृदयविदारक घटनाओं के बाद हर तरफ गुस्सा और नाराजगी है। महिलाओं, युवतियों और बच्चियों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने को लेकर सड़क से लेकर संसद तक बहस हो रही है। पुलिस और प्रशासन से व्यवस्था को और मजबूत करने की मांग हो रही है। लेकिन, कानपुर में महिला अपराध से जुड़े मामलों में पीडि़ता को संरक्षण देने के लिए बनाए गए 'हथियार' में ही जंग लग गया है।

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पीडि़त महिलाओं को संरक्षण देती है टीम

महिला अपराध से जुड़े मामलों में महिलाओं को तुरंत सहायता पहुंचाने के लिए आठ मार्च 2016 को कानपुर में गोल चौराहे के पास रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र खोला गया। एक ही छत के नीचे पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर, कानूनी सलाहकार, मनोचिकित्सक आदि की सुविधा रखी गई। रानी लक्ष्मीबाई रेस्क्यू टीम बनाई गई। 181 नंबर पर महिला संग अपराध होने की सूचना लखनऊ से आने के बाद इस टीम को तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर महिला को संरक्षण देना था।

छह माह से नहीं मिला बजट

इस सेंटर को छह माह से बजट नहीं मिला है। इससे न तो रेस्क्यू वाहन को ईंधन मिल रहा है, न ही यहां कार्यरत 17 कर्मचारियों को वेतन। रेस्क्यू वाहन खड़ा हो जाने से महिला को तत्काल संरक्षण नहीं मिल रहा है। केंद्र से पुलिस को सूचना देकर काम चलाया जा रहा है। केंद्र को सूचना देने के बाद राहत न होने से लोगों का विश्वास कम हुआ है। पहले जहां रोज 15-20 शिकायतें आती थीं, अब वहां 4-5 शिकायतें ही आ रही हैं। यहां भी टीम नहीं पहुंच पा रही है। जट न होने के कारण निराश्रित महिलाओं को केंद्र में भी नहीं रखा जा पा रहा है।

इनकी भी सुनिए

-डीएम और प्रोबेशन अधिकारी को बजट के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं। बजट न मिलने से रेस्क्यू वैन खड़ी है। एक दिन में 15 से 18 कॉल आती थीं, अब एक तिहाई भी नहीं हैं। -अंकिता निगम, सेंटर एडमिनिस्ट्रेटर, रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र 

-स्टाफ को जुलाई तक का वेतन मिला है। यहां ही नहीं, कई जिलों में बजट के अभाव में रेस्क्यू वैन चलाने में समस्या है। महिला एवं बाल विकास विभाग को पत्र लिखा गया है। जल्द समाधान हो जाएगा। -अजीत कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी कानपुर

केंद्र में अब तक रजिस्टर्ड शिकायतें 

  • घरेलू हिंसा- 1420
  • दहेज उत्पीडऩ-133
  • एसिड अटैक-4
  • दुष्कर्म-15
  • पाक्सो-2
  • बालश्रम-1
  • छेड़छाड़-54
  • लावारिस-20
  • बाल विवाह-5
  • अन्य केस-259

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