खाने पर टूट पड़े भूख से तड़प रहे बाढ़ पीड़ित बच्चे
पानी भरने से घर छोड़कर महिला-ब'चों समेत गंगा बैराज हाईवे पर तंबू लगाकर गुजर कर रहे ग्रामीण
जागरण संवाददाता, कानपुर : हर काम में नाकाम साबित हो रहे शहर के आला अधिकारी एक बार फिर बेनकाब हैं। आपदा प्रबंधन की 'जुगाली' करते इनका मुंह नहीं थकता और हकीकत क्या है, ये गंगा किनारे के बाढ़ प्रभावित गांवों में जाकर देखा जा सकता है। अन्य इंतजामों की बात बाद में करेंगे। इससे ज्यादा शर्मसार करने वाला क्या हो सकता है कि पांच दिन से बाढ़ में घिरे परिवारों के छोटे-छोटे बच्चे भी भूख से तड़प रहे थे। जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने खाना बांटना शुरू किया तो बच्चे खाने पर टूट पड़े।
गंगा में आए उफान से किनारे के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में हैं। रास्ते जलमग्न हैं और ग्रामीण घर छोड़-छोड़ कर महिला-बच्चों समेत गंगा बैराज हाईवे पर आ गए हैं। पांच दिन से वह तंबू-तिरपाल लगाकर गुजर कर रहे हैं। इन अधिकांश बाढ़ प्रभावितों में गरीब ही हैं। मजदूरी कर पेट पालते हैं। काम पर नहीं जा रहे तो खाने का इंतजाम भी ढंग से नहीं कर पा रहे। अब तक जितने भी नेता दौरा करने गए, वह फोटो खिंचाने के लिए कुछ लोगों को दो-दो रुपये का बिस्किट का पैकेट बांट आए रूखी-सूखी ब्रेड। जिला प्रशासन की ओर से खाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। बच्चे भूख से किस तरह तड़प रहे थे, यह तब अहसास हुआ, जब मंगलवार को बिठूर विधायक अभिजीत सांगा, ख्योरा कटरी प्रधान अशोक निषाद, पूर्व प्रधान सुरेश निषाद और समाजसेवी सुशील दुबे ने खाना बनवाकर बंटवाया। खाना बन रहा था, तब तक बच्चे इर्दगिर्द मंडराते रहे। फिर जैसे ही बंटना शुरू हुआ तो वह उस पर टूट पड़े। पांच-पांच कतारें लगाकर उन्हें खाना दिया गया।
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बीमार हैं महिला-बच्चे, एक भी डॉक्टर नहीं
बहुत बड़ा बैनर लगाकर प्रशासन ने बाढ़ पीड़ित राहत शिविर तो लगा रखा है, लेकिन वहां इंतजाम कोई नहीं। बनियापुरवा, दुर्गापुरवा, गोपालपुरवा सहित कई गांवों के करीब पांच हजार परिवार गंगा बैराज हाईवे पर पड़े हैं। गंदे-बदबूदार पानी के इर्दगिर्द रहने से वह बीमार भी हो रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की सिर्फ एक एएनएम नाहिद बेगम वहां तैनात की गई हैं। कोई डॉक्टर शिविर में नहीं बैठता। मंगलवार को एलियन मंडल 180 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एसएस दास द्वारा चिकित्सकों की टीम भेजी गई। डॉ. एएस कटियार, डॉ. पीएन मिश्रा और डॉ. सरिता सिंह ने जांच कर दवा वितरित की। उन्होंने बताया कि बुखार फैल रहा है। करीब 125 महिला-बच्चों को एक दिन में दवा दी गई है।
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ग्रामीणों को दिखाने के लिए रख दिया है जेनरेटर
हाईवे पर जहां सैकड़ों परिवार पड़े हैं, वहां सांप-बिच्छू आदि निकलने का भी खतरा है। रात में बहुत परेशानी होती है, लेकिन अभी तक वहां केस्को द्वारा बिजली का इंतजाम नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने मांग की तो मंगलवार सुबह जेनरेटर तो रखवा दिया गया, लेकिन पूरे दिन कोई भी लाइन डालने तक नहीं पहुंचा।
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हाईवे किनारे खुले में शौच, अफसर बेफिक्र
गांवों को खुले में शौचमुक्त करने के लिए सरकार कितना जोर दे रही है, लेकिन इन दिनों बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीण हाईवे किनारे में खुले में शौच को जा रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ित हाईवे पर डेरा जमाए हुए हैं, लेकिन वहां एक भी मोबाइल टॉयलेट का इंतजाम नगर निगम ने नहीं किया है।
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तिरपाल को भी नहीं पैसे, खुले में परिवार
घर बाढ़ में घिरे हैं तो ग्रामीण सड़क पर रहे हैं। कई परिवार तो ऐसे हैं, जिनके पास तिरपाल खरीदने को भी पैसे नहीं हैं, उन्हें तो खुले आसमान के नीचे बरसात में भी भीगना पड़ रहा है। बनियापुरवा की पुष्पा, रमेश, दुर्गापुरवा के रमेश हों या लक्ष्मनपुर के रामअवतार, सभी एक दर्द था। उनका कहना था कि हमारे पास तिरपाल खरीदने को भी पैसे नहीं हैं। प्रशासन तिरपाल और खाने का ही इंतजाम करा देता तो कुछ राहत तो मिल जाती।
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बनियापुरवा में भरभराकर गिरा मकान
छह दिन से बनियापुरवा सहित कई गांव बाढ़ की चपेट में है। कई मकानों में दरार आना शुरू हो गई है। मंगलवार देर शाम बनियापुरवा में लालजी निषाद का मकान भरभराकर गिर गया। कुछ जरूरत का सामान तो वह अपने साथ हाईवे के तंबू में ले आए थे। शेष सामान मलबे और पानी में बर्बाद हो गया। अन्य कच्चे मकानों के गिरने की भी आशंका खड़ी हो गई है।
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पांडु की बाढ़ से कूड़ा निस्तारण प्लांट ठप
कूड़ा निस्तारण के लिए नगर निगम का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट पनकी भाऊसिंह में है। मंगलवार को नगर आयुक्त वहां निरीक्षण को पहुंचे तो पता चला कि पांडु नदी में आई बाढ़ का पानी प्लांट में घुस गया है। इसकी वजह से प्लांट बंद हो गया और कूड़ा निस्तारण की प्रक्रिया भी ठप हो गई।
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बाढ़ पीड़ितों की झोपड़ियां गिरीं
चैनपुरवा , गोपालपुरवा, दुर्गापुरवा और बनियापुरवा आदि गांवों में बाढ़ पीड़ितों की झोपड़ियां अब गिरने लगी हैं। इससे वे परेशान हैं। इसके साथ ही घरों रखा गेहूं, चावल व अन्य खाद्यान्न भी खराब हो गया है। खाद्यान्न खराब होने से अब लोगों के सामने भोजन का संकट उत्पन्न होगा क्योंकि जैसे ही बाढ़ का पानी उतरेगा लोग घरों को लौटेंगे और फिर उन्हें अनाज खरीदना पड़ेगा। एक तो उनकी फसलें बर्बाद हो गई हैं दूसरे अन्न का संकट अब ग्रामीणों को तोड़ देगा। जो लोग झोपड़ियों या कच्चे मकान में रहते हैं उन्हें फिर से आशियाना बनाना पड़ेगा क्योंकि कच्चे मकान भी गिरने लगे हैं। प्रशासन की तरफ से अभी कोई मदद भी लोगों को नहीं मिल पा रही है। सर्वाधिक परेशानी तो चैनपुरवा के लोगों की है। उनके घरों में तो अब चोरी भी हो रही है। वे अपने घर नाव से भी नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि नाव भी नहीं चल पा रही है।
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झमाझम बारिश ने बाढ़ पीड़ितों को रुलाया
मंगलवार देर रात हुई झमाझम बारिश से मौसम सुहाना हो गया। हालांकि सड़कों पर जलभराव भी हुआ। तेज बारिश के कारण कई मोहल्लों में बिजली भी कट गई। सर्वाधिक परेशानी बाढ़ पीड़ितों को हुई। गंगा बैराज से मंधना जाने वाले मार्ग पर पॉलीथिन का तंबू बनाकर रह रहे बाढ़ पीड़ित भीग गए। हवा के कारण तंबू उड़ गया था।
मंगलवार दोपहर विकास नगर, शारदा नगर आदि इलाकों में बारिश हुई थी। पूरे दिन बादल छाए रहे। रात करीब पौने बारह बजे तेज बारिश हुई। इसके साथ ही हवाएं भी चलीं। बैराज पर रह रहे लोगों को पूरी रात जागकर काटनी पड़ी। भीगने की वजह से परेशान हुए। कुछ परिवारों ने तो वहां से निकलकर विकास नगर स्थित प्राथमिक स्कूल में शरण ली।