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बैंड-बाजा और बरात, सास-ससुर भी निकले नकली

सोशल साइट पर युवक से पहचान होने के बाद नजदकियां बढऩे पर युवती ने की शादी। बहरूपिये की असलियत सामने आने पर युवती ने कोर्ट के आदेश पर दर्ज कराया मुकदमा।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 12:18 PM (IST)
बैंड-बाजा और बरात, सास-ससुर भी निकले नकली
बैंड-बाजा और बरात, सास-ससुर भी निकले नकली

कानपुर (जागरण संवाददाता)। जिंदगी की जरूरतों को इंटरनेट सहज बनाता है लेकिन इसका दुरुपयोग हो तो जीवन कांटों भरा हो जाता है। ऐसा एक वाकया शहर की युवती के साथ घटा। इंटरनेट के जरिए युवक से जान पहचान हुई। युवक ने खुद को एक प्रतिष्ठित कंपनी में इंजीनियर बताया। झांसे में फंसी युवती ने शादी कर ली। ससुराल पहुंची तो वहां पहले से ही तीन बच्चों के साथ सौतन इंतजार कर रही थी। युवती मायके आ गई और परिजन ने खोजबीन की तो बहरुपिया संबंधों का बड़ा ठग निकला।

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सोशल साइट पर हुई जान-पहचान

बादशाही नाका निवासी युवती की जान पहचान इंटरनेट पर सोशल साइट के जरिए अलीगढ़ के खैर निवासी मनोज शर्मा से हुई। यह जान पहचान रिश्ते की तरफ बढ़ी। दोनों के परिजन ने शादी के लिए हां कर दी। 18 जनवरी 2017 को शादी सिविल लाइंस के एक गेस्ट हाउस से धूमधाम से हुई। मायके से विदा होकर युवती मनोज के गुजैनी स्थित घर और फिर अलीगढ़ स्थित घर पहुंची। वहां तीन बच्चों के साथ सौतन मौजूद मिली तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई।

अलीगढ़ में खुला झूठ का पिटारा

मामले में अधिवक्ता अनंत शर्मा ने बताया कि मनोज की धोखेबाजी की किताब का यह पहला पन्ना था। युवती को पता चला कि जिन्होंने उसे सास-ससुर बनकर आशीर्वाद दिया था, वे भी नकली थे। अलीगढ़ में असली सास-ससुर से मुलाकात हुई। एक के बाद एक मनोज का झूठ खुलता चला गया। युवती को उसकी तीसरी शादी का पता चला जो एक सैन्य महिला अफसर से की थी। फिर क्या था, वह उल्टे पांव वापस शहर आ गई।

एसएसपी कार्यालय में नहीं हुई सुनवाई

अधिवक्ता के मुताबिक शादी के तीन दिन बाद 21 जनवरी को युवती एसएसपी कार्यालय में शिकायत लेकर पहुंची लेकिन सुनवाई न हुई। फिर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ। 12 जुलाई 2017 को कोर्ट ने युवती के बयान दर्ज किए और मनोज के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।

पहचान छिपाने के लिए शुरू की पल्लेदारी

करीब एक वर्ष बाद 12 जुलाई 2018 को पुलिस उसे गिरफ्तार करने में कामयाब रही। उसे पकडऩे में पुलिस को एक वर्ष इसलिए लगा क्योंकि उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए खैर मंडी में पल्लेदारी शुरू कर दी थी। गिरफ्तारी के वक्त भी वह इसी वेश में था। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजत सिंह जैन ने मनोज की जमानत याचिका खारिज कर दी, वह अभी जेल में है।


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