Move to Jagran APP

नर्सिंग होम व निजी अस्पताल के पंजीकरण के तय हैं रेट वरना होल्ड हो जाता आवेदन

पूर्ववर्ती सीएमओ ने जिस अधिकारी को पटल से हटाया था उसे नए सीएमओ ने फिर चार्ज दे दिया। मलाईदार पटल पाने के लिए अधिकारियों से लेकर बाबुओं तक में होड़ लगी रहती है। सीएमओ कार्यालय के कर्मचारी कागजातों में खामियां निकालने लगते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 11:54 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 05:24 PM (IST)
नर्सिंग होम व निजी अस्पताल के पंजीकरण के तय हैं रेट वरना होल्ड हो जाता आवेदन
कानपुर में संचालित नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों की हकीकत।

कानपुर, जेएनएन। राज्य सरकार भले ही आनलाइन पंजीकरण पर जोर दे रही है। ताकि संचालकों को बेवजह की भागदौड़ न करनी पड़े और न ही उनका आर्थिक शोषण हो सके। निजी अस्पताल, नर्सिंग होम एवं डायग्नोस्टिक सेंटर (एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व पैथालाजी सेंटर) के पंजीकरण में पारदर्शिता लाने के लिए आनलाइन प्रक्रिया शुरू की है। इसके बावजूद सीएमओ कार्यालय में वसूली के रेट तय हैं। यही वजह है कि इस मलाईदार पटल को पाने के लिए अधिकारियों से लेकर बाबुओं तक में होड़ रहती है। हालांकि पूर्ववर्ती सीएमओ के कार्यकाल में अंकुश रहा। इसी वजह से उन्होंने एक अधिकारी से कार्यभार वापस लेते हुए उन्हें हटा दिया था। उनके जाते ही वर्तमान सीएमओ ने फिर से उन्हें कमान थमा दी।

loksabha election banner

शहर के बाहरी क्षेत्रों में चल रहे नर्सिंग होम संचालकों के पास जब दैनिक जागरण टीम पहुंची तो उन्होंने अपनी पीड़ा बयां की। बताया कि शहर में चल रहे बड़े निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम संचालकों की ऊपर तक पहुंच है। इस वजह से उनके पंजीकरण एवं नवीनीकरण में कोई दिक्कत नहीं होती है। उनसे ज्यादा पैसे भी नहीं लिए जाते हैैं। जो थोड़ा-बहुत मिल जाता है, रख लेते हैं।

छोटे नर्सिंग होम संचालक होते परेशान

जब छोटे नर्सिंग होम, निजी अस्पताल एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक आनलाइन पंजीकरण एवं नवीनीकरण के लिए आवेदन करते हैं। सीएमओ कार्यालय के कर्मचारी उनके कागजातों में खामियां निकालने लगते हैं। उनका पंजीकरण व रिन्यूवल होल्ड कर देते हैं। जब वह कार्यालय के चक्कर लगाते हैं तो उनके सलाहकार बन जाते हैं।

झोलाछाप से मनमानी वसूली

झोलाछाप से वसूली का कोई रेट निर्धारित नहीं है। सामान्य स्थिति में अपने-अपने क्षेत्र में 5 से 10 हजार रुपये तक लिए जाते हैं। कोई मामला या मौत होने पर वूसली की राशि 50 हजार से एक लाख रुपये पहुंच जाती है। उसके बाद अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती कर देते हैं। यही वजह है कि आज तक सीएमओ के स्तर से किसी के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।

पंजीकरण का प्रकार : सुविधा शुल्क

नर्सिंग होम : 50,000 से 1,50,000 रुपये

एक्सरे सेंटर : 10,000 से 50, 000 रुपये

अल्ट्रासाउंड सेंटर : 1,00,000 रुपये

पैथालाजी : 10,000 से 50,000 रुपये

नोट : नए सेंटर के पंजीकरण के लिए वसूली का रेट निर्धारित है। अगर कागजात में कमी होती है तो वसूली की राशि तीन से चार गुना बढ़ जाती है। ऐसे में उनके कागजात एवं डाक्टरों का पैनल सीएमओ कार्यालय के कर्मचारी ही तैयार करते हैं।

-एसोसिएशन से जुड़े बड़े नर्सिंग होम व निजी अस्पताल अपने यहां सभी मानक पूरे रखते हैं। इसलिए आनलाइन आवेदन कर कागजात अपलोड कर देते हैं। उन्हें कोई समस्या नहीं होती है। मानक पूरे न करने वालों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। -डा. महेंद्र सरावगी, अध्यक्ष, नर्सिंग होम एसोसिएशन।

मैं ट्रेनिंग के सिलसिले में 23 से 25 जुलाई तक लखनऊ में हूं। मानक न पूरे करने वाले ट्रामा सेंटर एवं नर्सिंग होम की जानकारी मिली है। इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हटाए गए अधिकारी को दोबारा चार्ज इसलिए दिया है क्योंकि अभी तक कार्य देख रहे एसीएमओ के पिता की तबीयत खराब है। उनकी जगह मजबूरी में दूसरे एसीएमओ को चार्ज देना पड़ गया। गड़बड़ी करने वाले कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर मेरी नजर है। प्रमाण मिलते ही उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। -डा. नैपाल सिंह, सीएमओ, कानपुर नगर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.