Kanpur में सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को नहीं होगी समस्या, LLR अस्पताल में होगा इलाज, खुलेगी यूनिट
कानपुर में सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते है। इस समस्या से निपटने के लिए हैलट (LLR) अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए व्यवस्था की जा रही है। एलएलआर अस्पताल के न्यूरो साइंस सेंटर में छह बेड की स्ट्रोक यूनिट खुलेगी।
कानपुर, जागरण संवाददाता। हर वर्ष सर्दी की दस्तक के साथ ही ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होता है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर (LLR) अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना 10-12 ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) के मरीज आने लगते हैं। समय से इलाज न मिलने से उनकी जान चली जाती है। कई बार जान बचने के बाद चलने-फिलने को मोहताज हो जाते हैं। इस समस्या को देखते हुए प्राचार्य ने न्यूरो साइंस सेंटर में छह बेड की स्ट्रोक यूनिट खोलने का निर्देश दिया है। यहां स्ट्रोक पीड़ितों को चार से छह घंटे के अंदर टीपीए थेरेपी (टिश्यू प्लाज्मिनोजन एक्टिवेटर का इंजेक्शन) देकर उन्हें ठीक किया जा सकेगा।
अनियंत्रित जीवनशैली की वजह से मधुमेह (डायबिटीज), हाइपरटेंशन, हाई कालेस्ट्राल और मोटापे की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या हेमरेज होने का खतरा बढ़ जाता है। खासकर सर्दियों में शारीरिक गतिविधियां कम होने से खून गाढ़ा होने लगता है, जिससे दिमाग में रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में रुकावट से खून का थक्का जमने लगता है। दिमाग में खून का थक्का जमने को ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। कई बार दिमाग की रक्तनलिकाओं में रिसाव होने लगता है या फट जाती हैं, जिससे ब्रेन हेमरेज हो जाता है।
हृदय रोग संस्थान में निश्शुल्क सुविधा
लक्ष्मीपत सिंहानिया ह्दय रोग संस्थान में यह सुविधा निश्शुल्क उपलब्ध है। अब प्राचार्य ने न्यूरो साइंस सेंटर में छह बेड की यूनिट खोलने की अनुमति प्रदान की है। जहां टीपीए थेरेपी के लिए 40 हजार रुपये का इंजेक्शन लगाया जाएगा।
स्ट्रोक यूनिट के लिए छह बेड मुहैया करा दिए हैं। सर्दी से पहले इसे खोलने के निर्देश दिए हैं। स्ट्रोक पड़ने के चार से छह घंटे के अंदर मरीज को अस्पताल लेकर आने और इंजेक्शन लगवाने से उसके बचने एवं ठीक होने की संभावना अधिक रहती है। - प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।
यह है ब्रेन स्ट्रोक
ब्रेन स्ट्रोक या लकवा एक ऐसी बीमारी है, जो ब्रेन में खून का थक्का जमने से होती है। कई बार मस्तिष्क की कोई आर्टरी फटने से भी समस्या होती है, जिसे ब्रेन की थम्बोलाइसिस कहते हैं। इसके मरीजों को विलंब से अस्पताल लाने से ब्रेन की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जो बाद में ठीक नहीं हो सकतीं।