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कानपुर में पांव पसारने लगा दिमागी बुखार

पूर्वाचल में जापानी इंसेफेलाइटिस(जेई) महामारी का रुप ले चुकी है। अब ये बीमारी कानपुर में भी पांव पसार रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 03:35 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jul 2018 03:35 PM (IST)
कानपुर में पांव पसारने लगा दिमागी बुखार
कानपुर में पांव पसारने लगा दिमागी बुखार

जागरण संवाददाता, कानपुर : पूर्वाचल में जापानी इंसेफेलाइटिस(जेई) महामारी का रुप ले चुकी है। लेकिन, मध्य यूपी के प्रमुख शहर कानपुर में इसकी दस्तक अब डराने लगी है। इस वर्ष फरवरी से जून तक यानी पांच माह में इसके आठ मरीज शहर में मिलना गंभीर संकेत दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को समय रहते इस पर काबू पाने के लिए बड़े प्रयास करने की जरूरत है। जेई को दिमागी बुखार के रूप में भी जाना जाता है। 'क्यूलेक्स समूह' के मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है। 0-15 साल तक के बच्चे इसकी चपेट में आते हैं। इसलिए बारिश के मौसम में बच्चों को मच्छर एवं गंदगी से बचाएं। अगर बच्चे को तेज बुखार के साथ बेहोशी एवं झटके आएं तो गंभीरता से लें। एलएलआर (हैलट) के बाल रोग चिकित्सालय में ऐसे लक्षणों के बच्चे भर्ती हो रहे हैं।

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महानगर में फरवरी से जून तक जापानी बुखार एवं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के आठ मरीज मिल चुके हैं। इसकी पुष्टि किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की लैब में हुई है। उमस भरी गर्मी बढ़ने पर दिमागी बुखार के केस सामने आने लगे हैं। दो दिन पहले उर्सला में इसके वाले युवक को बेहोशी की हालत में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत बिगड़ने पर आइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। बाल रोग ओपीडी एवं इमरजेंसी में दिमागी बुखार के लक्षण वाले बच्चे इलाज के लिए आने लगे हैं। गंभीर लक्षण वाले बच्चों को एनआइसीयू में भर्ती किया जा रहा है।

यह हैं लक्षण

-तेज बुखार आना

-बुखार के साथ बेहोशी

-बच्चे के बर्ताव में बदलाव

-बुखार, बेहोशी व झटके आना

-शुरुआत गर्दन से होती है।

-गर्दन में अकड़न, झनझनाहट

ऐसे करें बचाव

-साफ-सफाई का ध्यान रखें

-गंदगी से बच्चों को बचाएं

-वायरल संक्रमण से बचाएं

-खुले मैदान में नंगे पैर न भेजें

-घर पर मच्छर न पनपने पाएं

-मच्छर से बचाव को मच्छरदानी लगाएं

-शाम को काटता है मच्छर

-पूरी बांह के कपड़े पहनाएं

-आसपास गंदा पानी न इकट्ठा होने दें।

वायरस का वाहक है सुअर

सूअर में पाया जानेवाला प्लेवि वायरस है। जब क्यूलेक्स विश्नोई व क्यूलेक्स स्यूडो विश्नोई प्रजाति का मच्छर सुअर को काटता है तो वायरस ग्रहण कर लेता है। धान की खेतों में पनपने वाला यही मच्छर किसी बच्चे को काटता है तो वायरस बच्चे के शरीर में प्रवेश कर जाता है।

एक्सपर्ट कमेंट

मच्छर के काटने से होने वाले संक्रमण से फैलता है। इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता डैमेज होने लगती है। इसका संक्रमण तेजी से फैलते हुए मस्तिष्क को संक्रमित कर देता है। इसको दिमागी बुखार तथा एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम भी कहते हैं। इसके लक्षण पहचान कर अविलंब बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। जरा सी चूक बच्चे के जीवन पर भारी पड़ सकती है।

- डॉ. यशवंत राव, विभागाध्यक्ष, बाल रोग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।


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