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किताब की जगह किंडल से पढ़ाई कर बचाएंगे वृक्ष

पर्यावरण बचाने की मुहिम में इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) एक बड़ी भूमिका अदा करने जा रहा है। इसके लिए संस्थान अपने छात्रों को किताबों की बजाय किंडल से ई-बुक पढ़ाएगा।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 02:13 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 02:13 PM (IST)
किताब की जगह किंडल से पढ़ाई कर बचाएंगे वृक्ष
किताब की जगह किंडल से पढ़ाई कर बचाएंगे वृक्ष

राजीव सक्सेना, कानपुर 

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पर्यावरण बचाने की मुहिम में इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) एक बड़ी भूमिका अदा करने जा रहा है। इसके लिए संस्थान अपने छात्रों को किताबों की बजाय किंडल से ई-बुक पढ़ाएगा। इसके लिए योजना तैयार कर ली गई है। आने वाले समय में छात्रों के हाथों में किताबों की जगह किंडल होगा। पाठ्यक्रम में जो भी परिवर्तन होंगे, उन्हें भी साफ्टवेयर के जरिए किंडल पर अपडेट कर दिया जाएगा। 

हाल ही में आइसीएआइ की परीक्षा का परिणाम निकला है। इसमें देशभर के एक लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं अलग-अलग स्तर की परीक्षा में बैठे थे। इनकी पढ़ाई के लिए संस्थान को भारी मात्रा में स्टेशनरी प्रिंट करानी होती है। इसमें कापी और किताबें दोनों शामिल हैं। संस्थान अपने सदस्यों के बीच पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण की अलख जगा रहा है जिसमें उन्हें सलाह दी जा रही है कि वे कम से कम पेपर का इस्तेमाल करें। अपने प्रतिष्ठान व क्लाइंट से भी कहें कि वे हार्ड कापी रिसीव न करें। ई-जर्नल से अपनी जानकारी बढ़ाएं। इसके तहत सदस्यों को भेजे जाने वाले जर्नल भी ऑनलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। हालांकि यह व्यवस्था अभी ऑप्शनल है लेकिन छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के लिए गंभीरता से सोचा जा रहा है। 

 आइसीएआइ की सेंट्रल काउंसिल मेंबर  मनु अग्र्रवाल का कहना है कि संस्थान इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है। आने वाले समय में इस पर पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इससे बहुत से वृक्ष बचाए जा सकेंगे जिससे पर्यावरण संरक्षण होगा। बहुत से सदस्यों ने ई-जर्नल अपना लिया है। उनके पास अब किताबें नहीं जातीं। 

क्या है किंडल

किंडल एक तरह की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो पूरी तरह मोबाइल और टेबलेट की तरह दिखती है। इसमें ई-बुक्स होती हैं। इसके अलावा भी ऑनलाइन किताबों को डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है। देश में सबसे पहले इसका प्रयोग एक जानी-मानी ई-कॉमर्स कंपनी ने किया था। 

देश में छात्र-छात्राओं की स्थिति

- 33,633 ओल्ड फाइनल ग्र्रुप एक में। 

- 35,655 ओल्ड फाइनल ग्र्रुप दो में। 

- 6,181 फाइनल न्यू के ग्र्रुप एक में। 

- 3,307 फाइनल न्यू के ग्र्रुप दो में। 

- 25,037 इंट्रेंस की सीपीटी परीक्षा। 

- 48,702 फाउंडेशन परीक्षा में। 

(नोट : ये आंकड़े हाल में हुई परीक्षा में देशभर में बैठे छात्र-छात्राओं की है।)


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