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कानपुर में सामने आया काला सच, दाल और हल्दी को चमकदार बनाने के लिए मिला जा रहा खतरनाक कलर

इसलिए उन्हेंं मिस ब्रांड की श्रेणी में रखा गया। तीन नमूने नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में रखे गए। असुरक्षित व अधोमानक पाए गए नमूने ये बताने को काफी हैं कि मिलावटखोर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

By Akash DwivediEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 09:28 AM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 09:28 AM (IST)
कानपुर में सामने आया काला सच, दाल और हल्दी को चमकदार बनाने के लिए मिला जा रहा खतरनाक कलर
मिलावटखोर उनके रंग को चटख करने के लिए उसे घातक कलर से रंग रहे

कानपुर, जेएनएन। हम जो हल्दी या लाल मिर्च पाउडर खा रहे हैं वह पूरी तरह से शुद्ध है इसकी कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि मिलावटखोर उनके रंग को चटख करने के लिए उसे घातक कलर से रंग रहे हैं। ऐसे लोगों को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग बेनकाब तो कर रहा है, लेकिन स्थिति सुधर नहीं रही है। ऐसे कारोबारियों पर मुकदमा दर्ज करने के बजाय उन्हेंं अब समझाया जा रहा है कि वे जो मिलावटी पदार्थ बेच रहे हैं यही वे और उनके बच्चे भी खा रहे हैं, इसलिए मिलावट से बचें। खाद्य पदार्थ मिलावटी है या नहीं यह मौके पर ही जांच कर उन्हेंं दिखाया जा रहा है। दाल, काली मिर्च, लाल मिर्च हो या हल्दी इनमें तो घातक कलर की मात्रा पाई गई जो न सिर्फ लिवर और आंतों को डैमेज करता है बल्कि गले संबंधी बीमारियों को भी जन्म दे रहा है। खबर में दिए गए केस तो सिर्फ उदाहरण हैंं, अगर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई पर निगाह डालें तो ये आंकड़े परेशान करने वाले हैं।

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खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने खाद्य पदार्थों की शुद्धता के मानक निर्धारित किए हैं। इन्हीं मानक को ध्यान में रखकर ही विभाग जांच करता है और जिन नमूनों मिलावट मिलती है मुकदमे भी दर्ज कराता है। अप्रैल से अब तक 1498 दुकानों पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने निरीक्षण किया है और 47 जगहों पर छापेमारी की है। छापेमारी के दौरान लिए गए करीब दो सौ नमूनों में 74 नमूने मानक पर खरे नहीं उतरे। इनमें दो नमूने असुरक्षित श्रेणी में रखे गए और 53 अधोमानक पाए गए। 14 नमूने ऐसे थे, जिनके बारे में पैकेट पर सही जानकारी नहीं लिखी थी। इसलिए उन्हेंं मिस ब्रांड की श्रेणी में रखा गया। तीन नमूने नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में रखे गए। असुरक्षित व अधोमानक पाए गए नमूने ये बताने को काफी हैं कि मिलावटखोर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

केस-एक : खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने कैंट स्थित एक किराना कारोबारी केकेयहां से काली मिर्च का नमूना लिया। मौके पर ही जांच की गई तो काली मिर्च में पपीता के बीज भी थे। कल्याणपुर के एक दुकान से लिए गए काली मिर्च के नमूने में अखाद्य कलर पाया गया।

केस-दो : नवाबगंज स्थित एक दुकान से खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने साबूत हल्दी का नमूना लिया। जांच हुई तो पता चला कि उसे चमकाने के लिए लेड क्रोमेट मिलाया गया है। पास की दुकान से लिए गए मूंग की दाल के नमूने में भी सिंथेटिक कलर पाया गया।

केस-तीन : लालबंगला स्थित एक दुकान से लिए गए लाल मिर्च पाउडर के नमूने में भी सूडान डाई पाया गया। यही के सौंफ के नमूने में में सिंथेटिक कलर पाया गया। एक अन्य दुकान से लिए गए चाय की पत्ती और उड़द की दाल के नमूने में भी अखाद्य कलर की मिलावट मिली।

  • सूडान डाई, लेड क्रोमेट, मेटानिल यलो, टाट्रा जीन बहुत ही घातक हैं। थोड़ी सी ही मात्रा सही अगर हम रोज इसका सेवन कर रहे हैं तो ये हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक हैं। आंत, लिवर, गला आदि पर इनका खतरनाक असर होता है। इससे कैंसर भी हो सकता है। - डा. प्रवीन कटियार


  • हम नहीं चाहते कि मिलावटी सामान बेचें, लेकिन हम जहां से खरीदकर लाते हैं अगर वहीं से मिलावट होती है तो उसे कैसे रोक सकते हैं। हमारे पास कोई तंत्र नहीं है, जिससे जान लें कि सामान मिलावटी है। जागरूकता अभियान चलाने की पहल ठीक है। - साकेत गुप्ता, कारोबारी


  • हम तो डिब्बा बंद वनस्पति, घी सामग्री ले आते हैं। उसमें अगर मैन्युफैक्चरर्स ने ही मिलावट कर रखी है तो उसे पकड़ नहीं सकते। खाद्य सुरक्षा विभाग मिलावटखोरों पर कार्रवाई करे, हम उनके साथ हैं। मिलावट कैसे जांचनी है इसका प्रशिक्षण हो। - संजय अग्रवाल, कारोबारी


  • मिलावट रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। मौके पर ही जांच कर मिलावट के बारे में कारोबारियों को बताया जा रहा है। अभियान निरंतर चलेगा। आम जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा, ताकि मिलावट बंद हो।- विजय प्रताप सिंह, अभिहित अधिकारी
  • 53 नमूने अप्रैल से अब तक मानक पर खरे नहीं उतरे
  • 02 नमूनों को असुरक्षित माना गया है
  • 47 जगहों पर छापेमारी कर नमूने भरे गए 

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