रिश्तों की छांव में छिपे हैं भाजपा के विद्रोही
जागरण संवाददाता, कानपुर : निकाय चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने वाले अब सकारात्मक परिणा
जागरण संवाददाता, कानपुर : निकाय चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने वाले अब सकारात्मक परिणाम के बाद ओट पा गए हैं। कहीं निजी रिश्ते फिर जिंदा हो गए हैं तो कहीं दबाव है। यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बाद भी कार्रवाई के लिए संगठन को जीते या हारे पार्षद प्रत्याशियों द्वारा विद्रोही और उनके सहयोगियों के नाम नहीं बताए जा रहे हैं।
चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ ताल ठोंकने वाले और उन्हें सहयोग करने वाले विद्रोहियों पर कार्रवाई के लिए भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने पहले ही दो टूक कह दिया था। उसके बाद बारी जिला संगठनों की थी कि ऐसे कार्यकर्ताओं के नाम सूचीबद्ध किए जाएं। उत्तर और दक्षिण जिले में प्रयास हो चुके हैं, लेकिन अब तक सूची नहीं बन पाई है। रविवार को दक्षिण जिला कार्यालय में इस कार्य को गंभीरता से अंजाम देने के लिए मंडलवार समीक्षा बैठक बुलाई गई। मंडल पदाधिकारी, हारे-जीते पार्षद प्रत्याशी बुलाए गए। उनसे एक-एक कर विद्रोही और उनके सहयोगियों के नाम मांगे गए। पार्टी पदाधिकारियों के मुताबिक, दक्षिण के 46 में से 25 वार्डो में भाजपा जीती है। जीते हुए प्रत्याशी तो अपनी जीत से संतुष्ट हैं, इसलिए नाम बताना नहीं चाहते। वहीं, हारे हुए भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रिश्तों के दबाव में नाम देने से हिचक रहे हैं। रविवार को बमुश्किल सात-आठ वार्डो के पदाधिकारियों ने ही मौखिक नाम बताए, लेकिन संगठन की ओर से कह दिया गया कि लिखित नाम देने पर ही कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी लिहाजा, कार्रवाई फिर इंतजार के पाले में जा पड़ी है। बैठक के दौरान दक्षिण जिलाध्यक्ष अनीता गुप्ता, रघुराज शरण गुप्ता, अचल गुप्ता, शिवराम सिंह, संदीपन अवस्थी, सरन तिवारी, राजेश श्रीवास्तव, पंकज गुप्ता, शिवशंकर सैनी आदि थे।