छावनी बोर्ड के कानपुर नगर निगम में विलय पर संशय, संसद में सवाल पर रक्षा राज्यमंत्री ने किया स्पष्ट
संसद में सवाल पूछे जाने पर रक्षा राज्यमंत्री ने कहा सैन्य हित से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सुमित बोस समिति की सिफारिशों के बाद शुरू हुई पहल को लेकर छावनी बोर्ड के नगर निगम में विलय को लेकर काफी समय से चर्चा चल रही है।
कानपुर, जेएनएन। छावनी बोर्ड का नगर निगम में विलय को लेकर संशय बरकरार है। दरअसल इस संबंध में संसद में पूछे गए सवाल पर रक्षा राज्यमंत्री ने पहले तो कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और न ही इस पर कोई कार्यवाही चल रही है। हालांकि प्रश्न के अंत में यह भी कहा कि छावनी के सिविल क्षेत्रों का नगर निगम में विलय के प्रस्ताव पर ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा, जिससे सैन्य हितों से समझौता करना पड़े।
छावनी बोर्ड के नगर निगम में विलय को लेकर काफी समय से चर्चा चल रही है। सुमित बोस समिति की सिफारिशों को लेकर यह पहल की गई थी। हालांकि छावनी बोर्ड के साथ ही संसद में सरकार ने इससे इन्कार कर दिया है। संसद में सवाल पूछा गया था कि देश की सभी 62 छावनियों को नगर निगम में विलय करने को लेकर छावनी के कार्यकारी अधिकारियों से सुझाव मांगे गए हैं। यह भी पूछा गया था कि एसके बोस समिति ने छावनी बोर्ड का विलय नगर निगम में करने के लिए क्या सिफारिश की थी।
इस सवाल के जवाब में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाईक ने जवाब दिया कि छावनी बोर्ड के कार्यकारी अधिकारियों से ऐसा कोई सुझाव नहीं मांगा गया है और न ही समिति की ओर से इस संबंध में कोई सिफारिश की गई है। अंत में यह भी बताया गया कि रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी पांचवी रिपोर्ट में सिफारिश करते हुए कहा है कि छावनी बोर्ड के सिविल क्षेत्रों को नगर पालिका में बदलने के प्रस्ताव पर अमल सैन्य हित से समझौता किए बिना, नागरिक आकांक्षा और राज्य सरकार की सहमति बिना नहीं की जाएगी। छावनी बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष लखन ओमर बताते हैं कि संसद में दिए गए इस जवाब के बाद छावनी बोर्ड के सिविल क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने की सभी अटकलों पर विराम लग गया है।