प्रयागराज में कुंभ की तैयारियों के बीच गंगा में बीओडी अधिक और ऑक्सीजन कम
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मॉनीटरिंग में सामने आई हकीकत। दोगुनी मिली है बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड की मात्रा।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 06:01 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 10:39 AM (IST)
कानपुर(जेएनएन)। ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता गया। शहर में गंगा नदी का कुछ ऐसा ही हाल है। स्वच्छ व अविरल गंगा की परिकल्पना महज सपना बनकर रह गई है। कहीं न कहीं इसके दोषी हमारे और आपके बीच के लोग ही हैं। गंगा में लगातार अपशिष्ट और गंदगी फेंके जाने से जलीय जीवों पर खतरा मंडराने लगा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मॉनीटरिंग में गंगा जल में बीओडी की मात्रा अधिक और घुलित ऑक्सीजन का स्तर कम मिला है। यह स्थिति उस समय है, जब इलाहाबाद में होने वाले कुंभ मेले को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं।
22 किलोमीटर की दूरी खतरनाक
बिठूर और जाजमऊ के जना गांव में गंगा के जल की सैंपलिंग हुई। पानी की जांच में चौंकाने वाले नतीजे मिले। करीब 22 किलोमीटर की दूरी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा दोगुनी मिली। बिठूर घाट पर बीओडी का स्तर 3.1 मिलीग्राम प्रति लीटर रहा, वहीं जना गांव में 6.4 मिलीग्राम प्रति लीटर रिकार्ड किया गया।
घुलित ऑक्सीजन हुआ कम
डिसॉल्वड ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर बिठूर में 7 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला। जाजमऊ में यह घटकर 5.9 मिलीग्राम प्रति लीटर रिकार्ड हुआ। पीएच वैल्यू (रंग) में कोई खास अंतर नहीं मिला। बिठूर में इसकी मात्रा 7.85 और जाजमऊ में 7.66 मापी गई।
कई हजार गुना बढ़े बैक्टीरिया
बिठूर से जाजमऊ के बीच बैक्टीरिया की मात्रा कई हजार गुना बढ़ गई है। इन्हें पनपने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है, जिससे घुलित आक्सीजन कम होती जा रही है। बिठूर में इनकी मात्रा तीन हजार पांच सौ एमपीएन प्रति 100 मिली लीटर मापी गई, जबकि 22 किलोमीटर बाद इसका स्तर बढ़कर 58 हजार एमपीएन प्रति सौ मिली लीटर हो गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कानपुर क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्रा का कहना है कि गंगा में पानी की मात्रा बढऩे पर फेकल कोलिफार्म कम हो जाएंगे, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा अपने आप बढ़ जाएगी। अगले महीने गंगा की स्थिति सही रहेगी।
पिछले महीने अधिक खतरनाक थी स्थिति
पिछले महीने हुई मॉनीटरिंग में गंगा की स्थिति अधिक खतरनाक थी। जाजमऊ के पास बैक्टीरिया की संख्या 11 हजार एमपीएन प्रति 100 मिली लीटर रिकार्ड हुई थी। बीओडी 7.6 मिलीग्राम प्रति लीटर थी।
ये हैं मानक
बीओडी : अधिकतम 3 मिलीग्राम प्रति लीटर
डीओ : न्यूनतम 5 मिलीग्राम प्रति लीटर
22 किलोमीटर की दूरी खतरनाक
बिठूर और जाजमऊ के जना गांव में गंगा के जल की सैंपलिंग हुई। पानी की जांच में चौंकाने वाले नतीजे मिले। करीब 22 किलोमीटर की दूरी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा दोगुनी मिली। बिठूर घाट पर बीओडी का स्तर 3.1 मिलीग्राम प्रति लीटर रहा, वहीं जना गांव में 6.4 मिलीग्राम प्रति लीटर रिकार्ड किया गया।
घुलित ऑक्सीजन हुआ कम
डिसॉल्वड ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर बिठूर में 7 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला। जाजमऊ में यह घटकर 5.9 मिलीग्राम प्रति लीटर रिकार्ड हुआ। पीएच वैल्यू (रंग) में कोई खास अंतर नहीं मिला। बिठूर में इसकी मात्रा 7.85 और जाजमऊ में 7.66 मापी गई।
कई हजार गुना बढ़े बैक्टीरिया
बिठूर से जाजमऊ के बीच बैक्टीरिया की मात्रा कई हजार गुना बढ़ गई है। इन्हें पनपने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है, जिससे घुलित आक्सीजन कम होती जा रही है। बिठूर में इनकी मात्रा तीन हजार पांच सौ एमपीएन प्रति 100 मिली लीटर मापी गई, जबकि 22 किलोमीटर बाद इसका स्तर बढ़कर 58 हजार एमपीएन प्रति सौ मिली लीटर हो गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कानपुर क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्रा का कहना है कि गंगा में पानी की मात्रा बढऩे पर फेकल कोलिफार्म कम हो जाएंगे, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा अपने आप बढ़ जाएगी। अगले महीने गंगा की स्थिति सही रहेगी।
पिछले महीने अधिक खतरनाक थी स्थिति
पिछले महीने हुई मॉनीटरिंग में गंगा की स्थिति अधिक खतरनाक थी। जाजमऊ के पास बैक्टीरिया की संख्या 11 हजार एमपीएन प्रति 100 मिली लीटर रिकार्ड हुई थी। बीओडी 7.6 मिलीग्राम प्रति लीटर थी।
ये हैं मानक
बीओडी : अधिकतम 3 मिलीग्राम प्रति लीटर
डीओ : न्यूनतम 5 मिलीग्राम प्रति लीटर
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